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| अमेरिका को आज नम्बर वन कहा जाता है। परन्तु इसे नम्बर वन कौन कहते हैं ? यह स्वयं ही और अपने जसे हीनता बोध से पीड़ित भोले व अज्ञानी लोग। वास्तव में अमेरिका जैसा निर्दयी, लोभी और हिंसक देश दुनियाँ में दूसरा नहीं है। शोषण, लूट, हिंसा, भ्रष्टाचार, अनीति, कामुकता, पशुता, असुरता - ऐसी एक भी बात नहीं है जिसमें अमेरिका का व्यवहार देखकर हमें कँपकँपी न छूट आये, और हम भयभीत न हो जाये। दुनियाँ को लूटने का अमेरिका ने एक ऐसा जाल बुना है जिसमें पढ़े लिखे और विद्वान लोग, धनवान लोग, आतंकवादी और सत्ताधीश भी शामिल हैं। यह सारी हिंसक और घातक गतिविधियों को उसने सुनहरा रूप और सुनहरे नाम दिये हैं जिनसे वह दुनियाँ को ठगता है। इस घातक गतिविधि में शामिल एक आर्थिक हत्यारे जोन परकीन्स की लिखी हुई पुस्तक के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं, जिसका भावानुवाद राजकोट के उद्योगपति श्री वेलजीभाई देसाई ने किया है। | | अमेरिका को आज नम्बर वन कहा जाता है। परन्तु इसे नम्बर वन कौन कहते हैं ? यह स्वयं ही और अपने जसे हीनता बोध से पीड़ित भोले व अज्ञानी लोग। वास्तव में अमेरिका जैसा निर्दयी, लोभी और हिंसक देश दुनियाँ में दूसरा नहीं है। शोषण, लूट, हिंसा, भ्रष्टाचार, अनीति, कामुकता, पशुता, असुरता - ऐसी एक भी बात नहीं है जिसमें अमेरिका का व्यवहार देखकर हमें कँपकँपी न छूट आये, और हम भयभीत न हो जाये। दुनियाँ को लूटने का अमेरिका ने एक ऐसा जाल बुना है जिसमें पढ़े लिखे और विद्वान लोग, धनवान लोग, आतंकवादी और सत्ताधीश भी शामिल हैं। यह सारी हिंसक और घातक गतिविधियों को उसने सुनहरा रूप और सुनहरे नाम दिये हैं जिनसे वह दुनियाँ को ठगता है। इस घातक गतिविधि में शामिल एक आर्थिक हत्यारे जोन परकीन्स की लिखी हुई पुस्तक के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं, जिसका भावानुवाद राजकोट के उद्योगपति श्री वेलजीभाई देसाई ने किया है। |
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− | आर्थिक हत्यारे उच्च वेतन पाने वाले लोग होते हैं । वे सारी दुनियाँ का शोषण कर हजारों अरब डॉलर की लूट करते हैं । विश्व बैंक, अन्तरराष्ट्रीय विकास के लिए बनी यु.एस. एजेन्सी और विदेशी ‘मदद' के लिए स्थापित संस्थाओं में से सम्पूर्ण धन वे आर्थिक हत्यारे पृथ्वी की प्राकृतिक सम्पत्ति का अंकुश जिनके हाथों में है ऐसे विशाल कोर्पोरेशनों की तिजोरियों में और कुछ अरबपति कुटुम्बों की जेबों में ले जाते हैं । ये आर्थिक हत्यारे पैसे के हिसाब की रिपोर्ट तैयार करके चुनावों में प्रपंच रच कर हारजीत करवाते हैं, बहुत बड़ी रकम रिश्वत में देकर, जोर-जबरदस्ती करके, सेक्स के लिए स्त्रियों का उपयोग करके तथा आवश्यकता पड़ने पर हत्या करवाकर भी अपनी गतिविधियाँ करते रहते हैं । पुराने समय में साम्रज्य जो जो गन्दी चालें चला करते थे, उनसे भी अधिक आज के वैश्विकरण के युग में ये गन्दी चालें, जिनकी हम तो कल्पना भी नहीं कर सकते, भयानक मात्रा में बढ़ गई हैं।