परन्तु हमारे सामने दो प्रकार की चुनौतियाँ हैं । एक चुनौती स्वाभाविक है - प्राचीन और अर्वाचीन में विवेक करने की । परन्तु दूसरी आपतित है, आ पडी है । यह है यूरोपीय और भारतीय में विवेक करने की । इनमें प्रथम चुनौती अपेक्षाकृत् सरल है क्यों कि हमारे दीर्घ सांस्कृतिक इतिहास में परिष्कार और परिवर्तन होते ही आये हैं । परन्तु दूसरी चुनौती हमें कठिन लग रही है । इसके कारण कुछ इस प्रकार हैं - | परन्तु हमारे सामने दो प्रकार की चुनौतियाँ हैं । एक चुनौती स्वाभाविक है - प्राचीन और अर्वाचीन में विवेक करने की । परन्तु दूसरी आपतित है, आ पडी है । यह है यूरोपीय और भारतीय में विवेक करने की । इनमें प्रथम चुनौती अपेक्षाकृत् सरल है क्यों कि हमारे दीर्घ सांस्कृतिक इतिहास में परिष्कार और परिवर्तन होते ही आये हैं । परन्तु दूसरी चुनौती हमें कठिन लग रही है । इसके कारण कुछ इस प्रकार हैं - |