महाभारत में राज्य के निर्माण की आवश्यकता कैसे हुई इस बात का विवरण करते समय बताते हैं: <blockquote>न राज्यं न राजासित न दंण्डयो न च दाण्डिका: ।</blockquote><blockquote>धर्मेणप्रव प्रजास्सर्वं रक्षति स्म परस्परम् ।</blockquote>अर्थ : किसी समय पहले न कोई राजा था, न कोई दंडशक्ति थी । सारी प्रजा धर्मानुकूल जीवन जीती थी और परस्पर सुख सौहार्द्र से रहती थी।
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महाभारत में राज्य के निर्माण की आवश्यकता कैसे हुई इस बात का विवरण करते समय बताते हैं {{Citation needed}}: <blockquote>न राज्यं न राजासित न दंण्डयो न च दाण्डिका: ।</blockquote><blockquote>धर्मेणप्रव प्रजास्सर्वं रक्षति स्म परस्परम् ।</blockquote>अर्थ : किसी समय पहले न कोई राजा था, न कोई दंडशक्ति थी । सारी प्रजा धर्मानुकूल जीवन जीती थी और परस्पर सुख सौहार्द्र से रहती थी।
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यहाँ धर्म का अर्थ सामाजिक व्यवहार के नियमों से अर्थात आज की भाषा में कानून से ही है ।
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यहाँ धर्म का अर्थ सामाजिक व्यवहार के नियमों से अर्थात आज की भाषा में कानून से ही है ।