<blockquote>"मैं ऐसा ही एक आर्थिक हत्यारा था ।" - जोन परकीन्स</blockquote>ईक्वाडॉर देश के प्रमुख जेइम रोल्दोस और पनामा के प्रमुख जोमार टोरीजोस ये दोनों विमान में आग लगने से मरे । उनकी मृत्यु अकस्मात नहीं हुई थी। उन्हें मरवाया गया था । क्यों कि वैश्विक साम्राज्य स्थापित करना चाहने वाले कोर्पोरेशन, अमेरिकन सरकार और बैंकों के उच्च अधिकारियों को साथ देने का इन्होंने विरोध किया था । रोल्दोस और टोरीजोस को सीधा करने के प्रयास जो आर्थिक हत्यारों ने किये थे, वे विफल हुए। अतः अमेरिकन जासूसी संस्था (CIA) के अधिकृत गुण्डों ने यह काम हाथ में लिया था। | + | आर्थिक हत्यारे उच्च वेतन पाने वाले लोग होते हैं । वे सारी दुनियाँ का शोषण कर हजारों अरब डॉलर की लूट करते हैं । विश्व बैंक, अन्तरराष्ट्रीय विकास के लिए बनी यु.एस. एजेन्सी और विदेशी ‘सहायता' के लिए स्थापित संस्थाओं में से सम्पूर्ण धन वे आर्थिक हत्यारे पृथ्वी की प्राकृतिक सम्पत्ति का अंकुश जिनके हाथों में है ऐसे विशाल कोर्पोरेशनों की तिजोरियों में और कुछ अरबपति कुटुम्बों की जेबों में ले जाते हैं । ये आर्थिक हत्यारे पैसे के हिसाब की रिपोर्ट तैयार करके चुनावों में प्रपंच रच कर हारजीत करवाते हैं, बहुत बड़ी रकम रिश्वत में देकर, जोर-जबरदस्ती करके, सेक्स के लिए स्त्रियों का उपयोग करके तथा आवश्यकता पड़ने पर हत्या करवाकर भी अपनी गतिविधियाँ करते रहते हैं । पुराने समय में साम्रज्य जो जो गन्दी चालें चला करते थे, उनसे भी अधिक आज के वैश्विकरण के युग में ये गन्दी चालें, जिनकी हम तो कल्पना भी नहीं कर सकते, भयानक मात्रा में बढ़ गई हैं।<blockquote>"मैं ऐसा ही एक आर्थिक हत्यारा था ।" - जोन परकीन्स</blockquote>ईक्वाडॉर देश के प्रमुख जेइम रोल्दोस और पनामा के प्रमुख जोमार टोरीजोस ये दोनों विमान में आग लगने से मरे । उनकी मृत्यु अकस्मात नहीं हुई थी। उन्हें मरवाया गया था । क्यों कि वैश्विक साम्राज्य स्थापित करना चाहने वाले कोर्पोरेशन, अमेरिकन सरकार और बैंकों के उच्च अधिकारियों को साथ देने का इन्होंने विरोध किया था । रोल्दोस और टोरीजोस को सीधा करने के प्रयास जो आर्थिक हत्यारों ने किये थे, वे विफल हुए। अतः अमेरिकन जासूसी संस्था (CIA) के अधिकृत गुण्डों ने यह काम हाथ में लिया था। |
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| मुझे यह पुस्तक न लिखने के लिए समझाया गया । गत २० वर्षों में मैंने यह पुस्तक चार बार लिखने का प्रयत्न किया, परन्तु धमकियों अथवा रिश्वत की बहुत बड़ी रकम के कारण पुस्तक लिखना बन्द करने की बात मैं मान गया था। जब मैंने यह पुस्तक लिख दी तो एक भी प्रकाशक ने इसे छापने की हिम्मत नहीं दिखाई। उन्होंने मुझे सुझाया कि इसे मैं उपन्यास के रूप में लिख दूँ तो वे छाप देंगे । किन्तु मैंने उन्हें कहा कि ये कोई उपन्यास नहीं हैं, मेरे जीवन की यह सत्य घटना है । मैं आज जिस स्थिति में हूँ, वहाँ आर्थिक हत्यारे की भाँति काम करके किस प्रकार पहुँचा, इसकी सत्य घटना है, जिसका कोई हल न निकाल सके, ऐसी आपात स्थिति में यह दुनिया कैसे आ गई, उसकी सत्य घटनाएं