पुराणों में राहु और केतु का उल्लेख एक राक्षस के कटे हुए शिर और धड़ के रूप में किया गया है, जिसने समुद्र-मन्थन के पश्चात् चुपके से देवों के मध्य जाकर अमृत पी लिया था। सूर्य-चन्द्र द्वारा यह सूचना मिलने पर भगवान् विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका शिर काट दिया। मांगलिक कार्यों के पूजा-विधान में नवग्रह-पूजन भी सम्मिलित है। | पुराणों में राहु और केतु का उल्लेख एक राक्षस के कटे हुए शिर और धड़ के रूप में किया गया है, जिसने समुद्र-मन्थन के पश्चात् चुपके से देवों के मध्य जाकर अमृत पी लिया था। सूर्य-चन्द्र द्वारा यह सूचना मिलने पर भगवान् विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका शिर काट दिया। मांगलिक कार्यों के पूजा-विधान में नवग्रह-पूजन भी सम्मिलित है। |