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=== स्वतन्त्र और स्वायत्त रचना ===
 
=== स्वतन्त्र और स्वायत्त रचना ===
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१८. इसके लिये हमें वर्तमान रचना के समान्तर एक स्वतन्त्र और स्वायत्त रचना निर्माण करने की भी आवश्यकता पड़ेगी । अध्ययन और अनुसन्धान करने वाले बुद्धिमान और राष्ट्रभक्‍्त तरुणों को ज्ञानसाधना करने हेतु आवाहन करना पड़ेगा । यह कार्य सरल नहीं है क्योंकि पद, प्रतिष्ठा और धन छोड़कर ही ज्ञानसाधना हो सकती है ऐसी आज स्थिति है । दूसरी ओर ज्ञानसाधना करने वालों का पूर्ण सम्मान और सुरक्षा, प्रतिष्ठा और आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके ऐसे धनवान लोगों का भी आवाहन करना होगा । अर्थ से विद्या श्रेष्ठ है इस सूत्र को स्वीकृत बनाने से ही यह कार्य हो सकता है ।
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१८. इसके लिये हमें वर्तमान रचना के समान्तर एक स्वतन्त्र और स्वायत्त रचना निर्माण करने की भी आवश्यकता पड़ेगी । अध्ययन और अनुसन्धान करने वाले बुद्धिमान और राष्ट्रभक्‍्त तरुणों को ज्ञानसाधना करने हेतु आवाहन करना पड़ेगा । यह कार्य सरल नहीं है क्योंकि पद, प्रतिष्ठा और धन छोड़कर ही ज्ञानसाधना हो सकती है ऐसी आज स्थिति है । दूसरी ओर ज्ञानसाधना करने वालों का पूर्ण सम्मान और सुरक्षा, प्रतिष्ठा और आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके ऐसे धनवान लोगोंं का भी आवाहन करना होगा । अर्थ से विद्या श्रेष्ठ है इस सूत्र को स्वीकृत बनाने से ही यह कार्य हो सकता है ।
    
नये पाठ्यक्रमों के लिये हमें नयी अध्ययन सामग्री भी तैयार करनी पड़ेगी । हमारे शाश्वत सिद्धान्तों को समाहित करने वाले शास्त्र ग्रन्थों का अध्ययन कर उनके आधार पर वर्तमान युग के अनुरूप साहित्य निर्माण करने का कार्य भी करना होगा । उसी समय विश्व के ज्ञान प्रवाहों से अवगत रहते हुए उनका समायोजन हमारी ज्ञानधारा से कर उसे समृद्ध भी बनाना होगा । संक्षेप में विपुल साहित्य निर्माण हमारा दूसरा कार्य होगा ।
 
नये पाठ्यक्रमों के लिये हमें नयी अध्ययन सामग्री भी तैयार करनी पड़ेगी । हमारे शाश्वत सिद्धान्तों को समाहित करने वाले शास्त्र ग्रन्थों का अध्ययन कर उनके आधार पर वर्तमान युग के अनुरूप साहित्य निर्माण करने का कार्य भी करना होगा । उसी समय विश्व के ज्ञान प्रवाहों से अवगत रहते हुए उनका समायोजन हमारी ज्ञानधारा से कर उसे समृद्ध भी बनाना होगा । संक्षेप में विपुल साहित्य निर्माण हमारा दूसरा कार्य होगा ।
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=== स्वतन्त्र प्रयोग ===
 
=== स्वतन्त्र प्रयोग ===
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१९, शिक्षा के ऐसे प्रयोग भी करने होंगे जहाँ हम पूर्ण रूप  से धार्मिक ज्ञानधारा पर आधारित शिक्षा दे सकें । ऐसे प्रयोग केन्द्र चलाने के लिये संस्थासंचालक, शिक्षक और अभिभावकों का एक परस्पर अनुकूल मानस वाला समूह चाहिए । ऐसे प्रयोग केन्द्र प्रथम तो प्रयोग के रूप में ही चलेंगे परंतु बाद में स्थान स्थान पर चलने चाहिये । वे अनेक लोगों के द्वारा, अनेक स्थानों पर, विभिन्‍न प्रकार की परिस्थितियों में भी चलाये जा सकें ऐसे व्यावहारिक और लचीलापन लिये होने चाहिये । सर्वमान्य और सर्वस्वीकृत होने की क्षमता वाले होने चाहिये । व्यक्ति को और समाज को एक साथ लाभ करने वाले होने चाहिए ।
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१९, शिक्षा के ऐसे प्रयोग भी करने होंगे जहाँ हम पूर्ण रूप  से धार्मिक ज्ञानधारा पर आधारित शिक्षा दे सकें । ऐसे प्रयोग केन्द्र चलाने के लिये संस्थासंचालक, शिक्षक और अभिभावकों का एक परस्पर अनुकूल मानस वाला समूह चाहिए । ऐसे प्रयोग केन्द्र प्रथम तो प्रयोग के रूप में ही चलेंगे परंतु बाद में स्थान स्थान पर चलने चाहिये । वे अनेक लोगोंं के द्वारा, अनेक स्थानों पर, विभिन्‍न प्रकार की परिस्थितियों में भी चलाये जा सकें ऐसे व्यावहारिक और लचीलापन लिये होने चाहिये । सर्वमान्य और सर्वस्वीकृत होने की क्षमता वाले होने चाहिये । व्यक्ति को और समाज को एक साथ लाभ करने वाले होने चाहिए ।
    
=== परिवार शिक्षा और परिवार में शिक्षा ===
 
=== परिवार शिक्षा और परिवार में शिक्षा ===

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