१३. यन्त्र इंग्लैण्ड से भारत में आये । पूरी दुनिया में गये । जहाँ गये वहाँ सांस्कृतिक समस्यायें निर्माण करने लगे । पहली समस्या नौकरी की थी । कारखाने में मालिक तो एक ही होता है, शेष सारे छोटे बडे नौकर ही होते हैं । नौकरों में दो वर्ग होते हैं । एक होता है व्यवस्था देखने वाला और दूसरा उत्पादन के कार्य में प्रत्यक्ष लगा हुआ जिसे कारीगर, कामगार या मजदूर कहा जाता है । अर्थात् एक है प्रत्यक्ष काम करनेवाला, दूसरा काम करवाने वाला और तीसरा दोनों को वेतन देने वाला मालिक । नौकरों की दो श्रेणियाँ बनीं । काम नहीं करने वाला काम करनेवाले का नियमन करता है । नियन्त्रण करता है, उसे डाँटता है, उसका अपमान भी करता है, उसे हीन समझता है । काम करनेवाला कनिष्ठ है, करवाने वाला श्रेष्ठ है परन्तु दोनों वेतन भोगी हैं, कारखाने के मालिक के नौकर हैं । | १३. यन्त्र इंग्लैण्ड से भारत में आये । पूरी दुनिया में गये । जहाँ गये वहाँ सांस्कृतिक समस्यायें निर्माण करने लगे । पहली समस्या नौकरी की थी । कारखाने में मालिक तो एक ही होता है, शेष सारे छोटे बडे नौकर ही होते हैं । नौकरों में दो वर्ग होते हैं । एक होता है व्यवस्था देखने वाला और दूसरा उत्पादन के कार्य में प्रत्यक्ष लगा हुआ जिसे कारीगर, कामगार या मजदूर कहा जाता है । अर्थात् एक है प्रत्यक्ष काम करनेवाला, दूसरा काम करवाने वाला और तीसरा दोनों को वेतन देने वाला मालिक । नौकरों की दो श्रेणियाँ बनीं । काम नहीं करने वाला काम करनेवाले का नियमन करता है । नियन्त्रण करता है, उसे डाँटता है, उसका अपमान भी करता है, उसे हीन समझता है । काम करनेवाला कनिष्ठ है, करवाने वाला श्रेष्ठ है परन्तु दोनों वेतन भोगी हैं, कारखाने के मालिक के नौकर हैं । |