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२५. रामगिरि : प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल चित्रकूट के रामगिरि पर शारदा मन्दिर है। यहीं शक्तिपीठ है। यहाँ देवी शिवानी रुप में विराजमान हैं।  
 
२५. रामगिरि : प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल चित्रकूट के रामगिरि पर शारदा मन्दिर है। यहीं शक्तिपीठ है। यहाँ देवी शिवानी रुप में विराजमान हैं।  
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26. वैद्यनाथ : प्रसिद्ध ज्योतिर्लिग वैद्यनाथ के मन्दिर के सामने
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26. वैद्यनाथ : प्रसिद्ध ज्योतिर्लिग वैद्यनाथ के मन्दिर के सामनेशक्ति-मन्दिर स्थित है। यहाँ देवी जयदुर्गा नाम से विराजित है। यहाँ सती-देह का हुदय गिरा था, अत: देवी को हुदयेश्वरी जयदुगर्ग के नाम से पुकारा जाता है। 
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२७. वक्रकेश्वर : पं. बंगाल के वीरभूम जिले में ऑडाल सैथिया संयान मार्ग (रेलवे लाइन) स्थित दुबराजपुर के पास वक्रेश्वर नामक स्थान परशमशान-भूमि में यहशक्तिपीठ है। देवी यहाँ महिर्षमर्दिनी रूप में विराजमान हैं।
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२८. कन्यकाश्रम : कन्याकुमारी में भद्रकाली मन्दिर शक्तिपीठ है। यहाँ देवी शर्वाणी रूप में विराजित है। यहाँ सती का पृष्ठभाग गेिरा था।
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२९. बहुला : अहमद पुर कटवा संयान मार्ग के कटवा स्थानक के पास केतु-ब्रह्मा नामक गाँव में यह शक्तिपीठ है। यहाँ देवी चण्डिका (बहुल) रूप में प्रतिष्ठित है।
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३०. चट्टल : पू. बंगाल (बांगला देश) के प्रसिद्ध नगरचटग्राम के पास सीता-कुण्ड नामक स्थान पर चन्द्रशेखर पर्वत पर भवानी मन्दिर हैं, उसी में देवी भवानी रूप में विराजमान हैं।
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३१. उज्जयिनी : उज्जैन में रुद्रसागर के पास हरसिद्धि देवी का
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३७. कांची : सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में कांची के शिवकांची का काली मन्दिर शक्तिपीठ हैं। यहाँ देवी देवगभी रूप में विद्यमान है।
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रूप में विराजमान हैं। 
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३८. शोण : प्रसिद्ध तीर्थ अमरकण्टक में शोणभद्र (सोन नदी) के उद्गम स्थल के समीप देवी शोणाक्षी रूप में विराजमान हैं।
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३९. कामगिरि :असम में गुवाहाटी के समीप कामगिरि पर कामाख्या मन्दिर प्रसिद्ध शक्तिपीठहै। यहाँ देवी कामाख्या रूपमें पूजित है।
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४०. गुहयेश्वरी (नेपाल) : नेपाल में पशुपतिनाथ (काठमाण्डु) के पास बागमती नदी के तट पर गुहुयेश्वरी देवी का मन्दिर भी  शक्तिपीठ हैं। यहाँ देवी महामाया के रूप में विराजित है।
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४१. जयन्ती : मेघालय में शिलांग से ५० किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ियों में यह शक्तिपीठ है। यहाँ देवी जयन्ती रूप में प्रतिष्ठित हैं ।
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पाटलिपुत्र (मगध) : पटना (पाटलिपुत्र) नगर में पटनेश्वरी
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मन्दिर है। इस मन्दिर में देवी की प्रतिमा नहीं है। यहाँ पर सती
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मन्दिर शक्तिपीठ है। यहाँ देवी सर्वानन्दकारी रूप में विराजित है।
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की कूर्पर(कोहनी) गिरी थी, अत: कोहनी की ही पूजा की जाती
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4.3.
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त्रिसवोता : पं. बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में शालवाड़ी नामक
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हैं ।
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ग्राम तिस्ता (त्रिस्रोत) नदी के तट पर बसा है। यहींशक्तिपीठ में
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मणिवेदिक : प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर के समीप गायत्री पर्वत पर यह
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देवी भुामरी रूप में प्रतिष्ठित हैं।
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शक्तिपीठ है। यहाँ सती के दोनों मणिबन्ध (कलाई) गिरेथे। यहाँ
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त्रिपुरा : त्रिपुरा प्रान्त के राधा-किशोरपुर ग्राम के पास आग्नेय
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देवी गायत्री रूप में पूजित है।
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कोण (दक्षिण-पूर्व) में पहाड़ी पर त्रिपुरसुन्दरी का प्रसिद्ध मन्दिर
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मानस : यह स्थान मानसरोवर के पास स्थित है। यहाँ देवी
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ही शक्तिपीठ है।
