पुराण : इन की गिनती वैदिक साहित्य में नहीं की जाती । लेकिन इनके महत्व को समझकर इन्हें पंचमवेद कहा जाता है । पुराणम् पंचमो वेद: । पुराण भारत का सांस्कृतिक इतिहास हैं । १८ मुख्य और १८ ही उप पुराण हैं । सर्ग(सृष्टी का सर्जन), प्रतिसर्ग(सृष्टी का विलय), वंश, मन्वंतर, और वंशानुचरित का वर्णन मिलाकर ही उसे पुराण कहते हैं । | पुराण : इन की गिनती वैदिक साहित्य में नहीं की जाती । लेकिन इनके महत्व को समझकर इन्हें पंचमवेद कहा जाता है । पुराणम् पंचमो वेद: । पुराण भारत का सांस्कृतिक इतिहास हैं । १८ मुख्य और १८ ही उप पुराण हैं । सर्ग(सृष्टी का सर्जन), प्रतिसर्ग(सृष्टी का विलय), वंश, मन्वंतर, और वंशानुचरित का वर्णन मिलाकर ही उसे पुराण कहते हैं । |