Line 50: |
Line 50: |
| २३. ऐसा एक बहुत बड़ा हीनताबोध का लक्षण है अंग्रेजी भाषा का प्रभाव । इसके चलते हमने अपनी विवेकबुद्धि पूर्ण रूप से खो दी है । हमें लगता है कि अंग्रेजी भाषा के बिना हमारा विकास हो ही नहीं सकता । इस भाषा के बिना हमारा जीना ही जैसे दूभर हो जाएगा । | | २३. ऐसा एक बहुत बड़ा हीनताबोध का लक्षण है अंग्रेजी भाषा का प्रभाव । इसके चलते हमने अपनी विवेकबुद्धि पूर्ण रूप से खो दी है । हमें लगता है कि अंग्रेजी भाषा के बिना हमारा विकास हो ही नहीं सकता । इस भाषा के बिना हमारा जीना ही जैसे दूभर हो जाएगा । |
| | | |
− | २४. स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इतने अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी हमारे शासकीय पत्रव्यवहार की भाषा अंग्रेजी है । प्रशासन के उच्च अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे जिस प्रान्त में काम कर रहे हैं वहाँ कि प्रांतीय भाषा सीखें और उसमें व्यवहार करें परन्तु वे अंग्रेजी को छोड़कर बहुत कम व्यवहार करते हैं । उनके व्यवहार से अंग्रेजी नहीं जानने वाले लोगों को हीनताबोध का अनुभव होता है । | + | २४. स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इतने अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी हमारे शासकीय पत्रव्यवहार की भाषा अंग्रेजी है । प्रशासन के उच्च अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे जिस प्रान्त में काम कर रहे हैं वहाँ कि प्रांतीय भाषा सीखें और उसमें व्यवहार करें परन्तु वे अंग्रेजी को छोड़कर बहुत कम व्यवहार करते हैं । उनके व्यवहार से अंग्रेजी नहीं जानने वाले लोगोंं को हीनताबोध का अनुभव होता है । |
| | | |
| २५. उच्च पदवियों की परीक्षायें कानून से तो प्रांतीय भाषाओं में संचालित होती हैं परन्तु उन्हें प्रोत्साहित नहीं किया जाता । उन्हें अग्रिमता भी नहीं दी जाती । एक ओर तो हिन्दी को आधिकारिक स्थान दिया जाता है परन्तु दूसरी ओर अंग्रेजी नहीं आने पर व्यावहारिक कठिनाइयों का अनुभव होता है । | | २५. उच्च पदवियों की परीक्षायें कानून से तो प्रांतीय भाषाओं में संचालित होती हैं परन्तु उन्हें प्रोत्साहित नहीं किया जाता । उन्हें अग्रिमता भी नहीं दी जाती । एक ओर तो हिन्दी को आधिकारिक स्थान दिया जाता है परन्तु दूसरी ओर अंग्रेजी नहीं आने पर व्यावहारिक कठिनाइयों का अनुभव होता है । |
Line 56: |
Line 56: |
| २६. एक ओर तो हिन्दी का महत्त्व बढ़ाने की बात की जाती है दूसरी ओर प्राथमिक विद्यालयों में भी अंग्रेजी की शिक्षा आरम्भ की जाती है । एक पीढ़ी पूर्व आठवीं कक्षा में अंग्रेजी की पढ़ाई आरम्भ होती थी, आज कक्षा एक से ही अंग्रेजी पढ़ाया जाता है। भले ही वह शिक्षाशास्त्र के सिद्धांतों से सर्वथा विपरीत हो तो भी ऐसा किया जाता है । | | २६. एक ओर तो हिन्दी का महत्त्व बढ़ाने की बात की जाती है दूसरी ओर प्राथमिक विद्यालयों में भी अंग्रेजी की शिक्षा आरम्भ की जाती है । एक पीढ़ी पूर्व आठवीं कक्षा में अंग्रेजी की पढ़ाई आरम्भ होती थी, आज कक्षा एक से ही अंग्रेजी पढ़ाया जाता है। भले ही वह शिक्षाशास्त्र के सिद्धांतों से सर्वथा विपरीत हो तो भी ऐसा किया जाता है । |
| | | |
− | २७. केवल विषय ही नहीं तो माध्यम भी अंग्रेजी भाषा का हो इसका आग्रह बढ़ रहा है। गलियों में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय आरम्भ हो रहे हैं । प्रादेशिक भाषा के विद्यालय बन्द हो रहे हैं । पढेलिखे लोगों को अंग्रेजी इतनी अनिवार्य लगती है कि वे किसी भी प्रकार का तर्क सुनने के लिए तैयार ही नहीं है । | + | २७. केवल विषय ही नहीं तो माध्यम भी अंग्रेजी भाषा का हो इसका आग्रह बढ़ रहा है। गलियों में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय आरम्भ हो रहे हैं । प्रादेशिक भाषा के विद्यालय बन्द हो रहे हैं । पढेलिखे लोगोंं को अंग्रेजी इतनी अनिवार्य लगती है कि वे किसी भी प्रकार का तर्क सुनने के लिए तैयार ही नहीं है । |
| | | |
| २८. प्राथमिक विद्यालयों से ही ऐसी मान्यता प्रचलित की जाती है कि गणित और विज्ञान जैसे विषय तो अंग्रेजी में ही पढे जाते हैं । अतः एक सेमी अंग्रेजी कि पद्धति चली है जिसमें ये दो विषय अंग्रेजी में पढ़ाये जाते हैं और शेष विषय प्रादेशिक भाषा में । इन शेष विषयों का शिक्षा की दृष्टि से भी कोई मूल्य नहीं होता । | | २८. प्राथमिक विद्यालयों से ही ऐसी मान्यता प्रचलित की जाती है कि गणित और विज्ञान जैसे विषय तो अंग्रेजी में ही पढे जाते हैं । अतः एक सेमी अंग्रेजी कि पद्धति चली है जिसमें ये दो विषय अंग्रेजी में पढ़ाये जाते हैं और शेष विषय प्रादेशिक भाषा में । इन शेष विषयों का शिक्षा की दृष्टि से भी कोई मूल्य नहीं होता । |