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यहाँ के बच्चे-बच्चे में आपको जीवन के एक निश्चित उद्देश्य के प्रति स्पष्टता दिखाई देती है । उनमें स्वयं को पहचानने की क्षमता आ जाती है । जीवन में खुशी का क्या महत्व है, यह वे समझने लगते हैं । ऐसा आजकल के शहरी स्कूलों के बच्चों में दिखाई नहीं देता ।
 
यहाँ के बच्चे-बच्चे में आपको जीवन के एक निश्चित उद्देश्य के प्रति स्पष्टता दिखाई देती है । उनमें स्वयं को पहचानने की क्षमता आ जाती है । जीवन में खुशी का क्या महत्व है, यह वे समझने लगते हैं । ऐसा आजकल के शहरी स्कूलों के बच्चों में दिखाई नहीं देता ।
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ईशा होम स्कूल में शिक्षा बच्चों पर बोझ नहीं बल्कि उनके लिए तो शिक्षा आनन्द का विषय है। बच्चों में हमेशा नया कुछ जानने की तीव्र इच्छा रहती है और शिक्षकों में बच्चों को सिखाने का उत्साह और उमंग नज़र आता है । ईशा होम स्कूल का बच्चा-बच्चा फूल की तरह खिलता जाता है। यहाँ शिक्षा एक प्रेरणा है,सीखने का आनन्द है ।
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ईशा होम स्कूल में शिक्षा बच्चों पर बोझ नहीं बल्कि उनके लिए तो शिक्षा आनन्द का विषय है। बच्चों में सदा नया कुछ जानने की तीव्र इच्छा रहती है और शिक्षकों में बच्चों को सिखाने का उत्साह और उमंग नज़र आता है । ईशा होम स्कूल का बच्चा-बच्चा फूल की तरह खिलता जाता है। यहाँ शिक्षा एक प्रेरणा है,सीखने का आनन्द है ।
    
ईशा होम स्कूल में बच्चों को जीवन से जुड़ी अनेक बातों को, अनेक कलाओं को, जानने-सीखने का मौका मिलता है। यहाँ अध्यापन की अनेक नयी-नयी कल्पनाशील पद्धतियों को अपनाया जाता है,कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है । बच्चे सिर्फ़ पढ़ना-लिखना ही नहीं,गाय के थनों से दूध दुहना भी सीखते हैं । वे जंगलों में ले जाकर, मोर देखते हैं, पक्षियों के गीत सुनते हैं, किसी भी स्थिति का सामना करने में सक्षम बनते हैं । गीत-संगीत, नृत्य जैसे विषय अनिवार्य हैं । प्रतिदिन एक- एक घंटा, गणित और अंग्रेजी सिखाने के लिए निश्चित किया गया है ।
 
ईशा होम स्कूल में बच्चों को जीवन से जुड़ी अनेक बातों को, अनेक कलाओं को, जानने-सीखने का मौका मिलता है। यहाँ अध्यापन की अनेक नयी-नयी कल्पनाशील पद्धतियों को अपनाया जाता है,कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है । बच्चे सिर्फ़ पढ़ना-लिखना ही नहीं,गाय के थनों से दूध दुहना भी सीखते हैं । वे जंगलों में ले जाकर, मोर देखते हैं, पक्षियों के गीत सुनते हैं, किसी भी स्थिति का सामना करने में सक्षम बनते हैं । गीत-संगीत, नृत्य जैसे विषय अनिवार्य हैं । प्रतिदिन एक- एक घंटा, गणित और अंग्रेजी सिखाने के लिए निश्चित किया गया है ।

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