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यह ५१ शक्तिपीठों में से एक है। परन्तु पाकिस्तान (बलोचस्थान) में होने के कारण यहाँ भक्तगण इस पीठ के दर्शनों से वंचित रहते हें। यह स्थान हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। प्रमुख स्थान गुफा में है जहाँ भगवती के दर्शन पृथ्वी सेनिकली ज्योति के रूप में होते हैं। साथ में काली मां के भी दर्शन किये जा सकते हैं। भगवती सती का ब्रह्मरिन्ध यहाँ गिरा था; उसी स्थान पर शक्तिपीठ का उद्भव हुआ।
यह ५१ शक्तिपीठों में से एक है। परन्तु पाकिस्तान (बलोचस्थान) में होने के कारण यहाँ भक्तगण इस पीठ के दर्शनों से वंचित रहते हें। यह स्थान हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। प्रमुख स्थान गुफा में है जहाँ भगवती के दर्शन पृथ्वी सेनिकली ज्योति के रूप में होते हैं। साथ में काली मां के भी दर्शन किये जा सकते हैं। भगवती सती का ब्रह्मरिन्ध यहाँ गिरा था; उसी स्थान पर शक्तिपीठ का उद्भव हुआ।
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मुरथावल (मुल्तान)
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=== मुलस्थान (मुल्तान) ===
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पंजाब (पाकिस्तान) में स्थित यह नगर दैत्यराज हिरण्यकशिपु की राजधानी तथा भक्त प्रहलाद का जन्म-स्थान है। यहीं पर नृसिंह अवतारलेकर भगवान् ने निरंकुश हिरण्यकशिपु का वध किया।भगवान् नूसिंह काभव्य मन्दिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था मेंआज भी है। नृसिंह चतुर्दशों को यहाँ मेला लगता था। पास में ही सूर्यकुण्ड सरोवर है वहाँ पर माघ शुक्ल षष्ठी व सप्तमी को भी मेला लगता था, परन्तु आज सब अस्त - व्यस्त है | प्रहलादपुरी इसका पुराना नाम था।
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पंजाब (पाकिस्तान) में स्थित यह नगर दैत्यराज हिरण्यकशिपु की
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=== लवपुर (लाहौर) ===
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भगवान् राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया। प्राचीन नगर। महाराजा रणजीत सिंह की राजधानी यह नगर रहा। धर्मवीर हकीकत की समाधि यहीं पर है। गुरु अर्जुनदेव का बलिदान यहींहुआ। कई मन्दिर व गुरुद्वारे यहाँ आज वीरान पड़े है। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान रावी-तट पर स्थित इसी नगर में कांग्रेस ने १९२९ में पूर्ण स्वराज्य-प्राप्ति को अपना लक्ष्य घोषित किया।
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राजधानी तथा भक्त प्रहलाद का जन्म-स्थान है। यहीं पर नृसिंह अवतार
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लेकर भगवान् ने निरंकुश हिरण्यकशिपु का वध किया।भगवान् नूसिंह का
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भव्य मन्दिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था मेंआज भी है। नृसिंह चतुर्दशों को यहाँ
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मेला लगता था।पास में ही सूर्यकुण्ड सरोवरहै वहाँ परमाघ शुक्ल षष्ठी
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प्रहलादपुरी इसका पुराना नाम था।
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लटपुट (लाहौर)
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भगवान् राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया। प्राचीन नगर। महाराजा
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रणजीत सिंह की राजधानी यह नगर रहा। धर्मवीर हकीकत की समाधि
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यहीं पर है। गुरु अर्जुनदेव का बलिदान यहींहुआ। कई मन्दिर व गुरुद्वारे
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यहाँ आज वीरान पड़े है। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान रावी-तट पर
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स्थित इसी नगर में कांग्रेस ने 1929 में पूर्ण स्वराज्य-प्राप्ति को अपना
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लक्ष्य घोषित किया।
==References==
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