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| ३०. चट्टल : पू. बंगाल (बांगला देश) के प्रसिद्ध नगरचटग्राम के पास सीता-कुण्ड नामक स्थान पर चन्द्रशेखर पर्वत पर भवानी मन्दिर हैं, उसी में देवी भवानी रूप में विराजमान हैं। | | ३०. चट्टल : पू. बंगाल (बांगला देश) के प्रसिद्ध नगरचटग्राम के पास सीता-कुण्ड नामक स्थान पर चन्द्रशेखर पर्वत पर भवानी मन्दिर हैं, उसी में देवी भवानी रूप में विराजमान हैं। |
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− | ३१. उज्जयिनी : उज्जैन में रुद्रसागर के पास हरसिद्धि देवी का | + | ३१. उज्जयिनी : उज्जैन में रुद्रसागर के पास हरसिद्धि देवी का मन्दिर है। इस मन्दिर में देवी की प्रतिमा नहीं है। यहाँ पर सती की कूर्पर(कोहनी) गिरी थी, अत: कोहनी की ही पूजा की जाती हैं । |
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| + | ३२. मणिवेदिक : प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर के समीप गायत्री पर्वत पर यह शक्तिपीठ है। यहाँ सती के दोनों मणिबन्ध (कलाई) गिरेथे। यहाँ देवी गायत्री रूप में पूजित है। |
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| + | ३३. त्रिपुरा : त्रिपुरा प्रान्त के राधा-किशोरपुर ग्राम के पास आग्नेयकोण (दक्षिण-पूर्व) में पहाड़ी पर त्रिपुरसुन्दरी का प्रसिद्ध मन्दिर ही शक्तिपीठ है। |
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| ३७. कांची : सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में कांची के शिवकांची का काली मन्दिर शक्तिपीठ हैं। यहाँ देवी देवगभी रूप में विद्यमान है। | | ३७. कांची : सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में कांची के शिवकांची का काली मन्दिर शक्तिपीठ हैं। यहाँ देवी देवगभी रूप में विद्यमान है। |
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| ४१. जयन्ती : मेघालय में शिलांग से ५० किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ियों में यह शक्तिपीठ है। यहाँ देवी जयन्ती रूप में प्रतिष्ठित हैं । | | ४१. जयन्ती : मेघालय में शिलांग से ५० किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ियों में यह शक्तिपीठ है। यहाँ देवी जयन्ती रूप में प्रतिष्ठित हैं । |
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− | पाटलिपुत्र (मगध) : पटना (पाटलिपुत्र) नगर में पटनेश्वरी | + | ४२. पाटलिपुत्र (मगध) : पटना (पाटलिपुत्र) नगर में पटनेश्वरी मन्दिर शक्तिपीठ है। यहाँ देवी सर्वानन्दकारी रूप में विराजित है। |
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− | मन्दिर है। इस मन्दिर में देवी की प्रतिमा नहीं है। यहाँ पर सती
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− | मन्दिर शक्तिपीठ है। यहाँ देवी सर्वानन्दकारी रूप में विराजित है। | |
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− | की कूर्पर(कोहनी) गिरी थी, अत: कोहनी की ही पूजा की जाती
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− | 4.3.
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− | त्रिसवोता : पं. बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में शालवाड़ी नामक
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− | हैं ।
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− | ग्राम तिस्ता (त्रिस्रोत) नदी के तट पर बसा है। यहींशक्तिपीठ में
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− | मणिवेदिक : प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर के समीप गायत्री पर्वत पर यह
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− | देवी भुामरी रूप में प्रतिष्ठित हैं।
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− | शक्तिपीठ है। यहाँ सती के दोनों मणिबन्ध (कलाई) गिरेथे। यहाँ
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− | 44.
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− | त्रिपुरा : त्रिपुरा प्रान्त के राधा-किशोरपुर ग्राम के पास आग्नेय
| + | ४३. त्रिसवोता : पं. बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में शालवाड़ी नामक ग्राम तिस्ता (त्रिस्रोत) नदी के तट पर बसा है। यहीं शक्तिपीठ में देवी भ्रामरी रूप में प्रतिष्ठित हैं। |
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− | देवी गायत्री रूप में पूजित है। | + | ३२. मणिवेदिक : प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर के समीप गायत्री पर्वत पर यह शक्तिपीठ है। यहाँ सती के दोनों मणिबन्ध (कलाई) गिरेथे। यहाँ देवी गायत्री रूप में पूजित है। |
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− | कोण (दक्षिण-पूर्व) में पहाड़ी पर त्रिपुरसुन्दरी का प्रसिद्ध मन्दिर
| + | त्रिपुरा : त्रिपुरा प्रान्त के राधा-किशोरपुर ग्राम के पास आग्नेयकोण (दक्षिण-पूर्व) में पहाड़ी पर त्रिपुरसुन्दरी का प्रसिद्ध मन्दिर ही शक्तिपीठ है। |
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| मानस : यह स्थान मानसरोवर के पास स्थित है। यहाँ देवी | | मानस : यह स्थान मानसरोवर के पास स्थित है। यहाँ देवी |