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| इन दोनों समस्याओं का आधार एक ही है, वह है हमारा हीनताबोध । दोनों समस्याओं का स्वरूप एक ही है, वह है मनोवैज्ञानिक । हीनताबोध भी मनोवैज्ञानिक समस्या ही है। | | इन दोनों समस्याओं का आधार एक ही है, वह है हमारा हीनताबोध । दोनों समस्याओं का स्वरूप एक ही है, वह है मनोवैज्ञानिक । हीनताबोध भी मनोवैज्ञानिक समस्या ही है। |
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− | ===== मनोवैज्ञानिक समस्याओं का हल =====
| + | ==== मनोवैज्ञानिक समस्याओं का हल ==== |
| उपाय की दृष्टि से यदि हम बौद्धिक, तार्किक उपाय करेंगे, अनेक वास्तविक प्रमाण देंगे, आंकडे देंगे तो उसका कोई परिणाम नहीं होता है। कल्पना करें कि कोई एक सन्त जिनके लाखों अनुयायी हैं वे यदि अपने सत्संग में अंग्रेजी माध्यम में अपने बच्चों को मत भेजो ऐसा कहेंगे तो लोग मानेंगे ? कदाचित सन्तों को भी लगता है कि नहीं मानेंगे इसलिये वे कहते नहीं हैं। यदि सरकार अंग्रेजी माध्यम को मान्यता न दे तो लोग उसे मत नहीं देंगे इसलिये सरकार भी नहीं कहती । अर्थात् जिनका प्रजामानस पर प्रभाव होता है वे ही यह बात नहीं कह सकते हैं ? क्या वे अंग्रेजी माध्यम होना चाहिये ऐसा मानते हैं ? नहीं होना चाहिये ऐसा मानते हैं ? कदाचित उन्होंने इस प्रश्न पर विचार ही नहीं किया है। | | उपाय की दृष्टि से यदि हम बौद्धिक, तार्किक उपाय करेंगे, अनेक वास्तविक प्रमाण देंगे, आंकडे देंगे तो उसका कोई परिणाम नहीं होता है। कल्पना करें कि कोई एक सन्त जिनके लाखों अनुयायी हैं वे यदि अपने सत्संग में अंग्रेजी माध्यम में अपने बच्चों को मत भेजो ऐसा कहेंगे तो लोग मानेंगे ? कदाचित सन्तों को भी लगता है कि नहीं मानेंगे इसलिये वे कहते नहीं हैं। यदि सरकार अंग्रेजी माध्यम को मान्यता न दे तो लोग उसे मत नहीं देंगे इसलिये सरकार भी नहीं कहती । अर्थात् जिनका प्रजामानस पर प्रभाव होता है वे ही यह बात नहीं कह सकते हैं ? क्या वे अंग्रेजी माध्यम होना चाहिये ऐसा मानते हैं ? नहीं होना चाहिये ऐसा मानते हैं ? कदाचित उन्होंने इस प्रश्न पर विचार ही नहीं किया है। |
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| विद्यालय यदि ऐसी पद्धतियाँ अपनाना शुरू कर दें, इन्हें चालना दें तो हम इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं । साहस करने की आवश्यकता है। | | विद्यालय यदि ऐसी पद्धतियाँ अपनाना शुरू कर दें, इन्हें चालना दें तो हम इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं । साहस करने की आवश्यकता है। |
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− | ===== शिक्षा का माध्यम और भाषा का प्रश्न =====
| + | ==== शिक्षा का माध्यम और भाषा का प्रश्न ==== |
| भारत में शिक्षा भारतीय होनी चाहिये यह जितना स्वाभाविक है उतना ही स्वाभाविक भारत में भारतीय भाषा का प्रचलन होना चाहिये यह है । भारत में जिस प्रकार शिक्षा भारतीय नहीं है उसी प्रकार भारतीय भाषा की प्रतिष्ठा नहीं है। भारत में जिस प्रकार युरोअमेरिका की शिक्षा चल रही है उसी प्रकार अंग्रेजी सबके मानस को प्रभावित कर रही है। | | भारत में शिक्षा भारतीय होनी चाहिये यह जितना स्वाभाविक है उतना ही स्वाभाविक भारत में भारतीय भाषा का प्रचलन होना चाहिये यह है । भारत में जिस प्रकार शिक्षा भारतीय नहीं है उसी प्रकार भारतीय भाषा की प्रतिष्ठा नहीं है। भारत में जिस प्रकार युरोअमेरिका की शिक्षा चल रही है उसी प्रकार अंग्रेजी सबके मानस को प्रभावित कर रही है। |
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| नहीं । “प्रत्युत्त में ये नौकर और उनका पक्ष लेनेवाले राजकीय पक्ष के लोग अथवा समाजसेवी लोग कहते हैं कि बडे पढ़ते हैं तो छोटे क्यों न पढ़ें, उन्हें भी अधिकार है । इस प्रकार वे भी पढ़ते हैं ।' अपराध छोटे लोगों का नहीं है, तथाकथित बडों का ही है । | | नहीं । “प्रत्युत्त में ये नौकर और उनका पक्ष लेनेवाले राजकीय पक्ष के लोग अथवा समाजसेवी लोग कहते हैं कि बडे पढ़ते हैं तो छोटे क्यों न पढ़ें, उन्हें भी अधिकार है । इस प्रकार वे भी पढ़ते हैं ।' अपराध छोटे लोगों का नहीं है, तथाकथित बडों का ही है । |
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| + | ==== अंग्रेजी मनोवैज्ञानिक समस्या है ==== |
