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| #आयुर्वेद - धन्वन्तरि जी ने इसे ऋग्वेद से निकाला था। | | #आयुर्वेद - धन्वन्तरि जी ने इसे ऋग्वेद से निकाला था। |
| #स्थापत्य - विश्वकर्मा ने अथर्ववेद से निकाला था। | | #स्थापत्य - विश्वकर्मा ने अथर्ववेद से निकाला था। |
− | श्रीमद्भागवत महापुराण में इस प्रकार कहा है - <blockquote>ऋग्यजुःसामाथर्वाख्यान् वेदान् पूर्वादिभिर्मुखैः। शास्त्रमिज्यां स्तुतिस्तोमं प्रायश्चित्तं व्यधात्क्रमात् ॥ | + | श्रीमद्भागवत महापुराण में इस प्रकार कहा है - <blockquote>ऋग्यजुःसामाथर्वाख्यान् वेदान् पूर्वादिभिर्मुखैः। शास्त्रमिज्यां स्तुतिस्तोमं प्रायश्चित्तं व्यधात्क्रमात् ॥ आयुर्वेदं धनुर्वेदं गान्धर्वं वेदमात्मनः। स्थापत्यं चासृजद् वेदं क्रमात् पूर्वादिभिर्मुखैः॥ (भागवत पुराण)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%AE%E0%A5%8D/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%83_%E0%A5%A9/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83_%E0%A5%A7%E0%A5%A8 श्रीमद्भागवत महापुराण] , स्कन्ध-३, अध्याय- १२, श्लोक - ३७/३८।</ref></blockquote>अथर्ववेद में एक पूरा सूक्त गृह-निर्माण विषय पर है। इसमें मकान के बनाने, कमरों की व्यवस्था, आँगन आदि का उल्लेख है। दो कमरे से लेकर दस कमरे वाले भवन के निर्माण का उल्लेख है। किस-किस कार्य के लिये कौन से कमरे हों, इसका भी संकेत है। द्वार, खिडकियाँ, छत आदि कैसी हों, इसका भी वर्णन है। |
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− | आयुर्वेदं धनुर्वेदं गान्धर्वं वेदमात्मनः। स्थापत्यं चासृजद् वेदं क्रमात् पूर्वादिभिर्मुखैः॥ (भागवत पुराण)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%AE%E0%A5%8D/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%83_%E0%A5%A9/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83_%E0%A5%A7%E0%A5%A8 श्रीमद्भागवत महापुराण] , स्कन्ध-३, अध्याय- १२, श्लोक - ३७/३८।</ref></blockquote>अथर्ववेद में एक पूरा सूक्त गृह-निर्माण विषय पर है। इसमें मकान के बनाने, कमरों की व्यवस्था, आँगन आदि का उल्लेख है। दो कमरे से लेकर दस कमरे वाले भवन के निर्माण का उल्लेख है। किस-किस कार्य के लिये कौन से कमरे हों, इसका भी संकेत है। द्वार, खिडकियाँ, छत आदि कैसी हों, इसका भी वर्णन है। | |
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| ==स्थापत्यवेद का महत्व == | | ==स्थापत्यवेद का महत्व == |
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| # '''ज्योतिष एवं नीतिग्रन्थ -''' वराहमिहिर की बृहत्संहिता, कौटिल्य अर्थशास्त्र एवं शुक्रनीतिसार। | | # '''ज्योतिष एवं नीतिग्रन्थ -''' वराहमिहिर की बृहत्संहिता, कौटिल्य अर्थशास्त्र एवं शुक्रनीतिसार। |
| # '''वास्तुशास्त्र के प्रमुख ग्रन्थ -''' वास्तुशास्त्र पर उपलब्ध २४ ग्रन्थ हैं। इनमें भी प्रमुख ग्रन्थ ये हैं - राजा भोजदेव कृत - समरांगणसूत्रधार, मानसार, मयमत, बृहत्शिल्पशास्त्र, वास्तुशास्त्र (विश्वकर्मा)। | | # '''वास्तुशास्त्र के प्रमुख ग्रन्थ -''' वास्तुशास्त्र पर उपलब्ध २४ ग्रन्थ हैं। इनमें भी प्रमुख ग्रन्थ ये हैं - राजा भोजदेव कृत - समरांगणसूत्रधार, मानसार, मयमत, बृहत्शिल्पशास्त्र, वास्तुशास्त्र (विश्वकर्मा)। |
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| + | == सारांश == |
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| ==उद्धरण== | | ==उद्धरण== |