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!पर्व
 
!पर्व
 
!पुण्यकाल
 
!पुण्यकाल
!श्राद्ध
   
!दानादि विधान
 
!दानादि विधान
 
!ग्रन्थ
 
!ग्रन्थ
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|पौष,शुक्ल,एकादशी
 
|पौष,शुक्ल,एकादशी
 
|धर्मसावर्णी मन्वादि
 
|धर्मसावर्णी मन्वादि
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|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
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|पौष, कृष्ण, सप्तमी
 
|पौष, कृष्ण, सप्तमी
 
|पूर्वेद्युः
 
|पूर्वेद्युः
|
   
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|पौष, कृष्ण, अष्टमी
 
|पौष, कृष्ण, अष्टमी
 
|अन्वष्टका
 
|अन्वष्टका
|
   
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|मकर संक्रान्ति
 
|मकर संक्रान्ति
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Line 220: Line 214:  
|माघ,कृष्ण, अमावस्या
 
|माघ,कृष्ण, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
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|व्यतीपात
 
|व्यतीपात
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Line 240: Line 232:  
|माघ,शुक्ल,सप्तमी
 
|माघ,शुक्ल,सप्तमी
 
|ब्रह्मसावर्णी मन्वादि
 
|ब्रह्मसावर्णी मन्वादि
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|
 
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|वैधृति
 
|वैधृति
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Line 260: Line 250:  
|माघ, कृष्ण, सप्तमी
 
|माघ, कृष्ण, सप्तमी
 
|पूर्वेद्युः
 
|पूर्वेद्युः
|
   
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Line 270: Line 259:  
|माघ, कृष्ण, अष्टमी
 
|माघ, कृष्ण, अष्टमी
 
|अन्वष्टका
 
|अन्वष्टका
|
   
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|
 
|कुम्भ संक्रान्ति
 
|कुम्भ संक्रान्ति
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|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
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Line 300: Line 286:  
|फाल्गुन, कृष्ण, अमावस्या
 
|फाल्गुन, कृष्ण, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
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|
 
|द्वापर युगादि
 
|द्वापर युगादि
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|
 
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|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
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Line 330: Line 313:  
|फाल्गुन,शुक्ल,पूर्णिमा
 
|फाल्गुन,शुक्ल,पूर्णिमा
 
|सावर्णी मन्वादि
 
|सावर्णी मन्वादि
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Line 340: Line 322:  
|फाल्गुन,कृष्ण,  सप्तमी
 
|फाल्गुन,कृष्ण,  सप्तमी
 
|अष्टका पूर्वेद्युः
 
|अष्टका पूर्वेद्युः
|
   
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|
 
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Line 350: Line 331:  
|फाल्गुन, कृष्ण, अष्टमी
 
|फाल्गुन, कृष्ण, अष्टमी
 
|अन्वष्टका
 
|अन्वष्टका
|
   
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Line 360: Line 340:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
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|मीन संक्रान्ति
 
|मीन संक्रान्ति
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Line 380: Line 358:  
|चैत्र, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|चैत्र, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
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|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
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Line 400: Line 376:  
|चैत्र शुक्लपक्ष तृतीया
 
|चैत्र शुक्लपक्ष तृतीया
 
|स्वायम्भुव मन्वादि
 
|स्वायम्भुव मन्वादि
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Line 410: Line 385:  
|चैत्र शुक्लपक्ष पूर्णिमा
 
|चैत्र शुक्लपक्ष पूर्णिमा
 
|स्वारोचिष मन्वादि
 
|स्वारोचिष मन्वादि
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Line 420: Line 394:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
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Line 430: Line 403:  
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|
 
|मेष संक्रान्ति
 
|मेष संक्रान्ति
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|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
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Line 450: Line 421:  
|वैशाख, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|वैशाख, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
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|
 
|
 
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Line 460: Line 430:  
|
 
|
 
|त्रेता युगादि
 
|त्रेता युगादि
|
   
|
 
|
 
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Line 470: Line 439:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
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|
 
|
 
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Line 480: Line 448:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
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|
 
|
Line 490: Line 457:  
|
 
|
 
|वृषभ संक्रान्ति
 
|वृषभ संक्रान्ति
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 500: Line 466:  
|ज्येष्ठ,कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|ज्येष्ठ,कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 510: Line 475:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
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|
 
