५१. विदेशी भाषा, विदेशी रहनसहन, विदेशी वस्तुओं के मोह में नहीं फैँसना चाहिये । विदेशों में हमारी पहचान एक सच्चे भारतीय के नाते कैसी बने इसकी स्पष्ट कल्पना बननी चाहिये । | ५१. विदेशी भाषा, विदेशी रहनसहन, विदेशी वस्तुओं के मोह में नहीं फैँसना चाहिये । विदेशों में हमारी पहचान एक सच्चे भारतीय के नाते कैसी बने इसकी स्पष्ट कल्पना बननी चाहिये । |