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| === लवपुर (लाहौर) === | | === लवपुर (लाहौर) === |
| भगवान् राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया। प्राचीन नगर। महाराजा रणजीत सिंह की राजधानी यह नगर रहा। धर्मवीर हकीकत की समाधि यहीं पर है। गुरु अर्जुनदेव का बलिदान यहींहुआ। कई मन्दिर व गुरुद्वारे यहाँ आज वीरान पड़े है। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान रावी-तट पर स्थित इसी नगर में कांग्रेस ने १९२९ में पूर्ण स्वराज्य-प्राप्ति को अपना लक्ष्य घोषित किया। | | भगवान् राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया। प्राचीन नगर। महाराजा रणजीत सिंह की राजधानी यह नगर रहा। धर्मवीर हकीकत की समाधि यहीं पर है। गुरु अर्जुनदेव का बलिदान यहींहुआ। कई मन्दिर व गुरुद्वारे यहाँ आज वीरान पड़े है। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान रावी-तट पर स्थित इसी नगर में कांग्रेस ने १९२९ में पूर्ण स्वराज्य-प्राप्ति को अपना लक्ष्य घोषित किया। |
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| + | === करवीर === |
| + | यहाँभगवती जगज्जननी का मन्दिर है. इसे शक्तिपीठ माना गया है। सिन्ध प्रांत में यह स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के नेत्र यहाँ गिरे थे। |
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| + | === मोहनजोदड़ो व हड़प्पा === |
| + | सिन्धुघाटी सभ्यता से सम्बन्धित नियोजित नगर-द्वय । लगभग ६००० वर्ष पहले इन नगरों का विकास हुआ था। बीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक में यहाँ खुदाई प्रारम्भ की गयी। तब ही इनका पता चला। इन नगरों का विकास नियोजित व व्यवस्थित रूप से किया गया था। सड़क मार्ग, पीने नगरों में उत्तम रीति से उपलब्ध करायी गयीं थीं। हड़प्पा नगर साहीवाल जिला पं. पंजाब में तथा मोहनजोदड़ो सिन्ध (पाकिस्तान) में स्थित है। |
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| + | === कराची === |
| + | सिन्धु नदी के मुहाने पर स्थित यह नगर पाकिस्तान का प्रमुख पत्तन (बन्दरगाह) है। पाकिस्तान का यूरोप के देशों के साथ व्यापार में इसका सर्वाधिक योगदान रहता है। अखण्ड भारत में कराची का पृष्ठपेद्रश पंजाब व गुजरात तक फैला था। विभाजन के बाद कराची पाकिस्तान में चला गया, जिससे भारत के उत्तर-पशिचमी भागों के लिए नये पत्तन का निर्माण आवश्यक हो गया। कच्छ की खाड़ी पर स्थित कांदला पत्तन के विकास से यह कमी पूरी हो पायी है। |
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| + | gधीमहाटवोट डो |
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| + | यह जैन समाज का प्रमुख तीर्थ है। यहाँ वर्षभर लाखों तीर्थयात्री |
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| + | भगवान् महावीर स्वामी के दर्शनार्थ आते रहते हैं। श्रद्धालुओं का ऐसा |
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| + | विश्वास है कि यहाँ उनकीमनोकामना पूरी हो जातीहै।मन्दिरमेंमहावीर |
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| + | स्वामी की कत्थई रंग की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा एक भक्त |
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| + | ग्वाले कोभूमि केअन्दर दबी मिलीथी जिसे पास मेंप्रतिष्ठित करा दिया |
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| + | गया। मन्दिर का निर्माण भरतपुर के दीवान जोधराज ने कराया। मन्दिर |
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| + | के चारों ओर तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए कईधर्मशालाएँ बनी हैं। |
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| + | जैनियों के अतिरिक्त भी सभी स्थानीय लोग महावीर जी के प्रति श्रद्धा |
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| + | रखते हैं। सम्पूर्ण उत्तर भारत में इस तीर्थ की अतिशय क्षेत्र के रूप में |
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| + | मान्यता है। |
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| + | प्रणथम्बौर (वार्डमाधोपुर) : |
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| + | यहएक ऐतिहासिक दुर्गहै। दुर्ग केपरकोटेमें गणेश जी की विशाल |
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| + | प्रतिमा है। अलाउद्दीन खिलजी को पराजित करने वाले हमीरसिंह की |
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| + | राजधानी यहाँ थी। किले के पास ही पहाड़ी पर अमरेश्वर-शैलेश्वर के |
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| + | प्राचीन मन्दिरहैं।थोड़ी दूरी पर सीता जी का मन्दिरहैजहाँ पर सीताजी |
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| + | के चरणों के पास से निरन्तर जल प्रवाहित होता रहता है। |
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| + | जयपुर |
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| + | जयुपर राजस्थान की वर्तमान राजधानी व प्रसिद्ध नगर है। इसकी |
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| + | स्थापना महाराजा जयसिंह ने की थी। नगर के भवन प्राय: गुलाबी पत्थर |
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| + | के बने हैं। नगर के चारों ओर चारदीवारी बनायी गयी हैं, जिसमें सात द्वार |
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| + | बनाये गयेहैं। नगरमें कई दर्शनीय व पूजनीय स्थान है। हवामहल, सिटी |
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| + | पैलेस, राम बाग, जन्तर-मन्तर, केन्द्रीय संग्रहालय प्रमुख दर्शनीय स्थान |
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| + | हैं।आमेर का किला, नाहरगढ़ का किला जयपुर के पास पुराने किले हैं। |
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| + | श्री गोविन्द देव, श्री गोकुलनाथ जी नामक पवित्र मन्दिर हैं। इन मन्दिरों |
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| + | में स्थापित प्रतिमाओं को औरंगजेब के शासनकाल में वृन्दावन से यहाँ |
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| + | लाया गया था। इनके अतिरिक्त विश्वेश्वर महादेव, राधा-दामोदर अन्य |
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| + | प्रमुख मन्दिर हैं। जयपुर का जन्तर-मन्तर ज्योतिष तथा खगोलीय ज्ञान |
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| + | झजलेट(क्खयेट) |
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| + | पहाड़ियों से घिरा हुआ सुरम्य स्थल हैअजमेर। पहाड़ी की तलहटी |
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| + | में तारागढ़ नामक दुर्ग है।अजमेर अजयमेरू का अपभ्रंश है।चौहान राजा |
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| + | अजयपाल नेइसकी स्थापना की थी तथा सुरक्षा की दृष्टि से एक सुदृढ़ |
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| + | किला भी बनवाया। पृथ्वीराज विजय’ तथा ‘हम्मीर महाकाव्य में इस बात |
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| + | का प्रमाण भी मिलता है। कुछ विद्वानों के अनुसार महाभारत काल में |
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| + | अजय मेरू विद्यमान था। महमूद गजनवी ने सन् 1025 में इस नगर को |
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| ==References== | | ==References== |