|
 
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Line 520: Line 484:  
|ज्येष्ठ,शुक्ल पूर्णिमा
 
|ज्येष्ठ,शुक्ल पूर्णिमा
 
|वैवस्वत मन्वादि
 
|वैवस्वत मन्वादि
|
   
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|
 
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Line 530: Line 493:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
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Line 540: Line 502:  
|
 
|
 
|मिथुन संक्रान्ति
 
|मिथुन संक्रान्ति
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 550: Line 511:  
|आषाढ, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|आषाढ, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 560: Line 520:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
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|
 
|
 
|
Line 570: Line 529:  
|आषाढ, शुक्ल दशमी
 
|आषाढ, शुक्ल दशमी
 
|रैवत मन्वादि
 
|रैवत मन्वादि
|
   
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|
 
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Line 580: Line 538:  
|आषाढ, शुक्ल, पूर्णिमा
 
|आषाढ, शुक्ल, पूर्णिमा
 
|चाक्षुष मन्वादि
 
|चाक्षुष मन्वादि
|
   
|
 
|
 
|
 
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Line 590: Line 547:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 600: Line 556:  
|श्रावण, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|श्रावण, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 610: Line 565:  
|
 
|
 
|कर्क संक्रान्ति
 
|कर्क संक्रान्ति
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 620: Line 574:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 630: Line 583:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
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Line 640: Line 592:  
|
 
|
 
|व्य्तीपात योग
 
|व्य्तीपात योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 650: Line 601:  
|श्रावण, कृष्ण पक्ष(अधिक मास) अमावस्या
 
|श्रावण, कृष्ण पक्ष(अधिक मास) अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
|
   
|
 
|
 
|
 
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Line 660: Line 610:  
|
 
|
 
|सिंह संक्रान्ति
 
|सिंह संक्रान्ति
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 670: Line 619:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 680: Line 628:  
|भाद्रपद,कृष्ण, अष्टमी
 
|भाद्रपद,कृष्ण, अष्टमी
 
|इन्द्रसावर्णि मन्वादि
 
|इन्द्रसावर्णि मन्वादि
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 690: Line 637:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 700: Line 646:  
|भाद्रपद, कृष्ण, अमावस्या
 
|भाद्रपद, कृष्ण, अमावस्या
 
|दैवसावर्णि मन्वादि
 
|दैवसावर्णि मन्वादि
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 710: Line 655:  
|भाद्रपद, कृष्ण, अमावस्या
 
|भाद्रपद, कृष्ण, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 720: Line 664:  
|
 
|
 
|कन्या संक्रान्ति
 
|कन्या संक्रान्ति
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 730: Line 673:  
|भाद्रपद,शुक्ल,तृतीया
 
|भाद्रपद,शुक्ल,तृतीया
 
|रुद्रसावर्णि मन्वादि
 
|रुद्रसावर्णि मन्वादि
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 740: Line 682:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 750: Line 691:  
|भाद्रपद, शुक्ल, पूर्णिमा
 
|भाद्रपद, शुक्ल, पूर्णिमा
 
|पूर्णिमा श्राद्ध
 
|पूर्णिमा श्राद्ध
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 760: Line 700:  
|आश्विन, कृष्ण, प्रतिपदा
 
|आश्विन, कृष्ण, प्रतिपदा
 
|प्रतिपदा श्राद्ध
 
|प्रतिपदा श्राद्ध
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 770: Line 709:  
|आश्विन, कृष्ण,द्वितीया
 
|आश्विन, कृष्ण,द्वितीया
 
|द्वितीया
 
|द्वितीया
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 780: Line 718:  
|आश्विन, कृष्ण,तृतीया
 
|आश्विन, कृष्ण,तृतीया
 
|तृतीया
 
|तृतीया
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 790: Line 727:  
|आश्विन, कृष्ण, चतुर्थी
 
|आश्विन, कृष्ण, चतुर्थी
 
|चतुर्थी
 
|चतुर्थी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 800: Line 736:  
|आश्विन, कृष्ण, चतुर्थी(भरणी)
 
|आश्विन, कृष्ण, चतुर्थी(भरणी)
 
|महाभरणी
 
|महाभरणी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 810: Line 745:  
|आश्विन, कृष्ण,पञ्चमी
 
