कोई यह कह सकता है कि यूरोपीय और भारतीय ऐसे दो प्रतिमानों की क्या आवश्यकता है ? आज जब विश्व छोटा बन गया है, अनेक प्रकार के संचार माध्यमों के कारण दूरियाँ समाप्त हो गई हैं, वाहन व्यवहार के कारण से यातायात भी सरल हो गया है तब पूरे विश्व के लिये एक ही प्रतिमान होना स्वाभाविक है । दो या दो से अधिक प्रतिमान होंगे तो भी एकदूसरे के साथ मिलकर एक बन जायेंगे । और फिर पूरे विश्व के लिये एक ही प्रतिमान के रूप में यूरोपीय प्रतिमान स्वीकृत हो जाय तो हानि क्या है ? जब एक ही प्रतिमान है तो उसे भारतीय या यूरोपीय ऐसा नामाभिधान करना भी अप्रस्तुत है । उसे वैश्विक ही मानना चाहिये । यूरोपीय और भारतीय का समन्वय करना भी ठीक रहेगा । | कोई यह कह सकता है कि यूरोपीय और भारतीय ऐसे दो प्रतिमानों की क्या आवश्यकता है ? आज जब विश्व छोटा बन गया है, अनेक प्रकार के संचार माध्यमों के कारण दूरियाँ समाप्त हो गई हैं, वाहन व्यवहार के कारण से यातायात भी सरल हो गया है तब पूरे विश्व के लिये एक ही प्रतिमान होना स्वाभाविक है । दो या दो से अधिक प्रतिमान होंगे तो भी एकदूसरे के साथ मिलकर एक बन जायेंगे । और फिर पूरे विश्व के लिये एक ही प्रतिमान के रूप में यूरोपीय प्रतिमान स्वीकृत हो जाय तो हानि क्या है ? जब एक ही प्रतिमान है तो उसे भारतीय या यूरोपीय ऐसा नामाभिधान करना भी अप्रस्तुत है । उसे वैश्विक ही मानना चाहिये । यूरोपीय और भारतीय का समन्वय करना भी ठीक रहेगा । |