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| यह बडी शोचनीय बात है कि इतना उच्च स्तर छोडकर हम आज अत्यन्त सतही स्तर पर विहार कर रहे हैं और उसे अनुसन्धान का नाम दे रहे हैं । यह अनुसन्धान नहीं, अनुसन्धान का आभास है । भारत की विद्रत्ता को शोभा देने वाली यह बात नहीं है । हमें यह आभासी आवरण को दूर कर सही बातों की पुनर्प्रतिष्ठा करने की आवश्यकता है । | | यह बडी शोचनीय बात है कि इतना उच्च स्तर छोडकर हम आज अत्यन्त सतही स्तर पर विहार कर रहे हैं और उसे अनुसन्धान का नाम दे रहे हैं । यह अनुसन्धान नहीं, अनुसन्धान का आभास है । भारत की विद्रत्ता को शोभा देने वाली यह बात नहीं है । हमें यह आभासी आवरण को दूर कर सही बातों की पुनर्प्रतिष्ठा करने की आवश्यकता है । |
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− | '''प्रश्न ३३ विगत कुछ वर्षों से सूत्र चल रहा है “छोटा परिवार सुखी परिवार' अब लोगों के ध्यान में आ रहा है कि छोटा परिवार बहुत सुखदायक नहीं होता है । लोग एकदम बडे परिवार बनाने तो नहीं लगे हैं परन्तु विचार तो शुरू हुआ है । विद्यालय भी एक परिवार है । आज की स्थिति में तो सूत्र है “बडा विद्यालय अच्छा | + | '''प्रश्न ३३ विगत कुछ वर्षों से सूत्र चल रहा है “छोटा परिवार सुखी परिवार' अब लोगों के ध्यान में आ रहा है कि छोटा परिवार बहुत सुखदायक नहीं होता है । लोग एकदम बडे परिवार बनाने तो नहीं लगे हैं परन्तु विचार तो शुरू हुआ है । विद्यालय भी एक परिवार है । आज की स्थिति में तो सूत्र है “बडा विद्यालय अच्छा''' |
− | विद्यालय ।' उचित क्या है, बडा विद्यालय कि छोटा ?''' | + | विद्यालय ।' उचित क्या है, बडा विद्यालय कि छोटा ? |
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| '''<nowiki/>'एक संचालक का प्रश्न''' | | '''<nowiki/>'एक संचालक का प्रश्न''' |
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| इस स्थिति को बदलने के लिये एक ओर तो संगठित प्रयास करने होंगे और दूसरी ओर अभिभावकों के प्रबोधन और शिक्षकों के प्रशिक्षण के प्रयास करने होंगे । समाजमन आज इतना उद्देलित है कि शान्त चित्त से विचार करना बहुत कठित है । इसलिये समाजमन को शान्त करने हेतु भी प्रयास करना आवश्यक है । यह भी अपने आप में बडा विषय है । | | इस स्थिति को बदलने के लिये एक ओर तो संगठित प्रयास करने होंगे और दूसरी ओर अभिभावकों के प्रबोधन और शिक्षकों के प्रशिक्षण के प्रयास करने होंगे । समाजमन आज इतना उद्देलित है कि शान्त चित्त से विचार करना बहुत कठित है । इसलिये समाजमन को शान्त करने हेतु भी प्रयास करना आवश्यक है । यह भी अपने आप में बडा विषय है । |
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− | '''प्रश्न ३५ मैं ब्राह्मण हूँ । क्या ब्राह्मण होने से कोई विशेष शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलता है ? क्या प्राचीन | + | '''प्रश्न ३५ मैं ब्राह्मण हूँ । क्या ब्राह्मण होने से कोई विशेष शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलता है ? क्या प्राचीन''' |
− | समयमें ब्राह्मण का विशेष अधिकार था ? आज शूट्रों के लिये तो आरक्षण के अन्तर्गत नौकरी सुनिश्चित है, प्रगत अध्ययन के लिये प्रवेश सुनिश्चित है परन्तु ब्राह्मणों की चिन्ता ही नहीं की जाती । क्या यह उचित है ?''' | + | समयमें ब्राह्मण का विशेष अधिकार था ? आज शूट्रों के लिये तो आरक्षण के अन्तर्गत नौकरी सुनिश्चित है, प्रगत अध्ययन के लिये प्रवेश सुनिश्चित है परन्तु ब्राह्मणों की चिन्ता ही नहीं की जाती । क्या यह उचित है ? |
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| '''एक ब्राह्मण युवक का प्रश्र''' | | '''एक ब्राह्मण युवक का प्रश्र''' |
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| अभी तो भारतीय शिक्षा की केवल बातें शुरू हुई हैं । देश में हलचल शुरू हुई है । योजना और प्रयोग तो होने शेष हैं । हम सबको मिलकर शिक्षा को पूर्ण रूप से भारतीय बनाने की आवश्यकता है । | | अभी तो भारतीय शिक्षा की केवल बातें शुरू हुई हैं । देश में हलचल शुरू हुई है । योजना और प्रयोग तो होने शेष हैं । हम सबको मिलकर शिक्षा को पूर्ण रूप से भारतीय बनाने की आवश्यकता है । |
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− | शिक्षा के तन्त्र में ऐसे कौन से परिवर्तन हैं जो सहजता से किये जा सकते हैं ? जो सहजता से किये नहीं जा | + | '''प्रश्न ३७ शिक्षा के तन्त्र में ऐसे कौन से परिवर्तन हैं जो सहजता से किये जा सकते हैं ? जो सहजता से किये नहीं जा सकते उन्हें हम व्यावहारिक कैसे कहेंगे ?''' |
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− | सकते उन्हें हम व्यावहारिक कैसे कहेंगे ?
