− | आज स्थिति यह है कि हम न तो शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोक सकते हैं, न राजनीति के, न अर्थव्यवस्था के। न स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को आप व्यवसायीकरण होने से रोक सकते हैं, ना भाई-बहन के । हर चीज का बाजारीकरण होना तय है। अंग्रेजी साहित्य में एक बड़े कवि हुए हैं,ओलिवर गोल्डस्मिथ उनकी एक बड़ी श्रेष्ठ रचना है, 'ध डेझर्टेड विलेज','उजडा गाँव'। वह इसी सन्ताप को प्रकट करती है कि जिसके अन्दर भावना है, भाव है उसे जब परम्परागत ग्राम और समाज टूटता है तो क्या दुःख होता है । जिसमें नहीं है उसको तो कोई फर्क नहीं पड़ता। 'जब राष्ट्रों के दिल ठंडे पड़ जाते हैं तो सम्बन्धों में भी ठंडापन आ जाता है और हर शाखा पर व्यापार-वाणिज्य फलनेफूलने लगता है। जब हर चीज कॉमर्स हो जायेगी तो फिर उसमें विवाद होंगे ही होंगे । जब कोई चीज व्यवसाय बन गई तो फिर लाभ-हानि की दृष्टि से विवाद होना तय है । हम को ज्यादा मिला कि तुम को ज्यादा मिला यह विचार तो आयेगा ही आयेगा । यह विचार तो तब नहीं आयेगा जब सम्बन्धों के प्रति, समाज के प्रति, संस्थाओं के प्रति धर्म की दृष्टि होगी । धर्म की बुद्धि होगी। | + | आज स्थिति यह है कि हम न तो शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोक सकते हैं, न राजनीति के, न अर्थव्यवस्था के। न स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को आप व्यवसायीकरण होने से रोक सकते हैं, ना भाई-बहन के । हर चीज का बाजारीकरण होना तय है। अंग्रेजी साहित्य में एक बड़े कवि हुए हैं,ओलिवर गोल्डस्मिथ उनकी एक बड़ी श्रेष्ठ रचना है, 'ध डेझर्टेड विलेज','उजड़ा गाँव'। वह इसी सन्ताप को प्रकट करती है कि जिसके अन्दर भावना है, भाव है उसे जब परम्परागत ग्राम और समाज टूटता है तो क्या दुःख होता है । जिसमें नहीं है उसको तो कोई फर्क नहीं पड़ता। 'जब राष्ट्रों के दिल ठंडे पड़ जाते हैं तो सम्बन्धों में भी ठंडापन आ जाता है और हर शाखा पर व्यापार-वाणिज्य फलनेफूलने लगता है। जब हर चीज कॉमर्स हो जायेगी तो फिर उसमें विवाद होंगे ही होंगे । जब कोई चीज व्यवसाय बन गई तो फिर लाभ-हानि की दृष्टि से विवाद होना तय है । हम को ज्यादा मिला कि तुम को ज्यादा मिला यह विचार तो आयेगा ही आयेगा । यह विचार तो तब नहीं आयेगा जब सम्बन्धों के प्रति, समाज के प्रति, संस्थाओं के प्रति धर्म की दृष्टि होगी । धर्म की बुद्धि होगी। |
| == सामंजस्य समान धर्मियों में, विधर्मियों में नहीं == | | == सामंजस्य समान धर्मियों में, विधर्मियों में नहीं == |