शिक्षा के भारतीयकरण की प्रक्रिया सरल भी नहीं हैं और शीघ्र सिद्ध होने वाली भी नहीं है । इससे जुड़े हुए अनेक ऐसे पहलू हैं जो पर्याप्त धैर्य और परिश्रम की अपेक्षा रखते हैं। अतः योजना को फलवती होने के लिए पर्याप्त समय देना आवश्यक है। हमारा अनुभव भी यही कहता है कि किसी भी बड़े कार्य को सिद्ध होने में तीन पीढ़ियों का समय लगता है। विद्यापीठ ने तीन पीढ़ियाँ अर्थात् साठ वर्षों का समय मानकर उसके पाँच चरण बनाये हैं। प्रत्येक चरण बारह वर्षों का होगा । हमारे शास्र बारह वर्ष के समय को एक तप कहते हैं। इसलिए पुनरुत्थान की यह योजना पाँच तपों की योजना है। | शिक्षा के भारतीयकरण की प्रक्रिया सरल भी नहीं हैं और शीघ्र सिद्ध होने वाली भी नहीं है । इससे जुड़े हुए अनेक ऐसे पहलू हैं जो पर्याप्त धैर्य और परिश्रम की अपेक्षा रखते हैं। अतः योजना को फलवती होने के लिए पर्याप्त समय देना आवश्यक है। हमारा अनुभव भी यही कहता है कि किसी भी बड़े कार्य को सिद्ध होने में तीन पीढ़ियों का समय लगता है। विद्यापीठ ने तीन पीढ़ियाँ अर्थात् साठ वर्षों का समय मानकर उसके पाँच चरण बनाये हैं। प्रत्येक चरण बारह वर्षों का होगा । हमारे शास्र बारह वर्ष के समय को एक तप कहते हैं। इसलिए पुनरुत्थान की यह योजना पाँच तपों की योजना है। |