हैं। इस दुनिया में प्रतिदिन भूख से २४,००० लोग मर जाते हैं। ऐसा क्यों होता है इसकी वास्तविकताएँ इसमें हैं । दुनियाँ के इतिहास में पहली बार ही ऐसा हुआ है कि एक ही देश के पास में दुनिया को जैसे नचाना हो वैसे नचा सके ऐसी शक्ति, सत्ता और धन आ गया है । यह देश है युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, जहाँ मैं जन्मा हूँ और जहाँ आर्थिक हत्यारे के पद पर मैंने काम किया है। | | मुझे यह पुस्तक न लिखने के लिए समझाया गया । गत २० वर्षों में मैंने यह पुस्तक चार बार लिखने का प्रयत्न किया, परन्तु धमकियों अथवा रिश्वत की बहुत बड़ी रकम के कारण पुस्तक लिखना बन्द करने की बात मैं मान गया था। जब मैंने यह पुस्तक लिख दी तो एक भी प्रकाशक ने इसे छापने की हिम्मत नहीं दिखाई। उन्होंने मुझे सुझाया कि इसे मैं उपन्यास के रूप में लिख दूँ तो वे छाप देंगे । किन्तु मैंने उन्हें कहा कि ये कोई उपन्यास नहीं हैं, मेरे जीवन की यह सत्य घटना है । मैं आज जिस स्थिति में हूँ, वहाँ आर्थिक हत्यारे की भाँति काम करके किस प्रकार पहुँचा, इसकी सत्य घटना है, जिसका कोई हल न निकाल सके, ऐसी आपात स्थिति में यह दुनिया कैसे आ गई, उसकी सत्य घटनाएं हैं। इस दुनिया में प्रतिदिन भूख से २४,००० लोग मर जाते हैं। ऐसा क्यों होता है इसकी वास्तविकताएँ इसमें हैं । दुनियाँ के इतिहास में पहली बार ही ऐसा हुआ है कि एक ही देश के पास में दुनिया को जैसे नचाना हो वैसे नचा सके ऐसी शक्ति, सत्ता और धन आ गया है । यह देश है युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, जहाँ मैं जन्मा हूँ और जहाँ आर्थिक हत्यारे के पद पर मैंने काम किया है। |
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| विदेशी सहायता का जो खेल है, वह बनावटी है। उससे राजनेता अति धनवान होते हैं और देश कर्ज में डूब जाता है । यह पद्धति ऐसी धारणा पर रची हुई है कि सत्ता पर बैठे सभी राजनेता भ्रष्टाचारी होते हैं। और कोई सत्ताधीश अगर स्वयं के हित के लिए उसका उपयोग न करना चाहे अर्थात् ऐसा प्रामाणिक निकले तो उसे अमेरिका को धमकी देने के रूप में देखा जाता है, क्यों कि उसके एक के बाद एक ऐसे प्रत्याघात आते हैं कि इन देशों को चूसने की यह पद्धति ही टूट जाती है। | | विदेशी सहायता का जो खेल है, वह बनावटी है। उससे राजनेता अति धनवान होते हैं और देश कर्ज में डूब जाता है । यह पद्धति ऐसी धारणा पर रची हुई है कि सत्ता पर बैठे सभी राजनेता भ्रष्टाचारी होते हैं। और कोई सत्ताधीश अगर स्वयं के हित के लिए उसका उपयोग न करना चाहे अर्थात् ऐसा प्रामाणिक निकले तो उसे अमेरिका को धमकी देने के रूप में देखा जाता है, क्यों कि उसके एक के बाद एक ऐसे प्रत्याघात आते हैं कि इन देशों को चूसने की यह पद्धति ही टूट जाती है। |
