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२०. देश में अनेक संगठन ऐसे हैं जो शुद्ध शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रेरित ये संगठन देशव्यापी हैं । संख्यात्मक दृष्टि से विश्व में प्रथम क्रमांक पर हैं, संगठनात्मक दृष्टि से समाज में और शिक्षा क्षेत्र में इनकी स्वीकृति है, वे प्रभावी है। कार्यकर्ताओं का अच्छा समर्पित वर्ग भी इनके पास है । परन्तु ये सब भी ज्ञानात्मक पक्ष को स्पर्श करते नहीं दिखाई देते हैं। वही पश्चिमी शिक्षा हजारों विद्यालयों में चल रही है ।
 
२०. देश में अनेक संगठन ऐसे हैं जो शुद्ध शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रेरित ये संगठन देशव्यापी हैं । संख्यात्मक दृष्टि से विश्व में प्रथम क्रमांक पर हैं, संगठनात्मक दृष्टि से समाज में और शिक्षा क्षेत्र में इनकी स्वीकृति है, वे प्रभावी है। कार्यकर्ताओं का अच्छा समर्पित वर्ग भी इनके पास है । परन्तु ये सब भी ज्ञानात्मक पक्ष को स्पर्श करते नहीं दिखाई देते हैं। वही पश्चिमी शिक्षा हजारों विद्यालयों में चल रही है ।
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२१. डेढ़ शतक के इस कालखण्ड में उच्च शिक्षा धार्मिकता से पूर्ण रूप से अस्पर्श रही है । शिक्षा का यह उद्गम बिन्दु है । वास्तव में यही वह बिन्दु है जहाँ से शिक्षा के धार्मिककरण के प्रयास का प्रारम्भ होना चाहिये था । ब्रिटीशों ने भी शिक्षा के यूरोपीकरण का प्रारम्भ शास्त्रों के परिवर्तन से ही किया था । हमारे सारे संकटों की जड भी वही है । परन्तु इस पर किसीने काम नहीं किया । शिक्षा का ज्ञानात्मक प्रवाह वैसा का वैसा रहा है ।
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२१. डेढ़ शतक के इस कालखण्ड में उच्च शिक्षा धार्मिकता से पूर्ण रूप से अस्पर्श रही है । शिक्षा का यह उद्गम बिन्दु है । वास्तव में यही वह बिन्दु है जहाँ से शिक्षा के धार्मिककरण के प्रयास का प्रारम्भ होना चाहिये था । ब्रिटीशों ने भी शिक्षा के यूरोपीकरण का प्रारम्भ शास्त्रों के परिवर्तन से ही किया था । हमारे सारे संकटों की जड़ भी वही है । परन्तु इस पर किसीने काम नहीं किया । शिक्षा का ज्ञानात्मक प्रवाह वैसा का वैसा रहा है ।
    
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