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| ;# Kalaateeta (कालातीतः) ॥ Mis-timed or delayed hetu. कालात्ययापदिष्टः कालातीतः ॥ ९॥ {कालातीतलक्षणम्} | | ;# Kalaateeta (कालातीतः) ॥ Mis-timed or delayed hetu. कालात्ययापदिष्टः कालातीतः ॥ ९॥ {कालातीतलक्षणम्} |
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− | ; 14. '''च्छलः ॥ Chhala (Minor criticism)''': It consists in opposing a proposition by assigning to it a meaning other than the one intended. It is of three kinds. | + | ; 14. '''च्छलः ॥ Chhala (Minor deception)''': It consists in opposing a proposition by assigning to it a meaning other than the one intended. It is of three kinds. |
| <blockquote>वचनविघातः अर्थविकल्पोपपत्त्या छलम् ॥१०॥{छललक्षणम्} (Nyay. Sutr. 1.2.10)<ref name=":0" /> </blockquote><blockquote>तत्त्रिविधं वाक्छलं सामान्यच्छलं उपचारच्छलं च इति ॥११॥ {छलभेदौद्देशसूत्रम्}</blockquote> | | <blockquote>वचनविघातः अर्थविकल्पोपपत्त्या छलम् ॥१०॥{छललक्षणम्} (Nyay. Sutr. 1.2.10)<ref name=":0" /> </blockquote><blockquote>तत्त्रिविधं वाक्छलं सामान्यच्छलं उपचारच्छलं च इति ॥११॥ {छलभेदौद्देशसूत्रम्}</blockquote> |
− | ;# Vakchhala <blockquote>अविशेषाभिहिते अर्थे वक्तुः अभिप्रायातर्थान्तरकल्पना वाक्छलम् ॥१२॥ {वाक्छललक्षणम्}</blockquote> | + | ;# Vakchhala <blockquote>Consists in assuming a meaning other than that intended to be conveyed by a word अविशेषाभिहिते अर्थे वक्तुः अभिप्रायातर्थान्तरकल्पना वाक्छलम् ॥१२॥ {वाक्छललक्षणम्}</blockquote> |
− | ;# Samanya chhala <blockquote>सम्भवतः अर्थस्य अतिसामान्ययोगातसम्भूतार्थकल्पना सामान्यच्छलम् ॥१३॥ {सामान्यच्छललक्षणम्} </blockquote> | + | ;# Samanya chhala <blockquote>Generalizing form of chhala consists in the urging of an absurd signification, which is rendered possible by the use of a too generic term. सम्भवतः अर्थस्य अतिसामान्ययोगातसम्भूतार्थकल्पना सामान्यच्छलम् ॥१३॥ {सामान्यच्छललक्षणम्} </blockquote> |
| ;# Upachara Chhala <blockquote>धर्मविकल्पनिर्देशे अर्थसद्भावप्रतिषेधः उपचारच्छलम् ॥१४॥ {उपचारच्छललक्षणम्}</blockquote> | | ;# Upachara Chhala <blockquote>धर्मविकल्पनिर्देशे अर्थसद्भावप्रतिषेधः उपचारच्छलम् ॥१४॥ {उपचारच्छललक्षणम्}</blockquote> |
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− | ; 15. '''जातिः ॥ Jati (Refutation)''': | + | ; 15. '''जातिः ॥ Jati (Refutation)''': Refutation is that objection which is taken on the basis of mere similarity and dissimilarity. |
− | साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां प्रत्यवस्थानं जातिः ॥ १८ ॥ {जातिलक्षणम्} | + | <blockquote>साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां प्रत्यवस्थानं जातिः॥१८॥ {जातिलक्षणम्}</blockquote> |
− | ; 16. '''निग्रहस्थान ॥ Nigrahasthana (Points of opponent's defeat)''' : | + | ; 16. '''निग्रहस्थानम् ॥ Nigrahasthana (Points of opponent's defeat)''' : Nigrahastana is when there is Misapprehension and Incomprehension. Misapprehension is that comprehension which is either wrong or reprehensible. Incomprehension is when a person does not say anything in the instance where it is required of him to say so. Both these leads a man to defeat. |
− | विप्रतिपत्तिः अप्रतिपत्तिः च निग्रहस्थानम् ॥ १९ ॥ {निग्रहस्थानलक्षणम्} तद्विकल्पात्जातिनिग्रहस्थानबहुत्वम् ॥ २० ॥ {निग्रहस्थानबहुत्वसूत्रम्} | + | <blockquote>विप्रतिपत्तिः अप्रतिपत्तिः च निग्रहस्थानम् ॥१९॥ {निग्रहस्थानलक्षणम्} तद्विकल्पात्जातिनिग्रहस्थानबहुत्वम् ॥२०॥ {निग्रहस्थानबहुत्वसूत्रम्}</blockquote> |
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| == Vaiseshika Padarthas == | | == Vaiseshika Padarthas == |
− | 6 Padarthas definition and [https://archive.org/details/thevaiasesikasut00kanauoft/page/8 translation] | + | 6 Padarthas definition and translation |
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| धर्मविशेष प्रसूतात् द्रव्यगुणकर्मसामान्य विशेषसमवायानां पदार्थानां साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां तत्त्वज्ञानान्निःश्रेयसम् । वैशेषिक-१,१.४ । | | धर्मविशेष प्रसूतात् द्रव्यगुणकर्मसामान्य विशेषसमवायानां पदार्थानां साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां तत्त्वज्ञानान्निःश्रेयसम् । वैशेषिक-१,१.४ । |