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१५. वातानुकूलित वाहनों में यात्रा नहीं करना क्योंकि वातानुकूलन से बाहर की गर्मी और भी बढती है, अन्यों के लिये वह अधिक त्रासदायक होती है, हम परपीडा के निमित्त बनते हैं । इसका एक संकेत तो गर्मी सहन करने का है परन्तु दूसरा पर्यायी व्यवस्था निर्माण करने का है । इस दूसरे संकेत को सम्भव बनाने लायक हमारी बुद्धि सृजनशील बनने की आवश्यकता है । यह सम्भव है ऐसा विश्वास उत्पन्न करना चाहिये ।
 
१५. वातानुकूलित वाहनों में यात्रा नहीं करना क्योंकि वातानुकूलन से बाहर की गर्मी और भी बढती है, अन्यों के लिये वह अधिक त्रासदायक होती है, हम परपीडा के निमित्त बनते हैं । इसका एक संकेत तो गर्मी सहन करने का है परन्तु दूसरा पर्यायी व्यवस्था निर्माण करने का है । इस दूसरे संकेत को सम्भव बनाने लायक हमारी बुद्धि सृजनशील बनने की आवश्यकता है । यह सम्भव है ऐसा विश्वास उत्पन्न करना चाहिये ।
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१६. अपनी अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार ब्रत, उपवास, जप. आदि. करना चाहिये । मन की शक्ति बढाने के लिये यह अत्यन्त उपयोगी है । मन को वश रखने के नित्य नये तरीके भी ढूँढते रहना चाहिये ।
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१६. अपनी अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार व्रत, उपवास, जप. आदि. करना चाहिये । मन की शक्ति बढाने के लिये यह अत्यन्त उपयोगी है । मन को वश रखने के नित्य नये तरीके भी ढूँढते रहना चाहिये ।
    
१७. बीमार नहीं होना और कमजोर नहीं रहना अत्यन्त आवश्यक है । बीमार होने से सरलता से चल रहे जीवन में व्यवधान निर्माण होते हैं और कमजोर रहने से अनेक काम हम कर ही नहीं सकते हैं ।
 
१७. बीमार नहीं होना और कमजोर नहीं रहना अत्यन्त आवश्यक है । बीमार होने से सरलता से चल रहे जीवन में व्यवधान निर्माण होते हैं और कमजोर रहने से अनेक काम हम कर ही नहीं सकते हैं ।

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