आज की शिक्षा का दुर्दैव से कोई प्रमुख पक्ष है तो वह आधारभूत संकल्पनाओं का पाश्चात्य होना है<ref name=":0">धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ४, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। शिक्षा के सिद्धान्तों में से एक है, मनोविज्ञान । आज हम पाश्चात्य विचारों में मनोविज्ञान का मूल खोजते हैं । उसे ही पढ़ाते भी हैं, परन्तु वास्तव में इसका मूल तो वेदों और उपनिषदों में है। | आज की शिक्षा का दुर्दैव से कोई प्रमुख पक्ष है तो वह आधारभूत संकल्पनाओं का पाश्चात्य होना है<ref name=":0">धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ४, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। शिक्षा के सिद्धान्तों में से एक है, मनोविज्ञान । आज हम पाश्चात्य विचारों में मनोविज्ञान का मूल खोजते हैं । उसे ही पढ़ाते भी हैं, परन्तु वास्तव में इसका मूल तो वेदों और उपनिषदों में है। |