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=== मूल कारण पश्चिमी शिक्षा ===
 
=== मूल कारण पश्चिमी शिक्षा ===
१४. पश्चिमी शिक्षा का इसके साथ क्या सम्बन्ध है ? क्या यह सब युरोप या अमेरिका कर रहा है ? यहाँ अभी तो वर्णन किया उससे तो उन देशों में स्थिति अच्छी है । इतने दुर्गुण और दुर्गति वहाँ नहीं हैं । भारत में आज की स्थिति के निर्माता तो सब भारतीय ही हैं । हम ही यह सब कर रहे हैं । फिर पश्चिमी शिक्षा को क्यों दोष देना चाहिये ?   
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१४. पश्चिमी शिक्षा का इसके साथ क्या सम्बन्ध है ? क्या यह सब युरोप या अमेरिका कर रहा है ? यहाँ अभी तो वर्णन किया उससे तो उन देशों में स्थिति अच्छी है । इतने दुर्गुण और दुर्गति वहाँ नहीं हैं । भारत में आज की स्थिति के निर्माता तो सब धार्मिक ही हैं । हम ही यह सब कर रहे हैं । फिर पश्चिमी शिक्षा को क्यों दोष देना चाहिये ?   
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१५, यह बात सत्य है कि भारत की आज की दुर्गति भारतीयों के द्वारा ही हो रही है । परन्तु इन सब दोषों की जनक और दोषों का निवारण नहीं करने वाली तो शिक्षा ही है । भारत में आज भी भारतीय शिक्षा नहीं है । शिक्षा के पश्चिमीकरण से हम मुक्त नहीं हुए हैं । उसे वैसा का वैसा चला रहे हैं । उससे जनमी ये समस्यायें हैं ।   
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१५, यह बात सत्य है कि भारत की आज की दुर्गति धार्मिकों के द्वारा ही हो रही है । परन्तु इन सब दोषों की जनक और दोषों का निवारण नहीं करने वाली तो शिक्षा ही है । भारत में आज भी धार्मिक शिक्षा नहीं है । शिक्षा के पश्चिमीकरण से हम मुक्त नहीं हुए हैं । उसे वैसा का वैसा चला रहे हैं । उससे जनमी ये समस्यायें हैं ।   
    
१६. क्या खाद्य पदार्थों में मिलावट करना किसी पाठ्यक्रम में सिखाया जाता है ? क्या देशद्रोह किसी विद्यालय में सिखाया जाता है ? क्या चोरी करना सिखाया जाता है ? ऐसा तो कोई कर नहीं सकता । फिर हम समाज की दुर्गति का दोष शिक्षा के माथे क्यों मढते हैं?   
 
१६. क्या खाद्य पदार्थों में मिलावट करना किसी पाठ्यक्रम में सिखाया जाता है ? क्या देशद्रोह किसी विद्यालय में सिखाया जाता है ? क्या चोरी करना सिखाया जाता है ? ऐसा तो कोई कर नहीं सकता । फिर हम समाज की दुर्गति का दोष शिक्षा के माथे क्यों मढते हैं?   
    
१७. पैसा कमाने के लिये कुछ भी हो सकता है। अर्थशास््र का नैतिकता से कोई सम्बन्ध नहीं है ऐसा सिखाने से अर्थविषयक अप्रामाणिकता अलग से सिखाने की आवश्यकता नहीं होती । मैं कुछ भी करने के लिये स्वतन्त्र हूँ ऐसा सिखाने से स्वार्थी बनने के लिये और कुछ सिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती । व्यक्तिकेन्द्री समाजरचना का सिद्धान्त सिखाने के बाद स्वार्थी होना अलग से सिखाने की आवश्यकता नहीं रहती । काम करने वाला छोटा है ऐसा सिखाने से शोषण करने की कला अलग से सिखाने की आवश्यकता नहीं होती । विभिन्न विषयों के जो मूल सिद्धान्त हैं वे ही सारे सामाजिक सांस्कृतिक दृषणों के मूल स्रोत हैं । अतः दोष तो शिक्षा का ही है । हमारा दोष यह है कि हम ऐसी शिक्षा को चला रहे हैं ।
 
१७. पैसा कमाने के लिये कुछ भी हो सकता है। अर्थशास््र का नैतिकता से कोई सम्बन्ध नहीं है ऐसा सिखाने से अर्थविषयक अप्रामाणिकता अलग से सिखाने की आवश्यकता नहीं होती । मैं कुछ भी करने के लिये स्वतन्त्र हूँ ऐसा सिखाने से स्वार्थी बनने के लिये और कुछ सिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती । व्यक्तिकेन्द्री समाजरचना का सिद्धान्त सिखाने के बाद स्वार्थी होना अलग से सिखाने की आवश्यकता नहीं रहती । काम करने वाला छोटा है ऐसा सिखाने से शोषण करने की कला अलग से सिखाने की आवश्यकता नहीं होती । विभिन्न विषयों के जो मूल सिद्धान्त हैं वे ही सारे सामाजिक सांस्कृतिक दृषणों के मूल स्रोत हैं । अतः दोष तो शिक्षा का ही है । हमारा दोष यह है कि हम ऐसी शिक्षा को चला रहे हैं ।

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