हर राष्ट्र की जीवन की ओर देखने की दृष्टि भिन्न होती है। इसे उस राष्ट्र की जीवनदृष्टि कहते हैं। जीवनदृष्टि के अनुसार जब वह व्यवहार (कृति) करता है, तब वह राष्ट्र अपनी संस्कृति का निर्माण करता है। हर राष्ट्र की अपनी संस्कृति होती है। इस संस्कृति के अनुसार उस राष्ट्र का जीवन चलता है। | हर राष्ट्र की जीवन की ओर देखने की दृष्टि भिन्न होती है। इसे उस राष्ट्र की जीवनदृष्टि कहते हैं। जीवनदृष्टि के अनुसार जब वह व्यवहार (कृति) करता है, तब वह राष्ट्र अपनी संस्कृति का निर्माण करता है। हर राष्ट्र की अपनी संस्कृति होती है। इस संस्कृति के अनुसार उस राष्ट्र का जीवन चलता है। |