व्यक्ति के भी समाज के अन्य घटकों के साथ जो परस्पर संबंध है उन के अनुसार व्यक्तिगत कर्तव्य भी होते है । जैसे पत्नी से संबंधित पति के कर्तव्यों को पतिधर्म कहा जाता है । पडोसी से संबंधित कर्तव्यों को पडोसीधर्म कहा जाता है । बेटे-बेटी के अपने मातापिता के प्रति कर्तव्य को पुत्रधर्म कहा जाता है । व्यापारी के ग्राहक के प्रति कर्तव्यों को व्यापारी धर्म कहा जाता है । सैनिक के अपने देश के प्रति कर्तव्यों को सैनिकधर्म कहा जाता है। | व्यक्ति के भी समाज के अन्य घटकों के साथ जो परस्पर संबंध है उन के अनुसार व्यक्तिगत कर्तव्य भी होते है । जैसे पत्नी से संबंधित पति के कर्तव्यों को पतिधर्म कहा जाता है । पडोसी से संबंधित कर्तव्यों को पडोसीधर्म कहा जाता है । बेटे-बेटी के अपने मातापिता के प्रति कर्तव्य को पुत्रधर्म कहा जाता है । व्यापारी के ग्राहक के प्रति कर्तव्यों को व्यापारी धर्म कहा जाता है । सैनिक के अपने देश के प्रति कर्तव्यों को सैनिकधर्म कहा जाता है। |