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३८. इस दृष्टि से हमें मानसिक और बौद्धिक स्तर पर उपाय करने होंगे । अपने आपको बदलने का पुरुषार्थ करना होगा । ज्ञानसाधना करनी होगी । आगामी अध्यायों में इसी विषय की चर्चा होगी ।
३८. इस दृष्टि से हमें मानसिक और बौद्धिक स्तर पर उपाय करने होंगे । अपने आपको बदलने का पुरुषार्थ करना होगा । ज्ञानसाधना करनी होगी । आगामी अध्यायों में इसी विषय की चर्चा होगी ।
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[[Category:धार्मिक शिक्षा ग्रंथमाला 4: पश्चिमीकरण से धार्मिक शिक्षा की मुक्ति]]