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अर्थात जिसके हाथ, पैर और मन अच्छी तरह से वशमें हों तथा जिसकी सभी क्रियाएँ निर्विकारभावसे सम्पन्न होती हों, वही तीर्थका पूर्ण फल प्राप्त करता है। श्री रामजी वनगमन के समय जहां-जहां वास किये वो सभी तीर्थ कहलाये, उनकी यात्रा के अन्तर्गत आने वाले तीर्थों की संख्या १०८ है - <blockquote>वनवासगतो रामो यत्र यत्र व्यवस्थितः। तानि चोक्तानि तीर्थानि शतमष्टोत्तरण क्षितौ॥ (बृहद्धर्म० पूर्व० १४)</blockquote>लंका से लौटते समय श्रीराम ने सीता जी को दिखाते हुए अपने पूर्व निवास स्थलों को एक-एककर गिनाया है। महाभारत-वनपर्वके अन्तर्गत तीर्थयात्रापर्वके ८२ से ९५ तकके अध्यायोंमें महर्षि पुलस्त्यने भीष्मसे, देवर्षि नारदने युधिष्ठिरसे तथा पद्मपुराण-आदिखण्ड (स्वर्गखण्ड) के १० से २८ तकके अध्यायोंमें महर्षि वसिष्ठने दिलीपसे एवं अन्यत्र भी वामन आदि पुराणोंमें कई स्थलोंपर तीर्थयात्रा करने का एक क्रम बतलाया है।
अर्थात जिसके हाथ, पैर और मन अच्छी तरह से वशमें हों तथा जिसकी सभी क्रियाएँ निर्विकारभावसे सम्पन्न होती हों, वही तीर्थका पूर्ण फल प्राप्त करता है। श्री रामजी वनगमन के समय जहां-जहां वास किये वो सभी तीर्थ कहलाये, उनकी यात्रा के अन्तर्गत आने वाले तीर्थों की संख्या १०८ है - <blockquote>वनवासगतो रामो यत्र यत्र व्यवस्थितः। तानि चोक्तानि तीर्थानि शतमष्टोत्तरण क्षितौ॥ (बृहद्धर्म० पूर्व० १४)</blockquote>लंका से लौटते समय श्रीराम ने सीता जी को दिखाते हुए अपने पूर्व निवास स्थलों को एक-एककर गिनाया है। महाभारत-वनपर्वके अन्तर्गत तीर्थयात्रापर्वके ८२ से ९५ तकके अध्यायोंमें महर्षि पुलस्त्यने भीष्मसे, देवर्षि नारदने युधिष्ठिरसे तथा पद्मपुराण-आदिखण्ड (स्वर्गखण्ड) के १० से २८ तकके अध्यायोंमें महर्षि वसिष्ठने दिलीपसे एवं अन्यत्र भी वामन आदि पुराणोंमें कई स्थलोंपर तीर्थयात्रा करने का एक क्रम बतलाया है।
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वर्तमान में पर्यावरण संकट जैसे वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग), जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत क्षरण आदि पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान हेतु प्रकृति का संरक्षण नितांत आवश्यक है।
==उद्धरण॥ References==
==उद्धरण॥ References==
[[Category:Hindi Articles]]
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<references />
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