केवल अन्न, वस्त्र, कामप्रवृत्ति से मनुष्य श्रेष्ठ नहीं बनता । ये तो शारीरिक और प्राणिक स्तर की प्रवृत्तियाँ हैं । अन्य प्राणी भी यह सब करते हैं। उनका जीवन इन प्रवृत्तियों में ही समाहित हो जाता है । हम भारतवासी मनुष्य को इनसे श्रेष्ठ मानते हैं। आपके देशों में भी मनुष्य इन प्राणियों से श्रेष्ठ ही है। मनुष्य का श्रेष्ठत्व किस में है ? भौतिक पदार्थों का अनापशनाप. शोषणकारी प्रयोग और प्राणियों को अपना दास बनाने में, अपना आहार बनाने में श्रेष्ठत्व नहीं है। अपनी अन्तःकरण की प्रवृत्तियों को परिष्कृत और व्यवस्थित करने में ही श्रेष्ठत्व है। शिक्षा इसका प्रमुख साधन है। अतः शिक्षा के सारे प्रयासों को इस स्तर पर स्थापित करने की आवश्यकता है। | केवल अन्न, वस्त्र, कामप्रवृत्ति से मनुष्य श्रेष्ठ नहीं बनता । ये तो शारीरिक और प्राणिक स्तर की प्रवृत्तियाँ हैं । अन्य प्राणी भी यह सब करते हैं। उनका जीवन इन प्रवृत्तियों में ही समाहित हो जाता है । हम भारतवासी मनुष्य को इनसे श्रेष्ठ मानते हैं। आपके देशों में भी मनुष्य इन प्राणियों से श्रेष्ठ ही है। मनुष्य का श्रेष्ठत्व किस में है ? भौतिक पदार्थों का अनापशनाप. शोषणकारी प्रयोग और प्राणियों को अपना दास बनाने में, अपना आहार बनाने में श्रेष्ठत्व नहीं है। अपनी अन्तःकरण की प्रवृत्तियों को परिष्कृत और व्यवस्थित करने में ही श्रेष्ठत्व है। शिक्षा इसका प्रमुख साधन है। अतः शिक्षा के सारे प्रयासों को इस स्तर पर स्थापित करने की आवश्यकता है। |