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| उपरोक्त तीन पद्धतियों में से 'सामाजिक स्वरूप की संस्कृति वास्तविकता से सामीप्य रखनेवाली और प्रत्यक्ष जीवन की संस्कृति होने के कारण से उसके आकलन को विलिअम्स अधिक महत्त्व देता है। | | उपरोक्त तीन पद्धतियों में से 'सामाजिक स्वरूप की संस्कृति वास्तविकता से सामीप्य रखनेवाली और प्रत्यक्ष जीवन की संस्कृति होने के कारण से उसके आकलन को विलिअम्स अधिक महत्त्व देता है। |
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− | अनेक भारतीय बुद्धिवान लोग भारतीय समाज में भी विलिअम्स के लेखन का संदर्भ खोजने का प्रयास करते हैं और उसके द्वारा विलिअम्स के विचारों का मॉडल भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को लागू करते हैं । परंतु ऐसा करते समय एक मूलभूत वास्तव वे भूल जाते हैं कि भारतीय समाज और संस्कृति किसी भी एक संप्रदाय अथवा विचार से नियंत्रित नहीं है। एकेश्वरवादी अब्राहमिक धर्म के अनुसार भारतीय संस्कृति 'धर्म' को संस्थागत (institutionalized religion) मानने की आग्रही नहीं है । इसलिये सांस्कृतिक नियंत्रण के प्रतिकार का तर्क हमारे यहां लागू नहीं होता है । और यदि ऐसा किया जाता है तो उसके परिणाम स्वरूप अनेक विध संभ्रम निर्माण होते हैं इतना सीधा तर्क ये लोग मानते नहीं हैं कारण इस प्रकार के बौद्धिक व्यायाम का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक अथवा सांस्कृतिक तत्त्वज्ञान को जन्म देने का न होकर केवल उस प्रकार की बौद्धिकता का बुरखा ओढकर प्रत्यक्ष राजनीति करना और कम होती जा रही अपनी राजकीय उपयोगिता को उस प्रकार से शैक्षिक और सांस्कृतिक आधार दे कर सत्ता की राजनीति में सहभागी होने के लिये अपना स्थान निर्मित करते रहना यही एक शुद्ध राजकीय हेतु इसमें से | + | अनेक भारतीय बुद्धिवान लोग भारतीय समाज में भी विलिअम्स के लेखन का संदर्भ खोजने का प्रयास करते हैं और उसके द्वारा विलिअम्स के विचारों का मॉडल भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को लागू करते हैं । परंतु ऐसा करते समय एक मूलभूत वास्तव वे भूल जाते हैं कि भारतीय समाज और संस्कृति किसी भी एक संप्रदाय अथवा विचार से नियंत्रित नहीं है। एकेश्वरवादी अब्राहमिक धर्म के अनुसार भारतीय संस्कृति 'धर्म' को संस्थागत (institutionalized religion) मानने की आग्रही नहीं है । इसलिये सांस्कृतिक नियंत्रण के प्रतिकार का तर्क हमारे यहां लागू नहीं होता है । और यदि ऐसा किया जाता है तो उसके परिणाम स्वरूप अनेक विध संभ्रम निर्माण होते हैं इतना सीधा तर्क ये लोग मानते नहीं हैं कारण इस प्रकार के बौद्धिक व्यायाम का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक अथवा सांस्कृतिक तत्त्वज्ञान को जन्म देने का न होकर केवल उस प्रकार की बौद्धिकता का बुरखा ओढकर प्रत्यक्ष राजनीति करना और कम होती जा रही अपनी राजकीय उपयोगिता को उस प्रकार से शैक्षिक और सांस्कृतिक आधार दे कर सत्ता की राजनीति में सहभागी होने के लिये अपना स्थान निर्मित करते रहना यही एक शुद्ध राजकीय हेतु इसमें से स्पष्ट होता है। |
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| + | ४. स्टुअर्ट हॉल : वर्तमान में संपूर्ण भारत में कई प्रमुख केंद्रीय तथा प्रांतीय विद्यापीठों की शिक्षा में मानव्य विद्याशाखा (Humanities) अथवा सामाजिक विज्ञान (social sciences) एवं कला शाखा अंतर्गत एक नयी विद्याशाखा के अंतर्गत एक विषय (Discipline, subject) पढाया जाता है । उनमें से कई प्रमुख विद्यापीठ इस प्रकार है : |
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| + | क्राइस्ट युनिवर्सिटी, बेंगलुरु |
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| + | डीपार्टमेंट ऑफ कल्चर एंड मिडिया स्टडीझ, सेंट्रल युनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान , बांद्रासिंद्री, राजस्थान |
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| + | नॉर्थेस्टर्न हिल युनिवर्सिटी (NEHU), शिलोंग तेजपुर युनिवर्सिटी, आसाम सेंट्रल युनिवर्सिटी ऑफ झारखंड आसाम युनिवर्सिटी, सिल्चर |
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| + | टाटा इंस्टिट्युट ऑफ सोशल सायंसीस , स्कूल ऑफ मिडिया एंड कल्चरल स्टडीझ, मुम्बई |
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| + | सावित्रीबाई फुले ,पुणे युनिवर्सिटी |
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| + | ध इंग्लीश एंड फोरेन लेंग्वेझीझ युनिवर्सिटी , हैदराबाद |
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| + | डीपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश एंड कल्चरल स्टडीझ पंजाब युनिवर्सिटी , चंडीगढ़ |
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| + | केरला कलामंडलम डीम्ड युनिवर्सिटी फॉर आर्ट एंड कल्चर, थ्रीसुर, केरला |
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| + | जवाहरलाल नेहरु युनिवर्सिटी |
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| + | दिल्ही युनिवर्सिटी |
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| + | जोधपुर युनिवर्सिटी |
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| + | इसके अतिरिक्त सभी आई आईटी केंद्र जहां ' ह्यमेनिटिझ' का पर्याय उपलब्ध है वहां यह विषय उपलब्ध है । संपूर्ण देश में कला शाखा एवं मिडिया केंद्रों में जहां अंग्रेजी साहित्य, इतिहास, समाजशास्त्र, मानववंशशास्त्र (एंथ्रोपोलोजी), अर्थशास्त्र इत्यादि विषयों के पाठ्यक्रमों में इस नयी विद्याशाखा का समावेश किया जाता है अथवा उपरोक्त और इसी प्रकार का लेखन करने वाले अन्य कई प्रमुख विचारकों का लेखन पाठ्यक्रम में उपलब्ध करवाया |
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| ==References== | | ==References== |