कभी तो ऐसा समय था जब पश्चिम भारत को सँपेरों और मदारियों का देश समझता था। कभी तो ऐसा समय था जब विदेशों से मेधावी विद्यार्थी भारत में अध्ययन करने के लिये आते थे । एक समय था जब भारत का विदेश व्यापार बहुत बडा था । एक समय था जब भारत के लोग विश्व के सभी देशों में संस्कृति का सन्देश लेकर पहुँचते थे। एक समय था जब भारत सोने की चिडिया के रूप में पहचाना
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कभी तो ऐसा समय था जब पश्चिम भारत को सँपेरों और मदारियों का देश समझता था। कभी तो ऐसा समय था जब विदेशों से मेधावी विद्यार्थी भारत में अध्ययन करने के लिये आते थे । एक समय था जब भारत का विदेश व्यापार बहुत बडा था । एक समय था जब भारत के लोग विश्व के सभी देशों में संस्कृति का सन्देश लेकर पहुँचते थे। एक समय था जब भारत सोने की चिडिया के रूप में पहचाना जाता था। एक समय था जब भारत हिन्दुस्थान के रूप में पहचाना जाता था।
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आज विश्व में भारत की पहचान एक समर्थ परन्तु गरीब, पिछडे और विकासशील देश के रूप में है। परंतु हम जानते हैं कि यह सही नहीं है।
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इस स्थिति में हमारे लिये दो काम करणीय हैं । एक तो हमें यह करना है कि हम स्वयं अपने देश को जानें । हमारे अतीत और वर्तमान के विषय में जानें । हम अपने आपको ठीक भी करें।
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भारत को भारत बनने की महती आवश्यकता है। सनातन भारत और वर्तमान भारत एकदूसरे से बहुत भिन्न है। सनातन भारत वर्तमान भारत के अन्दर जी रहा है परन्तु वह बहुत दबा हुआ है। कभी कभी तो उसके अस्तित्व का भी पता न चले इतना दबा हुआ है। वर्तमान भारत पश्चिम की छाया में जी रहा है। पर्याप्त मात्रा में बदला है और बदल रहा है । हमें अपने आपको पुनः भारतीय बनाना होगा। भारत भारत बने इसका अर्थ क्या है और वह कैसे होगा इसकी चर्चा पूर्व विभाग में हमने की है । उस भारत की जानकारी हम विश्व को दें। यह पहला कार्य है।
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दूसरा कार्य है हम भारत का परिचय विश्व को दें। अर्थात् वह परिचय सनातन भारत का हो, वर्तमान भारत का नहीं । हमारे जो लोग विदशों में जाकर बसे हैं उनके माध्यम से विश्व भारत को पहचानता है। हमारे सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों के प्रमुख तथा कार्यकर्ता विदेशों में जाते हैं। उनके माध्यम से विश्व भारत को जानता है । हमारे विद्यार्थी, अध्यापक, वैज्ञानिक, पर्यटक विदेशों में जाते हैं । उनके माध्यम से विश्व को भारत का परिचय होता है । उसी प्रकार से विदेशों से इन्हीं कारणों से लोग भारत में आते हैं तब उनके माध्यम से भी विश्व को भारत का परिचय होता है। परन्तु यह परिचय सनातन और वर्तमान भारत का मिश्रण है। भारत स्वयं भी अपने आपको सनातन कम और वर्तमान अधिक मात्रामें जानता है।
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इस स्थिति में यह आवश्यक है कि विश्व भारत को सही रूप में जाने भारत के आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को विश्व सनातन भारत को जाने ऐसी योजना बनानी होगी।