'''२. दूसरा तप लोकमत परिष्कार''' : शिक्षा सर्वजन समाज के लिए होती है। सर्वजन का प्रबोधन करना, शिक्षा के नये प्रतिमान को समाज से स्वीकृति दिलवाना, लोकजीवन में विद्यमान रूढि, कर्मकांड, अन्धश्रद्धा को परिष्कृत करना भी शिक्षा का कार्य है । अतः लोकमत परिष्कार या लोक शिक्षा, यह दूसरा चरण होगा। | '''२. दूसरा तप लोकमत परिष्कार''' : शिक्षा सर्वजन समाज के लिए होती है। सर्वजन का प्रबोधन करना, शिक्षा के नये प्रतिमान को समाज से स्वीकृति दिलवाना, लोकजीवन में विद्यमान रूढि, कर्मकांड, अन्धश्रद्धा को परिष्कृत करना भी शिक्षा का कार्य है । अतः लोकमत परिष्कार या लोक शिक्षा, यह दूसरा चरण होगा। |