Changes

Jump to navigation Jump to search
सुधार जारि
Line 3: Line 3:  
==परिचय==
 
==परिचय==
 
वास्तुशास्त्र अथवा स्थापत्य शास्त्र एक ही माना जाता है। यह वेदों में अथर्ववेद का उपवेद माना गया है। वेद, पुराण, रामायण एवं महाभारत आदि में विश्वकर्मा को देवों ने स्थपति के रूप में स्थापित किया है। स्थापत्य वेद में नगरविन्यास , ग्रामविन्यास , जनभवन , राजभवन , देवभवन आदि के निर्माण से संबंधित वर्णन को तो सब जानते ही हैं, उसके साथ-साथ शय्यानिर्माण, आसनरचना, आभूषणनिर्माण , आयुधनिर्माण , अनेक प्रकार के चित्र-निर्माण , प्रतिमारचना, अनेक प्रकार के यंत्रों की रचना तथा अनेक प्रकार के स्थापत्यकौशल का वर्णन स्थापत्यवेद तथा उसी से उद्भूत वास्तुशास्त्र के विविध ग्रंथों में प्राप्त होता है। इस वेद में मुख्य रूप से भवन-निर्माण से सम्बन्धित भारतीय सिद्धान्तों के मूल विद्यमान है। इसी स्थापत्यवेद से उद्भूत यह विज्ञान कालान्तर में वास्तुशास्त्र के रूप में प्रख्यात हो गया।  
 
वास्तुशास्त्र अथवा स्थापत्य शास्त्र एक ही माना जाता है। यह वेदों में अथर्ववेद का उपवेद माना गया है। वेद, पुराण, रामायण एवं महाभारत आदि में विश्वकर्मा को देवों ने स्थपति के रूप में स्थापित किया है। स्थापत्य वेद में नगरविन्यास , ग्रामविन्यास , जनभवन , राजभवन , देवभवन आदि के निर्माण से संबंधित वर्णन को तो सब जानते ही हैं, उसके साथ-साथ शय्यानिर्माण, आसनरचना, आभूषणनिर्माण , आयुधनिर्माण , अनेक प्रकार के चित्र-निर्माण , प्रतिमारचना, अनेक प्रकार के यंत्रों की रचना तथा अनेक प्रकार के स्थापत्यकौशल का वर्णन स्थापत्यवेद तथा उसी से उद्भूत वास्तुशास्त्र के विविध ग्रंथों में प्राप्त होता है। इस वेद में मुख्य रूप से भवन-निर्माण से सम्बन्धित भारतीय सिद्धान्तों के मूल विद्यमान है। इसी स्थापत्यवेद से उद्भूत यह विज्ञान कालान्तर में वास्तुशास्त्र के रूप में प्रख्यात हो गया।  
 +
 +
शुक्रनीति में कहा गया है कि 'जिसमें प्रासाद प्रतिमा, उद्यान गृह, बावडी आदि का सुन्दर रीति से निर्माण तथा संस्कार करने की विधि का वर्णन हो, उसे महर्षियों ने शिल्पशास्त्र कहा है -  <blockquote>प्रासादप्रतिमाराम गृहवाप्यादिसत्कृतिः। कथिता यत्र तच्छिल्पशास्त्रमुक्तं महर्षिभिः॥ (शुक्रनीति-४,४०) </blockquote>
    
==परिभाषा==
 
==परिभाषा==
922

edits

Navigation menu