|आश्विन, कृष्ण,पञ्चमी
 
|पञ्चमी
 
|पञ्चमी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 820: Line 754:  
|आश्विन, कृष्ण, षष्ठी
 
|आश्विन, कृष्ण, षष्ठी
 
|षष्ठी
 
|षष्ठी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 830: Line 763:  
|आश्विन, कृष्ण, सप्तमी
 
|आश्विन, कृष्ण, सप्तमी
 
|सप्तमी
 
|सप्तमी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 840: Line 772:  
|आश्विन, कृष्ण, अष्टमी
 
|आश्विन, कृष्ण, अष्टमी
 
|अष्टमी
 
|अष्टमी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 850: Line 781:  
|आश्विन, कृष्ण, नवमी
 
|आश्विन, कृष्ण, नवमी
 
|नवमी
 
|नवमी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 860: Line 790:  
|आश्विन, कृष्ण, दशमी
 
|आश्विन, कृष्ण, दशमी
 
|दशमी
 
|दशमी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 870: Line 799:  
|आश्विन, कृष्ण, एकादशी
 
|आश्विन, कृष्ण, एकादशी
 
|एकादशी
 
|एकादशी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 880: Line 808:  
|आश्विन, कृष्ण, मघा श्राद्ध
 
|आश्विन, कृष्ण, मघा श्राद्ध
 
|मघा श्राद्ध
 
|मघा श्राद्ध
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 890: Line 817:  
|आश्विन, कृष्ण, द्वादशी
 
|आश्विन, कृष्ण, द्वादशी
 
|द्वादशी
 
|द्वादशी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 900: Line 826:  
|आश्विन, कृष्ण, त्रयोदशी
 
|आश्विन, कृष्ण, त्रयोदशी
 
|त्रयोदशी
 
|त्रयोदशी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 910: Line 835:  
|आश्विन, कृष्ण, चतुर्दशी
 
|आश्विन, कृष्ण, चतुर्दशी
 
|चतुर्दशी
 
|चतुर्दशी
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 920: Line 844:  
|आश्विन, कृष्ण, सर्वपितृ अमावस्या
 
|आश्विन, कृष्ण, सर्वपितृ अमावस्या
 
|अमावस्या
 
|अमावस्या
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 930: Line 853:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 940: Line 862:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 950: Line 871:  
|
 
|
 
|कलियुग
 
|कलियुग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 960: Line 880:  
|आश्विन, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|आश्विन, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 970: Line 889:  
|
 
|
 
|तुला संक्रान्ति
 
|तुला संक्रान्ति
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 980: Line 898:  
|आश्विन,शुक्ल,नवमी
 
|आश्विन,शुक्ल,नवमी
 
|दक्षसावर्णि मन्वादि
 
|दक्षसावर्णि मन्वादि
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 990: Line 907:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,000: Line 916:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,010: Line 925:  
|कार्तिक, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|कार्तिक, कृष्ण पक्ष, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,020: Line 934:  
|
 
|
 
|वृश्चिक संक्रान्ति
 
|वृश्चिक संक्रान्ति
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,030: Line 943:  
|
 
|
 
|सत युगादि
 
|सत युगादि
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,040: Line 952:  
|कार्तिक,शुक्ल द्वादशी
 
|कार्तिक,शुक्ल द्वादशी
 
|तामस मन्वादि
 
|तामस मन्वादि
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,050: Line 961:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,060: Line 970:  
|कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा
 
|कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा
 
|उत्तम मन्वादि
 
|उत्तम मन्वादि
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,070: Line 979:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,080: Line 988:  
|मार्गशीर्ष, कृष्ण, सप्तमी
 
|मार्गशीर्ष, कृष्ण, सप्तमी
 
|अष्टका पूर्वेद्युः  
 
|अष्टका पूर्वेद्युः  
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,090: Line 997:  
|मार्गशीर्ष, कृष्ण, अष्टमी
 
|मार्गशीर्ष, कृष्ण, अष्टमी
 
|अन्वष्टका
 
|अन्वष्टका
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,100: Line 1,006:  
|मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, अमावस्या
 
|मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, अमावस्या
 
|दर्श
 
|दर्श
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,110: Line 1,015:  
|
 
|
 
|धनु
 
|धनु
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,120: Line 1,024:  
|
 
|
 
|व्यतीपात योग
 
|व्यतीपात योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,130: Line 1,033:  
|
 