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− | रोबर्ट मेकनमारा (फोर्ड कम्पनी का मेनेजर, जिसे अमेरिकन प्रमुख केनेडी ने सरकार में गृह मंत्री बनाया था) आक्रमक नेतागीरी की वकालत करता था, और वियतनाम युद्ध जीतने के लिए गणितीय गणना करके आँकड़े निकाल कर उसके अनुसार वित्तीय आवंटन करता था । यह पद्धति सरकार और बड़े बड़े कोर्पोरेशन चलाने का आधार बन गई। और उसके अनुसार देश की उच्चतम मेनेजमेंट की स्कूलों में भी पढ़ाना प्रारम्भ हुआ। उसमें से चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसरों की एक नई जाति ही पैदा हो गई। जिन्हों ने अमेरिका को विश्व साम्राज्य बनाने के लिए सर्वत्र पैठ बनाई थी। मैं अब देखता हूँ कि रॉबर्ट मेक्नामारा का इतिहास में सबसे बड़ा पापी निर्णय यही था। दुनिया ने कभी देखा न हो इतनी हद तक विश्व बैंक को वैश्विक साम्राज्य का एजेन्ट बना दिया गया है। उसके बाद तो अनेक कोर्पोरेशनों के मेनेजर सरकार में बड़े पदों पर चुने जाने लगे, जो हमारे जैसे आर्थिक हत्यारों की मदद से अमेरिका को विश्व साम्राज्य में बदलने लगे। | + | रोबर्ट मेकनमारा (फोर्ड कम्पनी का मेनेजर, जिसे अमेरिकन प्रमुख केनेडी ने सरकार में गृह मंत्री बनाया था) आक्रमक नेतागीरी की वकालत करता था, और वियतनाम युद्ध जीतने के लिए गणितीय गणना करके आँकड़े निकाल कर उसके अनुसार वित्तीय आवंटन करता था । यह पद्धति सरकार और बड़े बड़े कोर्पोरेशन चलाने का आधार बन गई। और उसके अनुसार देश की उच्चतम मेनेजमेंट की स्कूलों में भी पढ़ाना प्रारम्भ हुआ। उसमें से चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसरों की एक नई जाति ही पैदा हो गई। जिन्हों ने अमेरिका को विश्व साम्राज्य बनाने के लिए सर्वत्र पैठ बनाई थी। मैं अब देखता हूँ कि रॉबर्ट मेक्नामारा का इतिहास में सबसे बड़ा पापी निर्णय यही था। दुनिया ने कभी देखा न हो इतनी हद तक विश्व बैंक को वैश्विक साम्राज्य का एजेन्ट बना दिया गया है। उसके बाद तो अनेक कोर्पोरेशनों के मेनेजर सरकार में बड़े पदों पर चुने जाने लगे, जो हमारे जैसे आर्थिक हत्यारों की सहायता से अमेरिका को विश्व साम्राज्य में बदलने लगे। |
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| सन १९७८ में कुछ समय के लिए पेट्रोलियम का संकट निर्माण हुआ था। परन्तु उसका प्रभाव बहुत अधिक हुआ। उससे कोर्पोरेटोक्रेसी - कम्पनीशाही बहुत मजबूत हुई । उसके तीन आधार स्तम्भों - बड़े कोर्पोरेशन, अन्तरराष्ट्रीय बैंक और सरकार - का गठबन्धन इससे पहले कभी न था, ऐसा मजबूत हुआ। | | सन १९७८ में कुछ समय के लिए पेट्रोलियम का संकट निर्माण हुआ था। परन्तु उसका प्रभाव बहुत अधिक हुआ। उससे कोर्पोरेटोक्रेसी - कम्पनीशाही बहुत मजबूत हुई । उसके तीन आधार स्तम्भों - बड़े कोर्पोरेशन, अन्तरराष्ट्रीय बैंक और सरकार - का गठबन्धन इससे पहले कभी न था, ऐसा मजबूत हुआ। |
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| राष्ट्रपति बुश, साउदी अरब का मुख्य घर और ओसामा बिन लादेन के व्यापारिक सम्बन्धों के बारे में जो बात प्रकट हुई, उससे मुझे तनिक भी आश्चर्य नहीं लगा। मुझे तो उनके सम्बन्ध ठेठ १९७८ से हैं अर्थात् पुराने हैं. इसकी जानकारी थी। | | राष्ट्रपति बुश, साउदी अरब का मुख्य घर और ओसामा बिन लादेन के व्यापारिक सम्बन्धों के बारे में जो बात प्रकट हुई, उससे मुझे तनिक भी आश्चर्य नहीं लगा। मुझे तो उनके सम्बन्ध ठेठ १९७८ से हैं अर्थात् पुराने हैं. इसकी जानकारी थी। |
