Line 512: |
Line 512: |
| श्रावस्ती बलरामपुर (उत्तरप्रदेश) के समीप स्थित सहेट-महेठ गाँव ही है। कहते हैं श्रावस्ती की स्थापना भगवान राम के पुत्र लव ने की थी। महाभारत काल में युधिष्ठिर के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े की रक्षा के लिए अर्जुन व सुधन्वा के मध्य यहीं पर युद्ध हुआ।भगवान बुद्ध यहाँ दीर्घकाल तक रहे।तीसरेतीर्थकर सम्भवनाथ का जन्मभी यहीं हुआ था। इस प्रकार श्रावस्ती बौद्ध व जैन दोनों का तीर्थ स्थान है। यहाँ पर कई जैन व बौद्ध मन्दिर धर्मशालाएँ तथा बौद्ध मठ हैं। | | श्रावस्ती बलरामपुर (उत्तरप्रदेश) के समीप स्थित सहेट-महेठ गाँव ही है। कहते हैं श्रावस्ती की स्थापना भगवान राम के पुत्र लव ने की थी। महाभारत काल में युधिष्ठिर के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े की रक्षा के लिए अर्जुन व सुधन्वा के मध्य यहीं पर युद्ध हुआ।भगवान बुद्ध यहाँ दीर्घकाल तक रहे।तीसरेतीर्थकर सम्भवनाथ का जन्मभी यहीं हुआ था। इस प्रकार श्रावस्ती बौद्ध व जैन दोनों का तीर्थ स्थान है। यहाँ पर कई जैन व बौद्ध मन्दिर धर्मशालाएँ तथा बौद्ध मठ हैं। |
| | | |
− | कुशीनगर | + | === कुशीनगर === |
| + | कुशीनगर(देवरिया)में 80 वर्ष कीआयु में भगवान्बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त किया। बौद्ध मत से सम्बन्धित परिनिर्वाण स्तूप तथा विहार स्तूप विशेष उल्लेखनीय हैं।पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई से इसके गौरवशाली अतीत की झांकी प्राप्त होतीहै।प्रयाग के पास स्थित कौशाम्बी भी भगवान बुद्ध से सम्बन्धित ऐतिहासिक नगरी है। काशी के पास विद्यमान उपनगर सारनाथ में भगवान् बुद्ध ने अपना पहला उपदेश जनता को सुनाया,अत: यहभी प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ के रूप में जाना जाता है। भगवान् बुद्ध तथा हिमालयक्षेत्र मेंस्थिति प्रमुख क्षेत्रों के वर्णन के बाद अब उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगरों का वर्णन यहाँ दिया जा रहा है। |
| | | |
− | कुशीनगर(देवरिया)में 80 वर्ष कीआयु में भगवान्बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त
| + | === हस्तिनापुर === |
| + | उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में गांगा के किनारे यह गौरवशाली नगर स्थित है। हस्तिनापुर कुरुवंशी राजाओं की राजधानी रहा है। पुराने समय में हस्तिनापुर गांगा के किनारे स्थित था। बाद में गंगा की प्रमुख धारा यहाँ से लगभग 10 किमी. दूर हटगयी और हस्तिनापुर के पास एक पतली सी धारा रह गयी जो अब बूढ़ी गंगा के नाम से जानी जाती है। बौद्ध साहित्य में भी हस्तिनापुर को कुरुओं की राजधानी के रूप में निरूपित किया गया है। तीन जैन तीर्थकरोंशान्तिनाथ, कुन्थुनाथ औरअहंन्नाथ का जन्म यहीं है। स्तम्भ के पास ही एक स्तूप भी है जिसमें भगवान् बुद्ध की प्रतिमा हुआ था।इन तीर्थकरों ने यहीं तपस्या की।आदि तीर्थकर श्रषभदेव जी भी यहाँ पधारे थे। अत: यह अतिशय क्षेत्र कहलाता है। यहाँ जैन मन्दिर तथा धर्मशालाएँ हैं।आज हस्तिनापुर जैनतीर्थों के रूप में पूजित है। |