|
 
|वैधृति योग
 
|वैधृति योग
|
   
|
 
|
 
|
 
|
 
|
 
|
 
|-
 
|-
|
   
|
 
|
 
|
 
|
Line 1,145: Line 1,046:  
|
 
|
 
|}
 
|}
 +
 +
=== अन्य श्राद्ध योग्यानि महाफलप्रदानि श्राद्ध दिवसानि ===
 +
 +
== श्राद्ध के फल ==
 +
उत्तम संतान की प्राप्ति, आरोग्य ऐश्वर्य और आयुर्दाय का रक्षण, संतान की अभिवृद्धि, वेद अभिवृद्धि, सम्पत् प्राप्ति, श्रद्धा, बहु दान शीलत्व स्वभाव््््
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=== अशक्तस्य प्रत्यम्नायम् (श्राद्धस्पियृ तर्पण, त) ===
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तिल तर्पण, गोग्रास
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|सर्व अभीष्ट सिद्धि््
 
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== Indian Observatories (भारतीय वेधशालाएँ) ==
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ज्योतिषशास्त्र में वेध एवं वेधशालाओं का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। ब्रह्माण्ड में स्थित ग्रहनक्षत्रादि पिण्डों के अवलोकन को वेध कहते हैं।
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== परिचय ==
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भारतवर्ष में वेध परम्परा का प्रादुर्भाव वैदिक काल से ही आरम्भ हो गया था। कालान्तर में उसका क्रियान्वयन का स्वरूप समय-समय पर परिवर्तित होते रहा है। कभी तपोबल के द्वारा सभी ग्रहों की स्थितियों को जान लिया जाता था अनन्तर ग्रहों को प्राचीन वेध-यन्त्रों के द्वारा देखा जाने लगा।
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== परिभाषा ==
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वेध शब्द की निष्पत्ति विध् धातु से होती है। जिसका अर्थ है किसी आकाशीय ग्रह अथवा तारे को दृष्टि के द्वारा वेधना अर्थात् विद्ध करना। ग्रहों तथा तारों की स्थिति के ज्ञान हेतु आकाश में उन्हैं देखा जाता था। आकाश में ग्रहादिकों को देखकर उनकी स्थिति का निर्धारण ही वेध है।
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नग्ननेत्र या शलाका, यष्टि, नलिका, दूर्दर्शक इत्यादि यन्त्रोंके द्वारा आकाशीय पिण्डोंका निरीक्षण ही वेध है।<blockquote>वेधानां शाला इति वेधशाला।</blockquote>अर्थात् वह स्थान जहां ग्रहों के वेध, वेध-यन्त्रों द्वारा किया जाता है उसका नाम वेधशाला है।
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== वेधशालाओं की परम्परा ==
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प्राचीन भारत में कालगणना ज्योतिष एवं अंकगणित में भारत विश्वगुरु की पदवी पर था। इसी ज्ञान का उपयोग करते हुये १७२० से १७३० के बीच सवाई राजा जयसिंह(द्वितीय) जो दिल्ली के बादशाह मुहम्मदशाह के शासन काल में मालवा के गवर्नर थे। इन्होंने उत्तर भारत के पांच स्थानों उज्जैन, दिल्ली, जयपुर, मथुरा और वाराणसी में उन्नत यंत्रों एवं खगोलीय ज्ञान को प्राप्त करने वाली संस्थाओं का निर्माण किया जिन्हैं वेधशाला या जंतर-मंतर कहा जाता है।
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इन वेधशालाओं में राजा जयसिंह ने प्राचीन शास्त्र ज्ञान के साथ-साथ अपनी योग्यता से नये-नये यंत्रों का निर्माण करवा कर लगभग ८वर्षों तक स्वयं ने ग्रह नक्षत्रों का अध्ययन किया। इन वेधशालाओं में राजा जयसिंह ने सम्राट यंत्र, भ्रान्तिवृतयंत्र, चन्द्रयंत्र, दक्षिणोत्तर वृत्त यंत्र, दिगंशयंत्र, उन्नतांश यंत्र, कपाल यंत्र, नाडी वलय यंत्र, भित्ति यंत्र
    
== उद्धरण॥ References ==
 
== उद्धरण॥ References ==
 
[[Category:Vedangas]]
 
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