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| और मैकोले प्रणीत शिक्षा के माध्यम से भारत जीता गया । मैक्समूलर के इस कथन का उत्तर देना अभी बाकी है । यह उत्तर होगा... | | और मैकोले प्रणीत शिक्षा के माध्यम से भारत जीता गया । मैक्समूलर के इस कथन का उत्तर देना अभी बाकी है । यह उत्तर होगा... |
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− | '''भारतमाता एक बार मुक्त हुई है, परंतु उसे (सर्वार्थ में) दूसरी बार मुक्त करने की आवश्यकता है । यह दूसरी मुक्ति भी होगी शिक्षा के माध्यम से ।'''
| + | भारतमाता एक बार मुक्त हुई है, परंतु उसे (सर्वार्थ में) दूसरी बार मुक्त करने की आवश्यकता है । यह दूसरी मुक्ति भी होगी शिक्षा के माध्यम से । |
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− | ==== '''यह उत्तर देगा पुनरुत्थान विद्यापीठ ।''' ==== | + | ==== यह उत्तर देगा पुनरुत्थान विद्यापीठ । ==== |
| भारत की शिक्षा परम्परा विश्व में प्राचीनतम और श्रेष्ठतम रही है। गुरुकुल, आश्रम, विद्यापीठ एवं छोटे छोटे प्राथमिक विद्यालयों में जीवन का सर्वतोमुखी विकास होता था और व्यक्ति का तथा राष्ट्र का जीवन सुख, समृद्धि, संस्कार एवं ज्ञान से परिपूर्ण होता था । विश्व भी उससे लाभान्वित होता था। इन विद्याकेन्द्रों का आदर्श लेकर पुनरुत्थान विद्यापीठ कार्यरत है। | | भारत की शिक्षा परम्परा विश्व में प्राचीनतम और श्रेष्ठतम रही है। गुरुकुल, आश्रम, विद्यापीठ एवं छोटे छोटे प्राथमिक विद्यालयों में जीवन का सर्वतोमुखी विकास होता था और व्यक्ति का तथा राष्ट्र का जीवन सुख, समृद्धि, संस्कार एवं ज्ञान से परिपूर्ण होता था । विश्व भी उससे लाभान्वित होता था। इन विद्याकेन्द्रों का आदर्श लेकर पुनरुत्थान विद्यापीठ कार्यरत है। |
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− | ==== '''पुनरुत्थान विद्यापीठ के तीन आधारभूत सूत्र''' ==== | + | ==== पुनरुत्थान विद्यापीठ के तीन आधारभूत सूत्र ==== |
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− | ===== '''१. विद्यापीठ पूर्णरूप से स्वायत्त रहेगा।''' ===== | + | ===== १. विद्यापीठ पूर्णरूप से स्वायत्त रहेगा। ===== |
| * शिक्षा की स्वायत्त व्यवस्था इस देश की परम्परा रही है । इस परम्परा की पुनःप्रतिष्ठा करना शिक्षाक्षेत्र का महत्त्वपूर्ण दायित्व है। | | * शिक्षा की स्वायत्त व्यवस्था इस देश की परम्परा रही है । इस परम्परा की पुनःप्रतिष्ठा करना शिक्षाक्षेत्र का महत्त्वपूर्ण दायित्व है। |
| * स्वायत्तता से तात्पर्य क्या है और स्वायत्त शिक्षातंत्र कैसे चल सकता है, इसे स्पष्ट करने का प्रयास विद्यापीठ करेगा। | | * स्वायत्तता से तात्पर्य क्या है और स्वायत्त शिक्षातंत्र कैसे चल सकता है, इसे स्पष्ट करने का प्रयास विद्यापीठ करेगा। |
| * विद्यापीठ शासनमान्यता से भी अधिक समाजमान्यता और विद्वन्मान्यता से चलेगा। | | * विद्यापीठ शासनमान्यता से भी अधिक समाजमान्यता और विद्वन्मान्यता से चलेगा। |
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− | ===== '''२. विद्यापीठ शुद्ध भारतीय ज्ञानधारा के आधार पर चलेगा।''' ===== | + | ===== २. विद्यापीठ शुद्ध भारतीय ज्ञानधारा के आधार पर चलेगा। ===== |
| इस सूत्र के दो पहलू हैं । | | इस सूत्र के दो पहलू हैं । |
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| २. प्राचीन ज्ञान को वर्तमान के लिये युगानुकूल स्वरूप प्रदान करना। | | २. प्राचीन ज्ञान को वर्तमान के लिये युगानुकूल स्वरूप प्रदान करना। |
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− | ===== '''३. विद्यापीठ की सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था निःशुल्क रहेगी।''' ===== | + | ===== ३. विद्यापीठ की सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था निःशुल्क रहेगी। ===== |