| + | '''<nowiki/>'एक विचारक का प्रश्न''' |
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− | 'एक विचारक का प्रश्न
| + | प्रथम तो हमें समझना चाहिये कि जो हमें सुविधायुक्त लगता है उसे ही हम व्यावहारिक न कहें । जिन्हें करने में हमें कोई भी कष्ट न हो उसे हम व्यावहारिक न कहें । जो अपने आप हो जाय उसे ही हम व्यावहारिक न कहें । जो तत्त्व के अनुसार हो उसे ही हम व्यावहारिक कहें । |
− | प्रथम तो हमें समझना चाहिये कि जो हमें सुविधायुक्त लगता है उसे ही हम व्यावहारिक न कहें । जिन्हें करने में | |
− | हमें कोई भी कष्ट न हो उसे हम व्यावहारिक न कहें । जो अपने आप हो जाय उसे ही हम व्यावहारिक न कहें । | |
− | जो तत्त्व के अनुसार हो उसे ही हम व्यावहारिक कहें । | |
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− | यह बात ठीक है कि व्यवहार के क्षेत्र में शुरुआत हम सरल बातों से करें, कठिन या असम्भव से नहीं । | + | यह बात ठीक है कि व्यवहार के क्षेत्र में शुरुआत हम सरल बातों से करें, कठिन या असम्भव से नहीं । सरल बातों से शुरु कर क्रमशः कठिन बातों को सरल और असम्भव को कठिन के दायरे में लायें और इस प्रकार असम्भव को भी सरल बना दें । इस दृष्टि से कुछ परिवर्तन इस प्रकार करने होंगे... |
− | सरल बातों से शुरु कर क्रमशः कठिन बातों को सरल और असम्भव को कठिन के दायरे में लायें और इस प्रकार | |
− | असम्भव को भी सरल बना दें । इस दृष्टि से कुछ परिवर्तन इस प्रकार करने होंगे... | |
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− | १, गर्भावस्था से युवावस्था की शिक्षा को एक ही संस्था में लायें अर्थात् एक विश्वविद्यालय ही पूर्ण शिक्षाक्रम | + | १, गर्भावस्था से युवावस्था की शिक्षा को एक ही संस्था में लायें अर्थात् एक विश्वविद्यालय ही पूर्ण शिक्षाक्रम का दायित्व सम्हाले । इससे किसी भी विषय के शिक्षाक्रम में सुसूत्रता और आन्तरिक सम्बद्धता निर्माण होगी । |
− | का दायित्व सम्हाले । इससे किसी भी विषय के शिक्षाक्रम में सुसूत्रता और आन्तरिक सम्बद्धता निर्माण | |
− | होगी । | |
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| २. घर को एक महत्त्वपूर्ण शिक्षा केन्द्र बनाना होगा । इस दृष्टि से विश्वविद्यालयों में परिवार शिक्षा विभाग शुरू | | २. घर को एक महत्त्वपूर्ण शिक्षा केन्द्र बनाना होगा । इस दृष्टि से विश्वविद्यालयों में परिवार शिक्षा विभाग शुरू |
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| जोडना और दूसरा गृहस्थों और वानप्रस्थों के लिये चलाना । | | जोडना और दूसरा गृहस्थों और वानप्रस्थों के लिये चलाना । |
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− | 3. अध्यात्मशास्त्र, धर्मशास््र, संस्कृति, गोपालन, अर्थशास्त्र आदि विषयों को सामान्य शिक्षाक्रम का आधार | + | 3. अध्यात्मशास्त्र, धर्मशास््र, संस्कृति, गोपालन, अर्थशास्त्र आदि विषयों को सामान्य शिक्षाक्रम का आधार बनाना होगा । मन की शिक्षा को सर्व स्तर पर अनिवार्य विषय बनाना होगा । |
− | बनाना होगा । मन की शिक्षा को सर्व स्तर पर अनिवार्य विषय बनाना होगा । | |
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− | ४. राष्ट्रीयता की शिक्षा देनी होगी । भारतीय होने का अर्थ क्या है, भारत की और भारतीय होने के नाते हमारी | + | ४. राष्ट्रीयता की शिक्षा देनी होगी । भारतीय होने का अर्थ क्या है, भारत की और भारतीय होने के नाते हमारी विश्व में भूमिका कया है यह सिखाना होगा । |
− | विश्व में भूमिका कया है यह सिखाना होगा । | |
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| यहाँ से शुरुआत की तो शिक्षा की गाडी ठीक पटरी पर चलेगी । | | यहाँ से शुरुआत की तो शिक्षा की गाडी ठीक पटरी पर चलेगी । |
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− | सीधा ही प्रश्न है - क्या आप मोबाइल, कम्प्यूटर और टीवी को अमान्य करते हैं ? | + | '''प्रश्न ३८ सीधा ही प्रश्न है - क्या आप मोबाइल, कम्प्यूटर और टीवी को अमान्य करते हैं ?''' |
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| एक जिज्ञासु का प्रश्र | | एक जिज्ञासु का प्रश्र |