8. सारी शिक्षा निःशुल्क दी जाय इसका भी आग्रह बढना चाहिये । शिक्षा देना पुण्य का काम है, इसके कोई पैसे लेगा नहीं, पैसे लेना हीनता है ऐसी भावना प्रचलित होनी चाहिये।
8. सारी शिक्षा निःशुल्क दी जाय इसका भी आग्रह बढना चाहिये । शिक्षा देना पुण्य का काम है, इसके कोई पैसे लेगा नहीं, पैसे लेना हीनता है ऐसी भावना प्रचलित होनी चाहिये।
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9. शिक्षा पारिवारिक मामला है, साथ ही धर्मक्षेत्र का भी मामला है । देश के धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों को देश की शिक्षा का दायित्व लेना चाहिये । सरकार की सहायता की अपेक्षा नहीं करनी चाहिये, सरकारी दखल भी नहीं होने देनी चाहिये । समाज का भला हो
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9. शिक्षा पारिवारिक मामला है, साथ ही धर्मक्षेत्र का भी मामला है । देश के धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों को देश की शिक्षा का दायित्व लेना चाहिये । सरकार की सहायता की अपेक्षा नहीं करनी चाहिये, सरकारी दखल भी नहीं होने देनी चाहिये । समाज का भला हो ऐसी भावना से ही यह काम चलना चाहिये।
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10. प्राथमिक विद्यालय चरित्रनिर्माण, सामान्य ज्ञान और कुशलताओं के विकास का क्षेत्र है। चरित्रनिर्माण मातापिता और धर्माचार्य कर सकते हैं । सामान्य ज्ञान शिक्षक दे सकते हैं। कुशलताओं का विकास अर्थार्जन हेतु तथा गृहस्थाश्रम चलाने हेतु आवश्यक है। इसमें से एक भी काम सरकार का नहीं है। मातापिता, धर्माचार्य, शिक्षक और उद्योजक मिलकर इसकी व्यवस्था करें यह अपक्षित है।
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11. शैक्षिक संगठन यदि केन्द्रवर्ती भूमिका निभाते हैं तो यह कार्य सरल होगा। प्राथमिक शिक्षा के तंन्त्र की पुनर्रचना होना अत्यन्त आवश्यक है इस बात से तो सबकी सहमति है । किसी को अग्रेसर होना है । किसी एक व्यक्ति के अग्रसर होने से यह बात बनेगी नहीं । व्यक्ति या व्यक्तिसमूह से या छोटी संस्थाओं से होने
कानून, सुविधा, सामग्री, fem, (२) पढ़ाने न पढ़ाने का मूल्यांकन करने की पद्धति अत्यन्त
कानून, सुविधा, सामग्री, fem, (२) पढ़ाने न पढ़ाने का मूल्यांकन करने की पद्धति अत्यन्त