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१०७. समझदार लोग कहते हैं कि समाज में सक्रिय दुर्जनों के कारण जितने संकट पैदा होते हैं उसकी अपेक्षा निष्क्रिय सज्जनों से अधिक होते हैं । इसलिये सज्जन होने के साथ साथ सक्रिय भी होना चाहिये और सामर्थ्यवान भी ।
 
१०७. समझदार लोग कहते हैं कि समाज में सक्रिय दुर्जनों के कारण जितने संकट पैदा होते हैं उसकी अपेक्षा निष्क्रिय सज्जनों से अधिक होते हैं । इसलिये सज्जन होने के साथ साथ सक्रिय भी होना चाहिये और सामर्थ्यवान भी ।
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