Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 611: Line 611:  
10. प्राथमिक विद्यालय चरित्रनिर्माण, सामान्य ज्ञान और कुशलताओं के विकास का क्षेत्र है। चरित्रनिर्माण मातापिता और धर्माचार्य कर सकते हैं । सामान्य ज्ञान शिक्षक दे सकते हैं। कुशलताओं का विकास अर्थार्जन हेतु तथा गृहस्थाश्रम चलाने हेतु आवश्यक है। इसमें से एक भी काम सरकार का नहीं है। मातापिता, धर्माचार्य, शिक्षक और उद्योजक मिलकर इसकी व्यवस्था करें यह अपक्षित है।  
 
10. प्राथमिक विद्यालय चरित्रनिर्माण, सामान्य ज्ञान और कुशलताओं के विकास का क्षेत्र है। चरित्रनिर्माण मातापिता और धर्माचार्य कर सकते हैं । सामान्य ज्ञान शिक्षक दे सकते हैं। कुशलताओं का विकास अर्थार्जन हेतु तथा गृहस्थाश्रम चलाने हेतु आवश्यक है। इसमें से एक भी काम सरकार का नहीं है। मातापिता, धर्माचार्य, शिक्षक और उद्योजक मिलकर इसकी व्यवस्था करें यह अपक्षित है।  
   −
11. शैक्षिक संगठन यदि केन्द्रवर्ती भूमिका निभाते हैं तो यह कार्य सरल होगा। प्राथमिक शिक्षा के तंन्त्र की पुनर्रचना होना अत्यन्त आवश्यक है इस बात से तो सबकी सहमति है । किसी को अग्रेसर होना है । किसी एक व्यक्ति के अग्रसर होने से यह बात बनेगी नहीं । व्यक्ति या व्यक्तिसमूह से या छोटी संस्थाओं से होने
+
11. शैक्षिक संगठन यदि केन्द्रवर्ती भूमिका निभाते हैं तो यह कार्य सरल होगा। प्राथमिक शिक्षा के तंन्त्र की पुनर्रचना होना अत्यन्त आवश्यक है इस बात से तो सबकी सहमति है । किसी को अग्रेसर होना है । किसी एक व्यक्ति के अग्रसर होने से यह बात बनेगी नहीं । व्यक्ति या व्यक्तिसमूह से या छोटी संस्थाओं से होने वाला यह काम नहीं है। शिक्षक संगठनों ने धुरी बनकर सम्बन्धित घटकों की सहमति बनानी होगी, सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। बलशाली पर्याय तैयार करने के बाद सरकार से भी बात करनी होगी।
 +
 
 +
12. कोई कारण नहीं कि सरकार इससे सहमत न हो । सरकार भी इस बाध्यता से मुक्त होना चाहेगी। शैक्षिक संगठनों का दायित्व है कि वे सरकार को इस बोज से मुक्त करें, समाज को उसके दायित्व का बोध करायें, धर्माचार्यों को देश के संस्कारों की चिन्ता करने हेतु निवेदन करें, मातापिता और उद्योगगृहों को कौशल विकास के दायित्व का स्वीकार करने हेतु सिद्द करें।
 +
 
 +
सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की दुर्गति को देखकर यदि इस प्रकार के उपाय करने का मानस बनता है तो अच्छा परिणाम मिल सकता है । शिक्षा की गाडी सही पटरी पर चढ सकती है और शिक्षाक्षेत्र की सेवा हो सकती है।
    
कानून, सुविधा, सामग्री, fem, (२) पढ़ाने न पढ़ाने का मूल्यांकन करने की पद्धति अत्यन्त
 
कानून, सुविधा, सामग्री, fem, (२) पढ़ाने न पढ़ाने का मूल्यांकन करने की पद्धति अत्यन्त
1,815

edits

Navigation menu