| भारतीय परम्परा में अन्न, औषध और विद्या कभी क्रयविक्रय के पदार्थ नहीं रहे । इस परम्परा को पुनर्जीवित करते हुए इस विद्यापीठ में अध्ययन करने वाले छात्रों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। | | भारतीय परम्परा में अन्न, औषध और विद्या कभी क्रयविक्रय के पदार्थ नहीं रहे । इस परम्परा को पुनर्जीवित करते हुए इस विद्यापीठ में अध्ययन करने वाले छात्रों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। |
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| विद्यापीठ में सादगी, श्रमनिष्ठा एवं अर्थसंयम का पक्ष महत्त्वपूर्ण रहेगा । सुविधा का ध्यान रखा जायेगा, वैभवबिलासिता का नहीं । | | विद्यापीठ में सादगी, श्रमनिष्ठा एवं अर्थसंयम का पक्ष महत्त्वपूर्ण रहेगा । सुविधा का ध्यान रखा जायेगा, वैभवबिलासिता का नहीं । |
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− | ==== '''पुनरुत्थान के कार्य एवं कार्यक्रम''' ==== | + | ==== पुनरुत्थान के कार्य एवं कार्यक्रम ==== |
| शिक्षा क्षेत्र में पुनरुत्थान विद्यापीठ भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा के मूलगामी कार्य में जुटा हुआ है । तदनुसार ही कार्य एवं कार्यक्रमों की योजना व रचना हुई है। | | शिक्षा क्षेत्र में पुनरुत्थान विद्यापीठ भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा के मूलगामी कार्य में जुटा हुआ है । तदनुसार ही कार्य एवं कार्यक्रमों की योजना व रचना हुई है। |
| * '''विद्वत् परिषद का गठन''' : भारतीय शिक्षा में योगदान देने वाले सम्पूर्ण देश के १०१ विद्वानों की विद्वत् परिषद का गठन करना जो अध्ययन-अनुसंधान कार्यों का मार्गदर्शन एवं संचालन करेगी। | | * '''विद्वत् परिषद का गठन''' : भारतीय शिक्षा में योगदान देने वाले सम्पूर्ण देश के १०१ विद्वानों की विद्वत् परिषद का गठन करना जो अध्ययन-अनुसंधान कार्यों का मार्गदर्शन एवं संचालन करेगी। |
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| * '''स्थापना दिवस''' : व्यासपूर्णिमा विद्यापीठ का स्थापना दिवस है । प्रतिवर्ष पुनरुत्थान का कार्यकर्ता इस दिन भगवान वेदव्यास का पूजन कर अपना समर्पण करता है एवं भारतीय ज्ञानधारा की प्रतिष्ठा हेतु लिए गये अपने संकल्प को दृढ़ करता है। | | * '''स्थापना दिवस''' : व्यासपूर्णिमा विद्यापीठ का स्थापना दिवस है । प्रतिवर्ष पुनरुत्थान का कार्यकर्ता इस दिन भगवान वेदव्यास का पूजन कर अपना समर्पण करता है एवं भारतीय ज्ञानधारा की प्रतिष्ठा हेतु लिए गये अपने संकल्प को दृढ़ करता है। |
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− | ==== '''पुनरुत्थान का साहित्य''' ==== | + | ==== पुनरुत्थान का साहित्य ==== |
| पुनरुत्थान के कार्य का प्रारम्भ ही साहित्य निर्माण से हुआ था । अब तक पुनरुत्थान द्वारा प्रकाशित प्रमुख साहित्य अधोलिखित है : | | पुनरुत्थान के कार्य का प्रारम्भ ही साहित्य निर्माण से हुआ था । अब तक पुनरुत्थान द्वारा प्रकाशित प्रमुख साहित्य अधोलिखित है : |
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| शिक्षा का आधार सदैव राष्ट्रीय होता है। राष्ट्र विषयक पुस्तकें यथा - दैशिकशास्र, भारत को जानें विश्व को सम्हालें, विजय संकेत, कथारूप गीता जैसी पुस्तकों के साथ - साथ प्रज्ञावर्धन स्तोत्र, अभ्यासक्रम, प्रदर्शनी व चार्ट आदि भी प्रकाशित हुए हैं। | | शिक्षा का आधार सदैव राष्ट्रीय होता है। राष्ट्र विषयक पुस्तकें यथा - दैशिकशास्र, भारत को जानें विश्व को सम्हालें, विजय संकेत, कथारूप गीता जैसी पुस्तकों के साथ - साथ प्रज्ञावर्धन स्तोत्र, अभ्यासक्रम, प्रदर्शनी व चार्ट आदि भी प्रकाशित हुए हैं। |
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− | ==== '''पुनरुत्थान विद्यापीठ की योजना''' ==== | + | ==== पुनरुत्थान विद्यापीठ की योजना ==== |
