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| शिक्षा लोगों को इस दिशा में अग्रसर होने को प्रेरित करे और उद्यम सिखायें यही इस प्रश्न का उत्तर है । | | शिक्षा लोगों को इस दिशा में अग्रसर होने को प्रेरित करे और उद्यम सिखायें यही इस प्रश्न का उत्तर है । |
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− | '''प्रश्न ११ हम शिक्षकों को पूरा वेतन देते हैं तो भी वे ट्यूशन करते हैं । कभी कभी तो शेयर बाजार में व्यवसाय करते | + | '''प्रश्न ११ हम शिक्षकों को पूरा वेतन देते हैं तो भी वे ट्यूशन करते हैं । कभी कभी तो शेयर बाजार में व्यवसाय करते''' हैं '''। उनकी नौकरी निश्चित है । उनका कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अब क्या किया जाय ?''' |
− | हैं । उनकी नौकरी निश्चित है । उनका कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अब क्या किया जाय ?''' | |
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| एक संचालक का प्रश्न | | एक संचालक का प्रश्न |
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− | ऐसा करने वाले शिक्षक आपका प्रश्न सुनकर हँसते होंगे । हमारा कोई कुछ बिगाड नहीं सकता ऐसा कहकर आपको ठेंगा दिखाते होंगे । स्थिति तो आप कहते हैं ऐसी ही है । परन्तु हमने पूरा तन्त्र ही यह सम्भव हो ऐसा | + | '''उत्तर''' ऐसा करने वाले शिक्षक आपका प्रश्न सुनकर हँसते होंगे । हमारा कोई कुछ बिगाड नहीं सकता ऐसा कहकर आपको ठेंगा दिखाते होंगे । स्थिति तो आप कहते हैं ऐसी ही है । परन्तु हमने पूरा तन्त्र ही यह सम्भव हो ऐसा |
| बना दिया है । अनेक संचालक भी पूरे वेतन पर हस्ताक्षर करवाकर कम वेतन देते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अनेक विद्यार्थी खुले आम नकल करके पास हो जाते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अनेक मन्त्री अनेक प्रकार से भ्रष्टाचार करते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । | | बना दिया है । अनेक संचालक भी पूरे वेतन पर हस्ताक्षर करवाकर कम वेतन देते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अनेक विद्यार्थी खुले आम नकल करके पास हो जाते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अनेक मन्त्री अनेक प्रकार से भ्रष्टाचार करते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । |
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| एक संचालक का प्रश्न | | एक संचालक का प्रश्न |
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− | उत्तर हमने जीवन को अर्थनिष्ठ बना दिया है । जीवन में पैसा ही केन्द्रस्थान में आ गया है । लोगों को लगता है कि डॉक्टर, इन्जिनीयर, चार्टर्ड एकाउण्टण्ट, मैनेजर आदि ही बनना चाहिये । इसलिये लोग इतिहास, समाजशास्त्र, भाषा, साहित्य, विज्ञान, गणित जैसे ज्ञानात्मक विषय पढना ही नहीं चाहते । जब इन विषयों को पढने वाले विद्यार्थी ही नहीं होंगे तो पाँच दस वर्षों में शिक्षक भी नहीं मिलेंगे । यह कठिनाई तो हमने ही मोल ली है । जो सामान्य स्नातक बनना चाहते हैं वे गणित, विज्ञान जैसे बुद्धिगम्य विषय पढना नहीं चाहते हैं, न वे पढ सकते हैं । इसलिये शिक्षकों का अभाव हो जाता है । दो उपाय हो सकते हैं । एक तो हमारे विद्यालय में शिक्षक चाहिये इसलिये हमारे विद्यार्थियों को ही शिक्षक बनने हेतु प्रेरणा और प्रशिक्षण देना, और दूसरा विद्यार्थी समाज में ज्ञानात्मक दृष्टिकोण निर्माण करना । | + | '''उत्तर''' हमने जीवन को अर्थनिष्ठ बना दिया है । जीवन में पैसा ही केन्द्रस्थान में आ गया है । लोगों को लगता है कि डॉक्टर, इन्जिनीयर, चार्टर्ड एकाउण्टण्ट, मैनेजर आदि ही बनना चाहिये । इसलिये लोग इतिहास, समाजशास्त्र, भाषा, साहित्य, विज्ञान, गणित जैसे ज्ञानात्मक विषय पढना ही नहीं चाहते । जब इन विषयों को पढने वाले विद्यार्थी ही नहीं होंगे तो पाँच दस वर्षों में शिक्षक भी नहीं मिलेंगे । यह कठिनाई तो हमने ही मोल ली है । जो सामान्य स्नातक बनना चाहते हैं वे गणित, विज्ञान जैसे बुद्धिगम्य विषय पढना नहीं चाहते हैं, न वे पढ सकते हैं । इसलिये शिक्षकों का अभाव हो जाता है । दो उपाय हो सकते हैं । एक तो हमारे विद्यालय में शिक्षक चाहिये इसलिये हमारे विद्यार्थियों को ही शिक्षक बनने हेतु प्रेरणा और प्रशिक्षण देना, और दूसरा विद्यार्थी समाज में ज्ञानात्मक दृष्टिकोण निर्माण करना । |
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− | प्रश्न १३ इतिहास, समाजशास्त्र, साहित्य आदि विषय न कोई पढना चाहता है न पढाना । इसके क्या परिणाम हो | + | '''प्रश्न १३ इतिहास, समाजशास्त्र, साहित्य आदि विषय न कोई पढना चाहता है न पढाना । इसके क्या परिणाम हो सकते हैं ? इन्हें नहीं पढने से क्या हानि है ?''' |
− | सकते हैं ? इन्हें नहीं पढने से क्या हानि है ? | + | |
| + | '''उत्तर''' |
| शिक्षा ज्ञानार्जन के लिये होती है । शिक्षा समष्टि में ज्ञाननिष्ठ व्यवहार करने के लिये होती है । हमारी परम्परा, | | शिक्षा ज्ञानार्जन के लिये होती है । शिक्षा समष्टि में ज्ञाननिष्ठ व्यवहार करने के लिये होती है । हमारी परम्परा, |
| हमारी संस्कृति, हमारा राष्ट्र, हमारी जीवनदृष्टि की शिक्षा यदि नहीं मिली, हम जीवन के बोध के उच्चतर स्तर तक | | हमारी संस्कृति, हमारा राष्ट्र, हमारी जीवनदृष्टि की शिक्षा यदि नहीं मिली, हम जीवन के बोध के उच्चतर स्तर तक |