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=== पंजा साहिब ===
 
=== पंजा साहिब ===
तक्षशिला के समीप स्थित इस स्थान की गुरु नानक देव ने यात्रा की तथा पीरअली कन्धारी नामक धर्मान्ध मुस्लिम पीर के अत्याचारों से जनता को मुक्ति दिलाकर अजस्त्रधारा जल की उत्पत्ति की। पीर अली ने क्रोधित होकर एक विशाल पर्वतखण्ड गुरु नानक की ओर धकेल दिया।अपनी ओर पर्वतखण्ड को आता देख श्री नानकदेव ने अपना पंजा अड़ाकर उसे रोक दिया। आज भी वह पंजा और उसकी रेखाएँ यहाँ स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। विधर्मी लोगों द्वारा खोदने पर पंजा पुन: वैसा ही हो जाता है। यहाँ पवित्र गुरुद्वारा तथा तालाब है। वैशाख मास की प्रथम तिथि को यहाँ मेला लगता था,परन्तुआजकल सीमित संख्या में ही तीर्थयात्री यहाँ पहुँच पाते हैं  
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तक्षशिला के समीप स्थित इस स्थान की गुरु नानक देव ने यात्रा की तथा पीरअली कन्धारी नामक धर्मान्ध मुस्लिम पीर के अत्याचारों से जनता को मुक्ति दिलाकर अजस्त्रधारा जल की उत्पत्ति की। पीर अली ने क्रोधित होकर एक विशाल पर्वतखण्ड गुरु नानक की ओर धकेल दिया।अपनी ओर पर्वतखण्ड को आता देख श्री नानकदेव ने अपना पंजा अड़ाकर उसे रोक दिया। आज भी वह पंजा और उसकी रेखाएँ यहाँ स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। विधर्मी लोगों द्वारा खोदने पर पंजा पुन: वैसा ही हो जाता है। यहाँ पवित्र गुरुद्वारा तथा तालाब है। वैशाख मास की प्रथम तिथि को यहाँ मेला लगता था,परन्तुआजकल सीमित संख्या में ही तीर्थयात्री यहाँ पहुँच पाते हैं |
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=== साधुवेला तीर्थ ===
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पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में सक्खर नगर के पास यह तीर्थ क्षेत्र स्थित हैं। यहाँ अनेक पक्के घाट तथा ध्यान करने के स्थान बने हैं। तीर्थ क्षेत्र में भगवान् राम, लक्ष्मण, सीता, पवनपुत्र हनुमान, गणेश दुग, महादेव शिव के मन्दिर बने हैं। पाकिस्तान बनने से पूर्व यहाँ नियमित रूप से कथा-प्रवचन, कीर्तन व धमॉपदेश होते थे, परन्तु पाकिस्तान बनने के बाद यहाँ की दशा शोचनी हो गयी है।
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=== कटाक्षराज (कटास राज ) ===
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लाहौर, पेशावर रेल मार्ग पर कटाक्षराज नामक स्थान पर यह प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र है। यहाँ पर प्रतिवर्ष वैशाख संक्रांति के अवसर पर ५ दिन का मेला लगा करता था। संक्रांति के दिन यहाँ स्थित तालाब में स्नान का विशेष महात्म्य है।तालाब का नाम अमर कुण्डहै। पाकिस्तान बनने के बाद यहाँ पर मेला बन्द हो गया। अब पुन:इस क्षेत्र की यात्रा प्रारम्भ हुई है। तालाब के पानी का उपयोग आसपास के गावों में सिंचाई के लिए किया जाने लगा है।
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=== ननकाना साहब  ===
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सिक्खों का प्रमुख तीर्थ स्थान हैं यहाँ प्रथम गुरु नानकदेव जी का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। वहीं पर गुरुद्वारा बना है। प्रारम्भ में यहाँ पर तीर्थयात्रा की कोई व्यवस्था नहीं थी, परन्तु इधर पिछले कुछ वर्षों से गुरु नानक देव के जन्म-दिवस पर यात्रा की व्यवस्था की जाती हैं ।
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=== हिंगलाज ===
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यह ५१ शक्तिपीठों में से एक है। परन्तु पाकिस्तान (बलोचस्थान) में होने के कारण यहाँ भक्तगण इस पीठ के दर्शनों से वंचित रहते हें। यह स्थान हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। प्रमुख स्थान गुफा में है जहाँ भगवती के दर्शन पृथ्वी सेनिकली ज्योति के रूप में होते हैं। साथ में काली मां के भी दर्शन किये जा सकते हैं। भगवती सती का ब्रह्मरिन्ध यहाँ गिरा था; उसी स्थान पर शक्तिपीठ का उद्भव हुआ।
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मुरथावल (मुल्तान)
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पंजाब (पाकिस्तान) में स्थित यह नगर दैत्यराज हिरण्यकशिपु की
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राजधानी तथा भक्त प्रहलाद का जन्म-स्थान है। यहीं पर नृसिंह अवतार
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लेकर भगवान् ने निरंकुश हिरण्यकशिपु का वध किया।भगवान् नूसिंह का
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भव्य मन्दिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था मेंआज भी है। नृसिंह चतुर्दशों को यहाँ
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मेला लगता था।पास में ही सूर्यकुण्ड सरोवरहै वहाँ परमाघ शुक्ल षष्ठी
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प्रहलादपुरी इसका पुराना नाम था।
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लटपुट (लाहौर)
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भगवान् राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया। प्राचीन नगर। महाराजा
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रणजीत सिंह की राजधानी यह नगर रहा। धर्मवीर हकीकत की समाधि
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यहीं पर है। गुरु अर्जुनदेव का बलिदान यहींहुआ। कई मन्दिर व गुरुद्वारे
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यहाँ आज वीरान पड़े है। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान रावी-तट पर
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स्थित इसी नगर में कांग्रेस ने 1929 में पूर्ण स्वराज्य-प्राप्ति को अपना
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लक्ष्य घोषित किया।
    
==References==
 
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