Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "शुरू" to "आरम्भ"
Line 4: Line 4:  
१. कर्मसंस्कृति का नाश और यन्त्र विकृति का प्रभाव इन दोनों के परिणाम स्वरूप मनुष्य अधिक से अधिक अपाहिज बन रहा है, अपनी ईश्वर प्रदत्त जन्मजात शक्तियों का क्षरण हो रहा है उसे देख ही नहीं सकता, और यदि देख सकता है तो उन्हें बचाने के लिये कुछ कर नहीं सकता । क्‍या यह स्थिति शोचनीय नहीं है ?
 
१. कर्मसंस्कृति का नाश और यन्त्र विकृति का प्रभाव इन दोनों के परिणाम स्वरूप मनुष्य अधिक से अधिक अपाहिज बन रहा है, अपनी ईश्वर प्रदत्त जन्मजात शक्तियों का क्षरण हो रहा है उसे देख ही नहीं सकता, और यदि देख सकता है तो उन्हें बचाने के लिये कुछ कर नहीं सकता । क्‍या यह स्थिति शोचनीय नहीं है ?
   −
२. बच्चों का गर्भाधान ही दवाइयों की सहायता से होता है । ये दवाइयाँ जैविक नहीं होती हैं, वे विघटन नहीं हो सकता ऐसी सामग्री और प्रक्रिया से निर्मित होती हैं। वे जीवित शरीर के साथ समरस नहीं होतीं । यहीं से आपत्तियों का क्रम शुरू हो जाता है ।
+
२. बच्चों का गर्भाधान ही दवाइयों की सहायता से होता है । ये दवाइयाँ जैविक नहीं होती हैं, वे विघटन नहीं हो सकता ऐसी सामग्री और प्रक्रिया से निर्मित होती हैं। वे जीवित शरीर के साथ समरस नहीं होतीं । यहीं से आपत्तियों का क्रम आरम्भ हो जाता है ।
    
३. गर्भावस्‍था में ही मधुमेह, रक्तचाप और हृदय की ओर जाने वाली रक्तवाहिनियों में अवरोध आदि जैसी घातक बिमारियाँ लग जाने का अनुपात बढ रहा है । इन बिमारियों का जन्म के बाद ठीक होना असम्भव है |
 
३. गर्भावस्‍था में ही मधुमेह, रक्तचाप और हृदय की ओर जाने वाली रक्तवाहिनियों में अवरोध आदि जैसी घातक बिमारियाँ लग जाने का अनुपात बढ रहा है । इन बिमारियों का जन्म के बाद ठीक होना असम्भव है |

Navigation menu