| | | |
− | किया। बौद्ध मत से सम्बन्धित परिनिर्वाण स्तूप तथा विहार स्तूप विशेष
| + | नैमिषारण्य |
| | | |
− | उल्लेखनीय हैं।पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई सेइसके गौरवशाली
| + | पुराणों का उद्गम स्थान नैमिषारण्य गोमती नदी के किनारे स्थितहै। नौ अरण्यों (वनों) में नैमिषारण्य प्रमुख माना जाता है। निमिष (समय की अतिसूक्ष्म इकाई) मात्र में दैत्यों का वध कर इस क्षेत्र को शान्तिक्षेत्र बनाने |
− | | |
− | अतीत की झांकी प्राप्त होतीहै।प्रयाग के पास स्थित कौशाम्बीभीभगवान्
| |
− | | |
− | बुद्ध से सम्बन्धित ऐतिहासिक नगरी है।
| |
− | | |
− | काशी के पास विद्यमान उपनगर सारनाथ में भगवान् बुद्ध ने अपना
| |
− | | |
− | पहला उपदेश जनता को सुनाया,अत: यहभी प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ के रूप
| |
− | | |
− | में जाना जाता है।
| |
− | | |
− | भगवान् बुद्ध तथा हिमालयक्षेत्र मेंस्थिति प्रमुख क्षेत्रों के वर्णन के बाद
| |
− | | |
− | अब उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगरों का वर्णन यहाँ दिया जा रहा है।
| |
− | | |
− | हस्तिनापुर
| |
− | | |
− | उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में गांगा के किनारे यह गौरवशाली नगर
| |
− | | |
− | स्थित है। हस्तिनापुर कुरुवंशी राजाओं की राजधानी रहा है। पुराने समय
| |
− | | |
− | में हस्तिनापुर गांगा के किनारे स्थित था। बाद में गंगा की प्रमुख धारा यहाँ
| |
− | | |
− | से लगभग 10 किमी. दूर हटगयी और हस्तिनापुर के पास एक पतली सी
| |
− | | |
− | धारा रह गयी जोअब बूढ़ी गंगा के नाम सेजानी जातीहै। बौद्ध साहित्य
| |
− | | |
− | में भीहस्तिनापुर को कुरुओं की राजधानी के रूप में निरूपित किया गया
| |
− | | |
− | है। तीन जैन तीर्थकरोंशान्तिनाथ, कुन्थुनाथ औरअहंन्नाथ का जन्म यहीं है। स्तम्भ के पास ही एक स्तूप भी है जिसमें भगवान् बुद्ध की प्रतिमा <sub>हुआ था।इन तीर्थकरों ने यहीं तपस्या की।आदि तीर्थकर श्रषभदेव जी</sub>
| |
− | | |
− | 60 पुण्यभूमेभारत
| |
− | | |
− | भी यहाँ पधारे थे। अत: यह अतिशय क्षेत्र कहलाता है। यहाँ जैन मन्दिर
| |
− | | |
− | तथा धर्मशालाएँ हैं।आज हस्तिनापुर जैनतीर्थों के रूप में पूजित है।
| |
− | | |
− | कैमिषारण्य
| |
− | | |
− | पुराणों का उद्गम स्थान नैमिषारण्य गोमती नदी के किनारे स्थितहै। | |
− | | |
− | नौो अरण्यों (वनों)में नैमिषारण्य प्रमुख माना जाता है। निमिष (समय की
| |
− | | |
− | अतिसूक्ष्मइकाई) मात्र में दैत्यों का वध करइस क्षेत्र को शान्तिक्षेत्र बनाने
| |
| | | |
| के कारण वराह पुराण में इसे नैमिषारण्य कहा गया है। भगवान् के | | के कारण वराह पुराण में इसे नैमिषारण्य कहा गया है। भगवान् के |