− | महाभारत में उल्लिखित यह नगर वर्तमान दिल्ली के समीप था, जिसे पाण्डवों ने बसाया था। कहा जाता है कि पहले या खाण्डव नामक बीहड़ वन था, जिसे काटकरइन्द्रप्रस्थ का निर्माण कराया गया। हस्तिनापुर का राज्य स्वयं लेने के लिए दुर्योधन के हठ और छल-प्रपंच के कारण कुरुवंश के राज्य का विभाजन कर पाण्डवों को यह बीहड़ प्रदेश दिया गया था। किन्तुमय दानव की अद्भुत स्थापत्यकला ने इन्द्रप्रस्थ की भव्यता प्रदान कर दी। युधिष्ठर ने यहीं राजसूय यज्ञ किया था। यह वर्तमान भारत संघ की राजधानी है। यहाँ अनेक ऐतिहासिक व धार्मिक स्थान हैं। विष्णुध्वज (कुतुबमीनार), पाण्डवों का किला, लालकोट, शीशगंज, रकाबगंज, भाई मतिदास चौकआदि ऐतिहासिक स्थान आज भी भारत के ज्ञान, वैभव और शौर्य की कहानी कहते हैं। योगमाया देवी, कालिका देवी, बिरला मन्दिर, संकट मोचन हनुमान मन्दिर, बौद्ध विहार, लालजैन मन्दिर, शीशगंज गुरुद्वारा, रकाबगंज गुरुद्वारा, दीवान हाल, आर्य समाज मन्दिर तथा गौरी-शांकर मन्दिर आदि नये-पुराने धार्मिक स्थल जनता की श्रद्धा के केन्द्र हैं। विदेशी आक्रमणों की आधी में दिल्ली कई बार उजड़ी और बसी है। यहाँ केअनेक प्राचीन मन्दिरऔर ऐतिहासिक स्थानों का रूप ही आक्रमणकारियों ने बदल दिया। आज जहाँ जामा मस्जिद है वहाँ कभी विशाल शिवालय था। दक्षिणी दिल्ली में एक पहाड़ी पर कालिका देवी का प्राचीन मन्दिर है, इसे शक्तिपीठ माना जाता है। | + | महाभारत में उल्लिखित यह नगर वर्तमान दिल्ली के समीप था, जिसे पाण्डवों ने बसाया था। कहा जाता है कि पहले या खाण्डव नामक बीहड़ वन था, जिसे काटकरइन्द्रप्रस्थ का निर्माण कराया गया। हस्तिनापुर का राज्य स्वयं लेने के लिए दुर्योधन के हठ और छल-प्रपंच के कारण कुरुवंश के राज्य का विभाजन कर पाण्डवों को यह बीहड़ प्रदेश दिया गया था। किन्तुमय दानव की अद्भुत स्थापत्यकला ने इन्द्रप्रस्थ की भव्यता प्रदान कर दी। युधिष्ठर ने यहीं राजसूय यज्ञ किया था। यह वर्तमान भारत संघ की राजधानी है। यहाँ अनेक ऐतिहासिक व धार्मिक स्थान हैं। विष्णुध्वज (कुतुबमीनार), पाण्डवों का किला, लालकोट, शीशगंज, रकाबगंज, भाई मतिदास चौकआदि ऐतिहासिक स्थान आज भी भारत के ज्ञान, वैभव और शौर्य की कहानी कहते हैं। योगमाया देवी, कालिका देवी, बिरला मन्दिर, संकट मोचन हनुमान मन्दिर, बौद्ध विहार, लालजैन मन्दिर, शीशगंज गुरुद्वारा, रकाबगंज गुरुद्वारा, दीवान हाल, आर्य समाज मन्दिर तथा गौरी-शंकर मन्दिर आदि नये-पुराने धार्मिक स्थल जनता की श्रद्धा के केन्द्र हैं। विदेशी आक्रमणों की आधी में दिल्ली कई बार उजड़ी और बसी है। यहाँ केअनेक प्राचीन मन्दिरऔर ऐतिहासिक स्थानों का रूप ही आक्रमणकारियों ने बदल दिया। आज जहाँ जामा मस्जिद है वहाँ कभी विशाल शिवालय था। दक्षिणी दिल्ली में एक पहाड़ी पर कालिका देवी का प्राचीन मन्दिर है, इसे शक्तिपीठ माना जाता है। |
− | महिषी मण्डन मिश्र का निवास स्थान है। इसका प्राचीन नाम सहषाँ भी है। यही वह स्थान है जहाँ पर मण्डन मिश्र और जगद्गुरु आदि शंकराचार्य का इतिहास-प्रसिद्ध शास्त्रार्थ हुआ था। मण्डन मिश्र आदि जगद्गुरु के तकों का सामना नहीं कर सके और पराभूत हो शांकराचार्य के शिष्य बन गये। परन्तु मण्डन मिश्र की धर्मपत्नी ने शांकराचार्य से दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित प्रश्न पूछकर उन्हें निरुत्तर कर दिया। तब शांकराचार्य ने उस प्रश्न का उत्तर देने के लिए समय माँगा लिया। तत्पश्चात् एक राजा की मृत देह में प्रवेश कर उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त किया, तभी शांकराचार्य को विजयी माना गया। यह स्थान उत्तर बिहार में नेपाल सीमा के पास स्थित है। | + | महिषी मण्डन मिश्र का निवास स्थान है। इसका प्राचीन नाम सहषाँ भी है। यही वह स्थान है जहाँ पर मण्डन मिश्र और जगद्गुरु आदि शंकराचार्य का इतिहास-प्रसिद्ध शास्त्रार्थ हुआ था। मण्डन मिश्र आदि जगद्गुरु के तकों का सामना नहीं कर सके और पराभूत हो शंकराचार्य के शिष्य बन गये। परन्तु मण्डन मिश्र की धर्मपत्नी ने शंकराचार्य से दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित प्रश्न पूछकर उन्हें निरुत्तर कर दिया। तब शंकराचार्य ने उस प्रश्न का उत्तर देने के लिए समय माँगा लिया। तत्पश्चात् एक राजा की मृत देह में प्रवेश कर उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त किया, तभी शंकराचार्य को विजयी माना गया। यह स्थान उत्तर बिहार में नेपाल सीमा के पास स्थित है। |