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− | अमेरिका में ११ सितम्बर को दो टॉवर गिरा दिये गये उसके बाद धनवान साउदी अरब जिसमें ओसामा बिन लादेन के परिवार के लोग भी थे, उन्हें प्राइवेट जेट विमानों के द्वारा फुर्ती के साथ अमेरिका से बाहर भगा दिया गया । इन उड़ानों का क्लीयरन्स भी नहीं हुआ। किसी भी पेसेन्जर को कुछ भी पूछा नहीं गया । राष्ट्रपति बुश के दीर्घकालीन पारिवारिक सम्बन्धों ने ही इसमें मदद की है ना ? | + | अमेरिका में ११ सितम्बर को दो टॉवर गिरा दिये गये उसके बाद धनवान साउदी अरब जिसमें ओसामा बिन लादेन के परिवार के लोग भी थे, उन्हें प्राइवेट जेट विमानों के द्वारा फुर्ती के साथ अमेरिका से बाहर भगा दिया गया । इन उड़ानों का क्लीयरन्स भी नहीं हुआ। किसी भी पेसेन्जर को कुछ भी पूछा नहीं गया । राष्ट्रपति बुश के दीर्घकालीन पारिवारिक सम्बन्धों ने ही इसमें सहायता की है ना ? |
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| एक दिन पौला (कोलम्बिया की एक स्त्री का नाम) ने मुझे कहा कि आपने अच्छा किया कि जो बाँध बना रहे हो नदी के किनारे पर, वहाँ के स्थानीय लोग और सभी किसान तुम्हें धिक्कार रहे हैं । अरे ! शहर के लोग जिनका इस बाँध के साथ कोई सम्बन्ध नहीं वे सब भी तुम्हारे निर्माण करने वाले केम्प के ऊपर जो गेरिला लोग हमला करते हैं, उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं । तुम्हारी सरकार भले ही उन्हें साम्यवादियों, आतंकवादियों और नार्कोटिक जैसे ड्रग बैचने वालों के रूप में बताये सत्य हकीकत यही है कि तुम्हारी कम्पनी जिन जमीनों का नाश कर रही है, उन जमीनों पर जीने वाले कुटुम्ब - कबीले वाले लोग बिल्कुल सीधे सादे हैं । ऐसी नीतियों के कारण मुझे मेरे साथ ही जीने में बहुत अधिक कठिनाई निर्माण होने लगीं । पौला ने मेरे सामने ही एक समाचारपत्र खोला, और उसमें छपा हआ पत्र मुझे पढ़ कर सुनाया । वह पत्र यह था। "हम सब अपने पूर्वजों के रक्त की सौगन्ध खाकर प्रतिज्ञा करते हैं कि इस नदी के ऊपर कभी भी बाँध बनने नहीं देंगे । हमारी जमीन पर पानी भर जाय उससे तो अच्छा है कि हम मर जायें । हमें हमारे कोलम्बियन भाइयों को चेतावनी देनी चाहिए कि बाँध बनाने वाली कम्पनी में काम या नौकरी करना बन्द कर दें।" | | एक दिन पौला (कोलम्बिया की एक स्त्री का नाम) ने मुझे कहा कि आपने अच्छा किया कि जो बाँध बना रहे हो नदी के किनारे पर, वहाँ के स्थानीय लोग और सभी किसान तुम्हें धिक्कार रहे हैं । अरे ! शहर के लोग जिनका इस बाँध के साथ कोई सम्बन्ध नहीं वे सब भी तुम्हारे निर्माण करने वाले केम्प के ऊपर जो गेरिला लोग हमला करते हैं, उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं । तुम्हारी सरकार भले ही उन्हें साम्यवादियों, आतंकवादियों और नार्कोटिक जैसे ड्रग बैचने वालों के रूप में बताये सत्य हकीकत यही है कि तुम्हारी कम्पनी जिन जमीनों का नाश कर रही है, उन जमीनों पर जीने वाले कुटुम्ब - कबीले वाले लोग बिल्कुल