भारत ने कभी सर्वश्रेष्ठ बनना नहीं चाहा, अर्थात् किसी के साथ स्पर्धा में उतरकर उससे श्रेष्ठ सिद्ध होने का विचार नहीं किया। अतः भारत ने कभी संघर्ष का प्रारम्भ नहीं किया, अपना विचार किसी पर थोपा नहीं, ज्यादती नहीं की, अपने व्यवहार और भावना से अन्यों को भी श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा दी। | भारत ने कभी सर्वश्रेष्ठ बनना नहीं चाहा, अर्थात् किसी के साथ स्पर्धा में उतरकर उससे श्रेष्ठ सिद्ध होने का विचार नहीं किया। अतः भारत ने कभी संघर्ष का प्रारम्भ नहीं किया, अपना विचार किसी पर थोपा नहीं, ज्यादती नहीं की, अपने व्यवहार और भावना से अन्यों को भी श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा दी। |