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| === कटक === | | === कटक === |
− | उत्कल का प्राचीन प्रशासनिक केंद्र | यह महानदी के तट पर विद्यमान है | नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म कटक में ही हुआ था | नगर में कई ऐतिहासिक व धार्मिक स्थान है | महानदी के तट पर घवलेश्वर महादेव नाम का प्राचीन मंदिर है | | + | उत्कल का प्राचीन प्रशासनिक केंद्र । यह महानदी के तट पर विद्यमान है । नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म कटक में ही हुआ था । नगर में कई ऐतिहासिक व धार्मिक स्थान है । महानदी के तट पर घवलेश्वर महादेव नाम का प्राचीन मंदिर है । |
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| === याजपुर (जाजातिपुर) === | | === याजपुर (जाजातिपुर) === |
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| === चिल्काझील === | | === चिल्काझील === |
− | उड़ीसा (उत्कल) जहाँ आध्यात्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है,वाही प्राकृतिक सुषमा में भी बेजोड़ है | चिल्का झील इसका उदहारण है | यह मीठे व खारे पानी की एशिया की विशालतम झील है। चिल्का झील पुरी (जगन्नाथपुरी) के एकदम दक्षिण में स्थित है।शीत ऋतुमें यहाँ पक्षी विविध प्रकार के पक्षियों का अभ्यारण्य बना होता है। साइबेरिया तक से पक्षी जाड़ों में यहां ठहरते हैं। झील का क्षेत्रफल ११०० वर्ग कि.मी. है। | + | उड़ीसा (उत्कल) जहाँ आध्यात्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है,वाही प्राकृतिक सुषमा में भी बेजोड़ है । चिल्का झील इसका उदहारण है । यह मीठे व खारे पानी की एशिया की विशालतम झील है। चिल्का झील पुरी (जगन्नाथपुरी) के एकदम दक्षिण में स्थित है।शीत ऋतुमें यहाँ पक्षी विविध प्रकार के पक्षियों का अभ्यारण्य बना होता है। साइबेरिया तक से पक्षी जाड़ों में यहां ठहरते हैं। झील का क्षेत्रफल ११०० वर्ग कि.मी. है। |
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| === बालनगिरि === | | === बालनगिरि === |
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| === छतरपुर === | | === छतरपुर === |
− | चिल्का झील के दक्षिण में स्थित छतरपुर प्रमुख तटीय नगर है | | + | चिल्का झील के दक्षिण में स्थित छतरपुर प्रमुख तटीय नगर है । |
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| === फूलवनी === | | === फूलवनी === |
− | पूर्वी उड़ीसा का प्रमुख सांस्कृतिक नगर है | | + | पूर्वी उड़ीसा का प्रमुख सांस्कृतिक नगर है । |
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| === अमरकंटक === | | === अमरकंटक === |
− | अमरकंटक मैकाल या मिकुल पर्वत का उच्च शिखर हैं | नर्मदा (रेवा ) का उद्गम स्थान अमरकंटक पर स्थित एक कुण्ड है, इस कुण्ड का नाम कोटितीर्थ है | समुद्रतल से अमरकंटक लगभग १००० मीटर ऊँचा है | अमरकंटक शिखर पर अमरनाथ महादेव, नर्मदा देवी, नर्मदेश्वर व अमरकंटकेश्वर के मंदिर बने है | यहाँ पर कई शैव व् वैष्णव मंदिर तथा पवित्र सरोवर व् कुण्ड है | केशव नारायण तथा मत्स्येन्द्रनाथ के मंदिर प्रमुख है | मार्कंडेय आश्रम, भृगुकमण्डल, कपिलधारा आदि ऋषियों के प्रसिद्ध स्थान अमरकंटक के आसपास ही है | कालिदास द्वारा रचित 'मेघदूत ' में इसे आम्रकुट नाम दिया गया है | शोणभद्र और महानदी के उद्गम स्थान अमरकंटक के पूर्वी भाग में है | महात्मा कबीर ने अमरकंटक के पास काफी समय तक निवास कर जनचेतना जगायी | | + | अमरकंटक मैकाल या मिकुल पर्वत का उच्च शिखर हैं । नर्मदा (रेवा ) का उद्गम स्थान अमरकंटक पर स्थित एक कुण्ड है, इस कुण्ड का नाम कोटितीर्थ है । समुद्रतल से अमरकंटक लगभग १००० मीटर ऊँचा है । अमरकंटक शिखर पर अमरनाथ महादेव, नर्मदा देवी, नर्मदेश्वर व अमरकंटकेश्वर के मंदिर बने है । यहाँ पर कई शैव व् वैष्णव मंदिर तथा पवित्र सरोवर व् कुण्ड है । केशव नारायण तथा मत्स्येन्द्रनाथ के मंदिर प्रमुख है । मार्कंडेय आश्रम, भृगुकमण्डल, कपिलधारा आदि ऋषियों के प्रसिद्ध स्थान अमरकंटक के आसपास ही है । कालिदास द्वारा रचित 'मेघदूत ' में इसे आम्रकुट नाम दिया गया है । शोणभद्र और महानदी के उद्गम स्थान अमरकंटक के पूर्वी भाग में है । महात्मा कबीर ने अमरकंटक के पास काफी समय तक निवास कर जनचेतना जगायी । |
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| === जबलपुर === | | === जबलपुर === |
− | नर्मदा-नदी पर स्थित मध्यप्रदेश का प्रख्यात नगर| प्राचीन काल में नर्मदा के तट पर यहीं जाबालि ऋषि का आश्रम था। इस कारण यहाँ की बस्ती का नाम जाबालि पत्तनम् या जाबालिपुर पड़ा। यहाँ एक सुन्दर सरोवर और अनेक पुरातन व नवीन मन्दिर हैं।महारानी दुर्गावती ने भी इसे अपनी राजधानी बनाया था। सत्यवादी महाराजा हरिश्चन्द्र ने नर्मदा-तट पर मुकुट क्षेत्र में तपस्या की थी। भूगु ऋषि की तपस्थली भेड़ाघाट (संगमरमर का प्राकृतिक स्थल)जबलपुर के समीप ही है। देवराज इन्द्र ने यहीं पास में नर्मदा-तट पर तपस्या की थी। यहाँ पर इन्द्रेश्वर शिव का प्राचीन मन्दिर बना है। | + | नर्मदा-नदी पर स्थित मध्यप्रदेश का प्रख्यात नगर। प्राचीन काल में नर्मदा के तट पर यहीं जाबालि ऋषि का आश्रम था। इस कारण यहाँ की बस्ती का नाम जाबालि पत्तनम् या जाबालिपुर पड़ा। यहाँ एक सुन्दर सरोवर और अनेक पुरातन व नवीन मन्दिर हैं।महारानी दुर्गावती ने भी इसे अपनी राजधानी बनाया था। सत्यवादी महाराजा हरिश्चन्द्र ने नर्मदा-तट पर मुकुट क्षेत्र में तपस्या की थी। भूगु ऋषि की तपस्थली भेड़ाघाट (संगमरमर का प्राकृतिक स्थल)जबलपुर के समीप ही है। देवराज इन्द्र ने यहीं पास में नर्मदा-तट पर तपस्या की थी। यहाँ पर इन्द्रेश्वर शिव का प्राचीन मन्दिर बना है। |
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| === गढ़मंडला === | | === गढ़मंडला === |
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| नरसी भक्त का जन्म जूनागढ़ में हुआ था। यह नगर गिरनारपर्वत की तलहटी में अवस्थित है। पूर्व में गिरनार पर्वत है, अत: इसका नाम गिरिनगर भी है। नगर में कई धर्मशालाएँ व देव-मन्दिर हैं। महाप्रभु वल्लभाचार्य की निवास भूमि यही नगर है। नगर के पास पर्वतीय चढ़ाई पर ऊपरकोट नामक पुराना किला है। इसमें अनेक बौद्ध प्रतिमाएँ तथा हनुमानजी की विशाल मूर्ति है। वामनेश्वर शिव, मुचकुन्द महादेव, नेमिनाथ,अम्बिका शिखरआदि प्रमुख मन्दिर व धर्मस्थल हैं।चढ़ाई पर भर्तृहरि गुफा भी विद्यमान हैं। | | नरसी भक्त का जन्म जूनागढ़ में हुआ था। यह नगर गिरनारपर्वत की तलहटी में अवस्थित है। पूर्व में गिरनार पर्वत है, अत: इसका नाम गिरिनगर भी है। नगर में कई धर्मशालाएँ व देव-मन्दिर हैं। महाप्रभु वल्लभाचार्य की निवास भूमि यही नगर है। नगर के पास पर्वतीय चढ़ाई पर ऊपरकोट नामक पुराना किला है। इसमें अनेक बौद्ध प्रतिमाएँ तथा हनुमानजी की विशाल मूर्ति है। वामनेश्वर शिव, मुचकुन्द महादेव, नेमिनाथ,अम्बिका शिखरआदि प्रमुख मन्दिर व धर्मस्थल हैं।चढ़ाई पर भर्तृहरि गुफा भी विद्यमान हैं। |