सीधे सादे हैं । ऐसी नीतियों के कारण मुझे मेरे साथ ही जीने में बहुत अधिक कठिनाई निर्माण होने लगीं । पौला ने मेरे सामने ही एक समाचारपत्र खोला, और उसमें छपा हआ पत्र मुझे पढ़ कर सुनाया । वह पत्र यह था। "हम सब अपने पूर्वजों के रक्त की सौगन्ध खाकर प्रतिज्ञा करते हैं कि इस नदी के ऊपर कभी भी बाँध बनने नहीं देंगे । हमारी जमीन पर पानी भर जाय उससे तो अच्छा है कि हम मर जायें । हमें हमारे कोलम्बियन भाइयों को चेतावनी देनी चाहिए कि बाँध बनाने वाली कम्पनी में काम या नौकरी करना बन्द कर दें।" |
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− | मुझे ऐसा लगा कि मैं गेरिला के आक्रमण का भोग बन गया होता तो अच्छा होता अथवा मैं स्वयं ही गेरिला बन जाऊँ तो अच्छा है, जिससे प्रतिदिन मैं मेरी नौकरी को अधिक से अधिक धिक्कारने लगूं। पौला ने मुझे कहा कि तुम्हारा यह लडाकू ध्येय बहुत सही है । तुम बाँध बना कर बिजली पैदा करोगे, वह तो कुछ धनवान कोलम्बियनों की मदद होगी। परन्तु हजारों कोलम्बियन तो मर ही जायेंगे, क्योंकि पानी ही प्रदूषित होगा, जिससे मछलियाँ भी मर जायेंगी। | + | मुझे ऐसा लगा कि मैं गेरिला के आक्रमण का भोग बन गया होता तो अच्छा होता अथवा मैं स्वयं ही गेरिला बन जाऊँ तो अच्छा है, जिससे प्रतिदिन मैं मेरी नौकरी को अधिक से अधिक धिक्कारने लगूं। पौला ने मुझे कहा कि तुम्हारा यह लडाकू ध्येय बहुत सही है । तुम बाँध बना कर बिजली पैदा करोगे, वह तो कुछ धनवान कोलम्बियनों की सहायता होगी। परन्तु हजारों कोलम्बियन तो मर ही जायेंगे, क्योंकि पानी ही प्रदूषित होगा, जिससे मछलियाँ भी मर जायेंगी। |
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| पौला ने आगे कहा, 'विदेशी ऑयल कम्पनी के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया, क्यों कि उनकी जमीनों के ऊपर तुमने तेल के कुँओं के लिए खुदाई की, उसका विरोध किया। पुलिस ने उनको पकड़कर मारा और जेल में डाल दिया । उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था । केवल ऑफिस के बाहर खड़े होकर प्लेकार्ड हाथमें लेकर गाते गाते खड़े रहते थे। केवल इतने से विरोध के कारण ६ महीने तक जेल में रखा । जेल से बाहर आने के बाद वहाँ क्या हुआ कि उन्होंने उनसे बिल्कुल बात ही नहीं की । परन्तु वे जब जेल से बाहर आये तब अलग ही जाति के मनुष्य थे (आतंकवादी बनकर बाहर आये थे) | | | पौला ने आगे कहा, 'विदेशी ऑयल कम्पनी के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया, क्यों कि उनकी जमीनों के ऊपर तुमने तेल के कुँओं के लिए खुदाई की, उसका विरोध किया। पुलिस ने उनको पकड़कर मारा और जेल में डाल दिया । उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था । केवल ऑफिस के बाहर खड़े होकर प्लेकार्ड हाथमें लेकर गाते गाते खड़े रहते थे। केवल इतने से विरोध के कारण ६ महीने तक जेल में रखा । जेल से बाहर आने के बाद वहाँ क्या हुआ कि उन्होंने उनसे बिल्कुल बात ही नहीं की । परन्तु वे जब जेल से बाहर आये तब अलग ही जाति के मनुष्य थे (आतंकवादी बनकर बाहर आये थे) | |