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दाक्षायणी नाम से प्रतिष्ठित है। इस शक्तिपीठ को मानस-पीठ
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विभाष : पं. बंगाल के मिदनापुर जिले में तमलुक का काली
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नाम से भी जाना जाता है।
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मन्दिर शक्तिपीठ है| यहाँ देवी कपालिनी रूप में प्रतिष्ठित हैं।
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यशोर : बांगला देश के खुलना जिले में एक ईश्वरपुर नामक
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कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र में हैपायन सरोवर के पास यहशक्तिपीठ है।
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ग्राम है।इसी का पुराना नाम यशोर(यशोदर) है। यहीं पर देवी
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यहाँ देवी सावित्री रूप में स्थाणु भैरव के साथ प्रतिष्ठित है।
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यशोरेश्वरी नाम से विराजमान हैं।
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लका : यह शक्तिपीठ लंका में है, यहाँ (अशोक वाटिका में) देवी
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35. प्रयाग : अक्षयवट के पास ललितादेवी मन्दिर शक्तिपीठ हैं, यद्यपि
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<sub>सीताम्बा मन्दिर में प्रतिष्ठित है। सती का नूपुर यहाँ गिरा था।</sub>
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यहाँ देवी इन्द्राक्षी रूप में राक्षसेश्वर भैरव के साथ प्रतिष्ठित मानी
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जाती हैं।
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48. युगाद्या : वर्द्धवान् संयान-स्थानक (रेलवे स्टेशन) से 35 कि.मी.
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उत्तर में क्षीर ग्राम में यह शक्तिपीठ है। यहाँ देवी भूतधात्री रूप
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में अधिष्ठित है।
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49. विराट : राजस्थान प्रान्त में जयपुर से 70 किमी. उत्तर विराट
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नामक ग्राम में देवी अम्बिका रूप में विराजमान हैं। यहाँ सती के
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दायें पैर की अंगुलियाँ गिरने से शक्तिपीठ बना।
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50, कालीपीठ : कलकत्ते का प्रसिद्ध काली मनिन्दर शक्तिपीठ के रूप
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मेंप्रसिद्धहै। कुछ विद्वानों के अनुसार टाली-गंज का आदिकाली
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मन्दिर शक्तिपीठ है। यहाँ देवी महाकाली के रूप में पूजित है।
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51, कणांट : जहाँ सती के दोनों कान गिरे, वह स्थान कणॉट
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कहलाया। यह कहीं कनॉटक में विद्यमान है। ठीक स्थिति की
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जानकारी नहीं है।इस शक्तिपीठमें देवीजयदुर्गा रूपमें प्रतिष्ठित
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मानी जाती हैं।
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उपर्युक्त शक्तिपीठों के अतिरिक्त कांगड़ा की महामाया, विश्वेश्वरी
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(विजेश्वरी), नगरकोट की देवी, चिंतपूर्णी माता, चर्चिका देवी(उड़ीसा) और
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चण्डीतला (सियालदह के पास) को भी कुछ विद्वान शक्तिपीठ मानते हैं।
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शक्तिपीठों के अतिरिक्त आद्या शक्ति भगवती के प्रमुख मन्दिर वैष्णवी
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देवी (जम्मू), विन्ध्यवासिनी (मिर्जापुर), शाकम्भरी (सहारनुपर), नैनादेवी
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(अम्बाला), कालीमठ (बदरी-केदारनाथ क्षेत्र), कालिका (हिमाचल) आदि
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प्रसिद्ध हैं।
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2ढ़ा दिया था
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कश्मीर हिमालय में स्थित महादेव शिव का स्थान है। यहाँ लगभग 15
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फूट ऊँचीप्राकृतिक गुफा में हिम का शिवलिंग है। हिम का यह शिवलिंग
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प्रत्येक मास की शुक्ल प्रतिपदा को बनना प्रारम्भ होता है, पूर्णिमा को
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पूर्णकार होकर कृष्णपक्ष मेंधीरे-धीरेघटता है। श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबन्धन)
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को यहाँ बृहत् समागम होता है। देश के सभी भागों से एकत्र भक्तजन
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श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं।
    
==References==
 
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