| शिक्षा के भारतीयकरण की प्रक्रिया सरल भी नहीं हैं और शीघ्र सिद्ध होने वाली भी नहीं है । इससे जुड़े हुए अनेक ऐसे पहलू हैं जो पर्याप्त धैर्य और परिश्रम की अपेक्षा रखते हैं। अतः योजना को फलवती होने के लिए पर्याप्त समय देना आवश्यक है। हमारा अनुभव भी यही कहता है कि किसी भी बड़े कार्य को सिद्ध होने में तीन पीढ़ियों का समय लगता है। विद्यापीठ ने तीन पीढ़ियाँ अर्थात् साठ वर्षों का समय मानकर उसके पाँच चरण बनाये हैं। प्रत्येक चरण बारह वर्षों का होगा । हमारे शास्र बारह वर्ष के समय को एक तप कहते हैं। इसलिए पुनरुत्थान की यह योजना पाँच तपों की योजना है। | | शिक्षा के भारतीयकरण की प्रक्रिया सरल भी नहीं हैं और शीघ्र सिद्ध होने वाली भी नहीं है । इससे जुड़े हुए अनेक ऐसे पहलू हैं जो पर्याप्त धैर्य और परिश्रम की अपेक्षा रखते हैं। अतः योजना को फलवती होने के लिए पर्याप्त समय देना आवश्यक है। हमारा अनुभव भी यही कहता है कि किसी भी बड़े कार्य को सिद्ध होने में तीन पीढ़ियों का समय लगता है। विद्यापीठ ने तीन पीढ़ियाँ अर्थात् साठ वर्षों का समय मानकर उसके पाँच चरण बनाये हैं। प्रत्येक चरण बारह वर्षों का होगा । हमारे शास्र बारह वर्ष के समय को एक तप कहते हैं। इसलिए पुनरुत्थान की यह योजना पाँच तपों की योजना है। |
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| '''५. पाँचवाँ तप विद्यालयों की स्थापना''' : पहले चारों चरण ठीक से सम्पन्न हो गये तो पाँचवा चरण सरल हो जायेगा। और निर्माण किये हुए शिक्षक जब देशभर में विद्यालय चलायेंगे, तभी भारतीय स्वरूप की शिक्षा दी जा सकेगी। इस प्रकार योजनाबद्ध चरणबद्ध रीति से कार्य किया जाय तो साठ वर्षों की अवधि में अपेक्षित परिवर्तन सम्भव है। | | '''५. पाँचवाँ तप विद्यालयों की स्थापना''' : पहले चारों चरण ठीक से सम्पन्न हो गये तो पाँचवा चरण सरल हो जायेगा। और निर्माण किये हुए शिक्षक जब देशभर में विद्यालय चलायेंगे, तभी भारतीय स्वरूप की शिक्षा दी जा सकेगी। इस प्रकार योजनाबद्ध चरणबद्ध रीति से कार्य किया जाय तो साठ वर्षों की अवधि में अपेक्षित परिवर्तन सम्भव है। |
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− | ==== '''पुनरुत्थान विद्यापीठ की संरचना''' ==== | + | ==== पुनरुत्थान विद्यापीठ की संरचना ==== |
| आज हमारे देश में चलने वाले विश्वविद्यालय लंदन युनिवर्सिटी की पद्धति पर चलने वाले विश्व विद्यालय है। जबकि पुनरुत्थान विद्यापीठ भारत के प्राचीन विद्यापीठों की । पद्धति पर चलने वाला विद्यापीठ है। इसलिए यह पूर्ण स्वायत्त, विशुद्ध भारतीय ज्ञानधारा के आधार पर चलने वाला निःशुल्क विद्यापीठ है। | | आज हमारे देश में चलने वाले विश्वविद्यालय लंदन युनिवर्सिटी की पद्धति पर चलने वाले विश्व विद्यालय है। जबकि पुनरुत्थान विद्यापीठ भारत के प्राचीन विद्यापीठों की । पद्धति पर चलने वाला विद्यापीठ है। इसलिए यह पूर्ण स्वायत्त, विशुद्ध भारतीय ज्ञानधारा के आधार पर चलने वाला निःशुल्क विद्यापीठ है। |
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| * '''विद्यापीठ परिषद''' : इन केन्द्रों के अतिरिक्त सम्पूर्ण देश में जहाँ-जहाँ भी विद्यापीठ का कार्यकर्ता अथवा शुभ चिन्तक हैं, वे इस परिषद के सदस्य हैं। प्रतिवर्ष व्यासपूर्णिमा को इस परिषद की बैठक होती है। | | * '''विद्यापीठ परिषद''' : इन केन्द्रों के अतिरिक्त सम्पूर्ण देश में जहाँ-जहाँ भी विद्यापीठ का कार्यकर्ता अथवा शुभ चिन्तक हैं, वे इस परिषद के सदस्य हैं। प्रतिवर्ष व्यासपूर्णिमा को इस परिषद की बैठक होती है। |
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− | '''पुनरुत्थान विद्यापीठ'''
| + | पुनरुत्थान विद्यापीठ |
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| 'ज्ञानम्', ९/बी, आनन्द पार्क, जूना ढोर बजार, कांकरिया रोड, | | 'ज्ञानम्', ९/बी, आनन्द पार्क, जूना ढोर बजार, कांकरिया रोड, |