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− | पोरबन्दर (मुदामापुरी) | + | === पोरबन्दर ( सुदामापुरी ) === |
| + | भगवान् श्री कृष्ण के परम मित्र विप्र सुदामा का जन्म पोरबन्दर में हुआ था,अत: यह पवित्र तीर्थ बन गया और सुदामापुरी कहलाया। यह एकदम समुद्रतट पर स्थित है। विगत शताब्दी में महात्मा गाँधी का जन्म भी पोरबन्दर में ही हुआ,अत:इसका महत्व और भी बढ़ गया। गांधीजी के जन्म-स्थान को कीर्ति मन्दिर के रूप में संवारा गया है। इस नगर में सुदामा मन्दिर के अतिरिक्त श्रीराम मन्दिर, राधाकृष्ण मन्दिर, पंचमुखी महादेव और अन्नपूर्णा मन्दिर हैं। |
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− | भगवान् श्री कृष्ण के परम मित्र विप्र सुदामा का जन्म पोरबन्दर में हुआ
| + | === कर्णावती (अहमदाबाद) === |
− | | + | साबरमती नदी के तटपर गुजरात राज्य का यह सबसे बड़ा नगर है। इसका पुराना नाम कर्णावती है।भारत में वस्त्र उद्योग का मुम्बई के बाद यह सबसे बड़ा केन्द्र है। अनेक वर्षों तक यह गुजरात की राजधानी रहा महात्मा गांधी का साबरमती आश्रम यहीं है। इसी आश्रम से गाँधीजी ने ऐतिहासिक दांडी यात्रा प्रारम्भ की थी। नगर में अनेक धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल हैं।दुधारेश्वर, नृसिंह, हनुमान, भद्रकाली के मन्दिर यहाँ के प्रमुख मन्दिर हैं। दधीचि ऋषि का आश्रम यहीं साबरमती के तट पर था । |
− | था,अत: यह पवित्र तीर्थ बन गया और सुदामापुरी कहलाया। यहएकदम
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− | समुद्रतट पर स्थित है। विगत शताब्दी में महात्मा गाँधी का जन्म भी
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− | पोरबन्दर में ही हुआ,अत:इसका महत्व और भी बढ़ गया। गांधीजी के
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− | जन्म-स्थान को कीर्ति मन्दिर के रूप में संवारा गया है। इस नगर में
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− | सुदामा मन्दिर के अतिरिक्त श्रीराम मन्दिर, राधाकृष्ण मन्दिर, पंचमुखी
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− | महादेव और अन्नपूर्णा मन्दिर हैं।
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− | कणविर्ती (अहमदाबाद)
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− | साबरमती नदी के तटपर गुजरात राज्य का यह सबसे बड़ा नगरहै। | |
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− | इसका पुराना नाम कर्णावती है।भारत में वस्त्र उद्योग का मुम्बई के बाद | |
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− | यह सबसे बड़ा केन्द्र है। अनेक वर्षों तक यह गुजरात की राजधानी रहा | |
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− | महात्मा गांधी का साबरमती आश्रम यहीं है। इसी आश्रम से गाँधीजी ने | |
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− | ऐतिहासिक दांडी यात्रा प्रारम्भ की थी। नगर में अनेक धार्मिक व | |
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− | ऐतिहासिक स्थल हैं।दुधारेश्वर, नृसिंह, हनुमान, भद्रकाली के मन्दिरयहाँ | |
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− | के प्रमुख मन्दिरहैं। दधीचि ऋषि का आश्रम यहीं साबरमती के तट पर | |
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| ==References== | | ==References== |