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| लिखना और बुद्धि में बिठाना है । पुस्तक का भी ऐसा ही है । | | लिखना और बुद्धि में बिठाना है । पुस्तक का भी ऐसा ही है । |
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− | हम ऐसे कष्ट कम करना चाहते हैं जो वास्तव में अध्ययन हेतु किया जानेवाला व्यायाम है । इससे बचकर | + | हम ऐसे कष्ट कम करना चाहते हैं जो वास्तव में अध्ययन हेतु किया जानेवाला व्यायाम है । इससे बचकर स्वास्थ्य को कैसे बचायेंगे ? टेब्लेट में हो या स्लेट में लिखना तो समान ही है ना ? फिर इतने महँगे उपकरणों की और आकर्षित होने में क्या बुद्धिमानी है ? शिक्षा को महँगे उपकरणों वाली नहीं, सस्ते और कम से कम उपकरणों वाली बनाना चाहिये । इसलिये टेबलेट नहीं स्लेट चाहिये । |
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− | ३५९
| + | '''प्रश्न २० मातृभाषा नहीं आने से क्या हानि है ?''' |
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− | ............. page-376 .............
| + | '''एक अभिभावक का प्रश्न''' |
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| + | '''उत्तर''' मातृभाषा क्यों नहीं आनी चाहिये इसका कोई तर्कपूर्ण कारण है कया ? नहीं । इसलिये मातृभाषा नहीं आना अत्यन्त अस्वाभाविक है । |
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− | प्रश्न २०
| + | १, मातृभाषा नहीं आने से दुनिया की एक भी भाषा अच्छी तरह नहीं आती | |
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| + | २. मातृभाषा नहीं आने से हमारी संस्कृति के साथ गहरा सम्बन्ध नहीं बनता । |
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| + | 3. मातूभाषा नहीं आने से अपने आसपास जो मातृभाषा जानने वाले लोग हैं उनके साथ सार्थक सम्भाषण नहीं |
| + | कर सकते । |
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− | उत्तर
| + | ४. मातृभाषा नहीं आयेगी तो सब्जी लेने के लिये कैसे जायेंगे ? घर में आने वाले नौकरों, मेकेनिक, सफाई कर्मचारी आदि के साथ सम्बन्ध कैसे बनेगा ? |
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− | प्रश्न २१
| + | ५. भारत में यदि मातृभाषा नहीं आती तो पूजा कैसे करेंगे । संस्कृत कैसे आयेगी ? संस्कृत में लिखे ग्रन्थ कैसे पढ़ेंगे ? |
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− | उत्तर
| + | अर्थात् मातृभाषा नहीं आने से हम सहज और सामान्य नहीं रहेंगे । समूह में अलग हो जायेंगे । |
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− | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
| + | '''प्रश्न २१ अभी तो सरकार ने सूत्र दिया है “बेटी बचाओ बेटी पढाओ' तब आप सहशिक्षा के लिये क्यों मना कर रहे हैं?''' |
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| + | '''एक अभिभावक का प्रश्न''' |
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− | स्वास्थ्य को कैसे बचायेंगे ? टेब्लेट में हो या स्लेट में लिखना तो समान ही है ना ? फिर इतने महँगे
| + | '''उत्तर''' आपका प्रश्न ही असंगत है । बेटी पढ़ाने का और सहशिक्षा का क्या सम्बन्ध है ? सहशिक्षा नहीं होने का अर्थ यह नहीं होता कि बेटी को पढ़ाना नहीं है । बेटी को अवश्य पढ़ाना है । परन्तु इस सूत्र का आज हम व्यवहार में क्या कर |
− | उपकरणों की और आकर्षित होने में क्या बुद्धिमानी है ? शिक्षा को महँगे उपकरणों वाली नहीं, सस्ते और कम से
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− | कम उपकरणों वाली बनाना चाहिये । इसलिये टेबलेट नहीं स्लेट चाहिये ।
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− | मातृभाषा नहीं आने से क्या हानि है ?
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− | एक अभिभावक का प्रश्न
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− | मातृभाषा क्यों नहीं आनी चाहिये इसका कोई तर्कपूर्ण कारण है कया ? नहीं । इसलिये मातृभाषा नहीं आना
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− | अत्यन्त अस्वाभाविक है ।
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− | १, मातृभाषा नहीं आने से दुनिया की एक भी भाषा अच्छी तरह नहीं आती |
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− | २. मातृभाषा नहीं आने से हमारी संस्कृति के साथ गहरा सम्बन्ध नहीं बनता ।
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− | 3. मातूभाषा नहीं आने से अपने आसपास जो मातृभाषा जानने वाले लोग हैं उनके साथ सार्थक सम्भाषण नहीं
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− | कर सकते ।
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− | ४. मातृभाषा नहीं आयेगी तो सब्जी लेने के लिये कैसे जायेंगे ? घर में आने वाले नौकरों, मेकेनिक, सफाई
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− | कर्मचारी आदि के साथ सम्बन्ध कैसे बनेगा ?
