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| '''४. चौथा तप शिक्षक निर्माण''' : देश की भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए समर्थ शिक्षकों की आवश्यकता रहती है। जब तक दायित्वबोधयुक्त और ज्ञान सम्पन्न शिक्षक नहीं होते तब तक भारतीय शिक्षा देनेवाले विद्याकेन्द्र नहीं चल सकते । इसलिए सुयोग्य शिक्षक निर्माण करना, यह योजना का चौथा चरण है। | | '''४. चौथा तप शिक्षक निर्माण''' : देश की भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए समर्थ शिक्षकों की आवश्यकता रहती है। जब तक दायित्वबोधयुक्त और ज्ञान सम्पन्न शिक्षक नहीं होते तब तक भारतीय शिक्षा देनेवाले विद्याकेन्द्र नहीं चल सकते । इसलिए सुयोग्य शिक्षक निर्माण करना, यह योजना का चौथा चरण है। |
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− | '''५. पाँचवाँ तप विद्यालयों की स्थापना''' : पहले चारों चरण ठीक से सम्पन्न हो गये तो पाँचवा चरण सरल हो जायेगा। और निर्माण किये हुए शिक्षक जब देशभर में विद्यालय चलायेंगे, तभी भारतीय स्वरूप की शिक्षा दी जा सकेगी। इस प्रकार योजनाबद्ध चरणबद्ध रीति से कार्य किया जाय तो साठ वर्षों की अवधि में अपेक्षित परिवर्तन सम्भव है। पुनरुत्थान विद्यापीठ की संरचना आज हमारे देश में चलने वाले विश्वविद्यालय लंदन युनिवर्सिटी की पद्धति पर चलने वाले विश्व विद्यालय है। जबकि पुनरुत्थान | + | '''५. पाँचवाँ तप विद्यालयों की स्थापना''' : पहले चारों चरण ठीक से सम्पन्न हो गये तो पाँचवा चरण सरल हो जायेगा। और निर्माण किये हुए शिक्षक जब देशभर में विद्यालय चलायेंगे, तभी भारतीय स्वरूप की शिक्षा दी जा सकेगी। इस प्रकार योजनाबद्ध चरणबद्ध रीति से कार्य किया जाय तो साठ वर्षों की अवधि में अपेक्षित परिवर्तन सम्भव है। |
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| + | ==== '''पुनरुत्थान विद्यापीठ की संरचना''' ==== |
| + | आज हमारे देश में चलने वाले विश्वविद्यालय लंदन युनिवर्सिटी की पद्धति पर चलने वाले विश्व विद्यालय है। जबकि पुनरुत्थान विद्यापीठ भारत के प्राचीन विद्यापीठों की । पद्धति पर चलने वाला विद्यापीठ है। इसलिए यह पूर्ण स्वायत्त, विशुद्ध भारतीय ज्ञानधारा के आधार पर चलने वाला निःशुल्क विद्यापीठ है। |
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| + | इस कार्य का प्रारम्भ व्यासपूर्णिमा २००४ को धर्मपाल साहित्य के प्रकाशन से हुआ था। उस समय इसका नाम पुनरुत्थान ट्रस्ट था। आगे चलकर व्यासपूर्णिमा २०१२ को इसे '''<nowiki/>'पुनरुत्थान विद्यापीठ'''' नाम मिला। भारत का पुनरुत्थान ही पुनरुत्थान विद्यापीठ का मुख्य उद्देश्य है, भारतीय शिक्षा उसका साधन है । इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु विद्यापीठ की संरचना बनी है, जो इस प्रकार |
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| + | मार्गदर्शक मंडल - विद्यापीठ के चार मार्गदर्शक हैं - |
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| + | १. मा. बजरंगलालजी गुप्त, दिल्ली |
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| + | २. मा. श्रीकृष्ण माहेश्वरी, सतना |
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| + | ३. मा. अनिरुद्ध देशपांडे, पुणे |
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| + | ४. मा. हरिभाऊ वझे, मैसूर |
| + | * '''कुलपति''' : आ. इन्दुमति काटदरे पुनरुत्थान विद्यापीठ की कुलपति हैं । आपने ही इस कार्य का श्रीगणेश किया है । |
| + | * '''आचार्य परिषद''' : यह परिषद ही विद्यापीठ की शैक्षिक योजना बनाती है, और उसका निर्वहण करती है। इस परिषद में ११ नियुक्त और तीन निमंत्रित सदस्य हैं। |
| + | * '''परामर्शक मंडल''' : विद्यापीठ को आवश्यकतानुसार अपने अनुभवों से लाभान्वित करने का कार्य परामर्शक मण्डल करता है । इसमें कुल सात सदस्य हैं। |
| + | * '''विद्यापीठ के केन्द्र तथा केन्द्र संयोजक''' : विद्यापीठ का कार्य देशव्यापी बने इस प्रयत्न में अभी सोलह केन्द्र चल रहे हैं । इन केन्द्रों में कार्यक्रमों के संचालन हेतु सोलह केन्द्र संयोजक हैं। |
| + | * '''विद्यापीठ परिषद''' : इन केन्द्रों के अतिरिक्त सम्पूर्ण देश में जहाँ-जहाँ भी विद्यापीठ का कार्यकर्ता अथवा शुभ चिन्तक हैं, वे इस परिषद के सदस्य हैं। प्रतिवर्ष व्यासपूर्णिमा को इस परिषद की बैठक होती है। |
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| + | '''पुनरुत्थान विद्यापीठ''' |
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| + | 'ज्ञानम्', ९/बी, आनन्द पार्क, जूना ढोर बजार, कांकरिया रोड, |
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| + | अहमदाबाद-३८० ०२८ दूरभाष : (०७९) २५३२२६५५ |
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| + | E-mail : punvidya2012@gmail.com, info@punarutthan.org |
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| + | website : www.punarutthan.org |
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| ==References== | | ==References== |