नाटक और आख्यायिका काव्यशास्त्र के पारिभाषिक शब्द हैं। नाट्य को दृश्य होने के कारण रूप कहा जाता है। संस्कृत वाङ्मय में इतिहासपुरुषों के जीवन को आख्यायिकाओं के माध्यम से संगृहीत किया गया है। आख्यानों के अभिनेय प्रसंगों का नटों द्वारा अभिनय भी किया जाता था। कृष्णलीला, हर-लीला, मदन-लीला आदि का भी अभिनय होता था। इस प्रकार यह कला कविहृदय के साथ संवाद स्थापित करने की और साहित्य के शिव तत्त्व से जीवन को मंगलमय बनाने की कला है। | नाटक और आख्यायिका काव्यशास्त्र के पारिभाषिक शब्द हैं। नाट्य को दृश्य होने के कारण रूप कहा जाता है। संस्कृत वाङ्मय में इतिहासपुरुषों के जीवन को आख्यायिकाओं के माध्यम से संगृहीत किया गया है। आख्यानों के अभिनेय प्रसंगों का नटों द्वारा अभिनय भी किया जाता था। कृष्णलीला, हर-लीला, मदन-लीला आदि का भी अभिनय होता था। इस प्रकार यह कला कविहृदय के साथ संवाद स्थापित करने की और साहित्य के शिव तत्त्व से जीवन को मंगलमय बनाने की कला है। |