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− | ५. भारत में यदि मातृभाषा नहीं आती तो पूजा कैसे करेंगे । संस्कृत कैसे आयेगी ? संस्कृत में लिखे ग्रन्थ कैसे
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− | पढ़ेंगे ?
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− | अर्थात् मातृभाषा नहीं आने से हम सहज और सामान्य नहीं रहेंगे । समूह में अलग हो जायेंगे ।
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− | अभी तो सरकार ने सूत्र दिया है “बेटी बचाओ बेटी पढाओ' तब आप सहशिक्षा के लिये क्यों मना कर रहे
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− | हैं?
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− | एत अभिभावक का प्रश्न
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− | आपका प्रश्न ही असंगत है । बेटी पढ़ाने का और सहशिक्षा का क्या सम्बन्ध है ? सहशिक्षा नहीं होने का अर्थ यह | |
− | नहीं होता कि बेटी को पढ़ाना नहीं है । बेटी को अवश्य पढ़ाना है । परन्तु इस सूत्र का आज हम व्यवहार में क्या कर | |
| रहे हैं इसका जरा गम्भीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता है । | | रहे हैं इसका जरा गम्भीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता है । |
− | आधुनिक समय में भी एक कालखण्ड ऐसा आया जब कन्या भ्रूण हत्या की मात्रा बढ गई । यह चिन्तित | + | |
− | कर देने वाला मामला अवश्य था । हमारी यह भी धारणा बनी है कि हम लडकों को ही पढाते हैं, लडकियों को | + | आधुनिक समय में भी एक कालखण्ड ऐसा आया जब कन्या भ्रूण हत्या की मात्रा बढ गई । यह चिन्तित कर देने वाला मामला अवश्य था । हमारी यह भी धारणा बनी है कि हम लडकों को ही पढाते हैं, लडकियों को नहीं । इसका उपाय करने के प्रयास होने लगे । सरकार की ओर से अनेक प्रयास हुए । उनमें से यह “बेटी बचाओ बेटी पढाओ' सूत्र आया । |
− | नहीं । इसका उपाय करने के प्रयास होने लगे । सरकार की ओर से अनेक प्रयास हुए । उनमें से यह “बेटी बचाओ | + | |
− | बेटी पढाओ' सूत्र आया । | + | आज समाज में यह सूत्र तो स्वीकृत हो गया है परन्तु हम करते कया हैं ? हम कहने लगे हैं कि हमारे लिये बेटी और बेटा समान है । परन्तु हम बेटी को बेटी के रूप में नहीं स्वीकार कर रहे हैं, बेटी को बेटा बना रहे हैं । अनजान में भी हम बेटी के साथ बेटे जैसा व्यवहार कर रहे हैं । छोटी बेटी को हम लडके की तरह बुलाते हैं । उसके कपडे उसके खेल, उसकी गतिविधियाँ सब लडके जैसी ही हों ऐसा हम चाहते हैं । |
− | आज समाज में यह सूत्र तो स्वीकृत हो गया है परन्तु हम करते कया हैं ? हम कहने लगे हैं कि हमारे लिये बेटी | + | |
− | और बेटा समान है । परन्तु हम बेटी को बेटी के रूप में नहीं स्वीकार कर रहे हैं, बेटी को बेटा बना रहे हैं । अनजान | + | परीक्षा करके देखें । बेटा और बेटी समान हैं तो बेटे को बेटी की तरह बुलायेंगे ? बेटे को बेटी का वेश पहनायेंगे ? लडकियों के खेल दोनों खेलेंगे ? कभी नहीं । लडके की माता और बहन भी ऐसा करना पसन्द नहीं करेंगी । फिर बेटी को बेटे जैसा क्यों बनाना है ? अर्थात् हमारा बालक बेटी के रूप में भले हीं हो हम उसे बेटे की तरह पालेंगे । |
− | में भी हम बेटी के साथ बेटे जैसा व्यवहार कर रहे हैं । छोटी बेटी को हम लडके की तरह बुलाते हैं । उसके कपडे | + | |
− | उसके खेल, उसकी गतिविधियाँ सब लडके जैसी ही हों ऐसा हम चाहते हैं । | |
− | परीक्षा करके देखें । बेटा और बेटी समान हैं तो बेटे को बेटी की तरह बुलायेंगे ? बेटे को बेटी का वेश | |
− | पहनायेंगे ? लडकियों के खेल दोनों खेलेंगे ? कभी नहीं । लडके की माता और बहन भी ऐसा करना पसन्द नहीं | |
− | करेंगी । फिर बेटी को बेटे जैसा क्यों बनाना है ? अर्थात् हमारा बालक बेटी के रूप में भले हीं हो हम उसे बेटे | |
− | की तरह पालेंगे । | |
| इसका अर्थ यह हुआ कि हम आज भी बेटी नहीं बेटा ही चाहते हैं । | | इसका अर्थ यह हुआ कि हम आज भी बेटी नहीं बेटा ही चाहते हैं । |
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