| + | जिस प्रकार कामातुर व्यक्ति को, लोभी को, आसक्त को, मोहांध को कोई विवेक नहीं होता उसी प्रकार से अंग्रेजी का भूत जिन पर सवार हो गया है वे भी विवेकशून्य होकर ही व्यवहार करते हैं । |
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− | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
| + | भूत को भगाने के लिये धर्माचार्य, शिक्षक, सज्जन या वैद्य की आवश्यकता नहीं होती, भूत को भगाने के लिये झाडफूंक करने वाले की आवश्यकता होती है । उन्माद के रोगी को मनोचिकित्सक की आवश्यकता होती है । शरीर की चिकित्सा करने वाले को उसमें यश नहीं मिलता । भयभीत व्यक्ति को तर्क से समझाया नहीं जा सकता, उसे रक्षण की आवश्यकता होती है । भ्रम दूर करने के लिये सत्य स्वरूप उद्घाटित करने की आवश्यकता होती है, विश्वास या आज्ञा कुछ नहीं कर सकते । अर्थात् जैसा रोग वैसा उपचार, जैसी समस्या वैसा समाधान यही व्यवहार का सिद्धान्त है, व्यावहारिक समझदारी है । |
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− | अंग्रेजी मनोवैज्ञानिक समस्या है | + | अंग्रेजी माध्यम की समस्या मनोवैज्ञानिक समस्या है, बौद्धिक और व्यावहारिक नहीं । इसलिये इसका समाधान भी मनोवैज्ञानिक ढंग से ही हो सकता हैं । बौद्धिक या व्यावहारिक मार्गों का अवलम्बन करने से वह अधिक कठिन हो जाती है । इतने वर्षों का अनुभव तो यही सिद्ध करता है । |
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− | जिस प्रकार कामातुर व्यक्ति को, लोभी को, आसक्त
| + | ==== अंग्रेजी के भूत को भगाने के प्रयास ==== |
− | को, मोहांध को कोई विवेक नहीं होता उसी प्रकार से | + | अंग्रेजी के भूत को भगाने के लिये हमारे मानस को रोगमुक्त करने के लिये कुछ इस प्रकार से प्रयास करने होंगे... |
− | अंग्रेजी का भूत जिन पर सवार हो गया है वे भी
| |
− | विवेकशून्य होकर ही व्यवहार करते हैं ।
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− | भूत को भगाने के लिये धर्माचार्य, शिक्षक, सज्जन
| + | १. जो लोग स्वयं अंग्रेजी के भूत से परेशान हैं वे इसका उपचार नहीं कर सकते । वे चाहते हैं कि पहले दूसरे लोग अंग्रेजी बोलना बन्द कर दें, बाद में हम भी बन्द कर देंगे । सब बोलते हैं इसलिये हमें भी बोलना पडता है, बाकी हम अंग्रेजी के पक्षधर नहीं हैं। ऐसे लोगों से अंग्रेजी का भूत मुस्कुराता है और अधिक जोर से चिपक जाता है । |
− | या वैद्य की आवश्यकता नहीं होती, भूत को भगाने के लिये
| |
− | झाडफूंक करने वाले की आवश्यकता होती है । उन्माद के
| |
− | रोगी को मनोचिकित्सक की आवश्यकता होती है । शरीर
| |
− | की चिकित्सा करने वाले को उसमें यश नहीं मिलता ।
| |
− | भयभीत व्यक्ति को तर्क से समझाया नहीं जा सकता, उसे
| |
− | रक्षण की आवश्यकता होती है । भ्रम दूर करने के लिये
| |
− | सत्य स्वरूप उद्घाटित करने की आवश्यकता होती है,
| |
− | विश्वास या आज्ञा कुछ नहीं कर सकते । अर्थात् जैसा रोग
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− | वैसा उपचार, जैसी समस्या वैसा समाधान यही व्यवहार का
| |
− | सिद्धान्त है, व्यावहारिक समझदारी है ।
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− | अंग्रेजी माध्यम की समस्या मनोवैज्ञानिक समस्या है, | + | २. जो लोग मानते हैं कि आज का युवा वर्ग अंग्रेजी ही जानता है, उनके साथ सम्पर्क स्थापित करने के लिये हमें भी अंग्रेजी में व्यवहार |
− | बौद्धिक और व्यावहारिक नहीं । इसलिये इसका समाधान
| + | करना चाहिये । अंग्रेजी बोलकर हम उन्हें अंग्रेजी से मुक्त कर देंगे । उनकी बात सुनकर भी अंग्रेजी का भूत मुस्कुराता है । ऐसे लोगों से वह भागेगा नहीं । |
− | भी मनोवैज्ञानिक ढंग से ही हो सकता हैं । बौद्धिक या
| |
− | व्यावहारिक मार्गों का अवलम्बन करने से वह अधिक
| |
− | कठिन हो जाती है । इतने वर्षों का अनुभव तो यही सिद्ध
| |
− | करता है ।
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− | अंग्रेजी के भूत को भगाने के प्रयास | + | ३. अंग्रेजी को नहीं मानने वाले, नहीं चाहने वाले भी |
| + | झाडफूंक वाले होना नहीं चाहते, अपनी शिष्टता, तर्कों के शख्र, बौद्धिक उपचार, आँकडों के पुरावे आदि से समस्या हल करना चाहते हैं, यही सज्जनों और बुद्धिमानों का मार्ग है ऐसा कहते हैं उनसे भी अंग्रेजी का भूत भागता नहीं, उल्टा उनको ही चिपक जाता है और उनके सारे शस्त्रों को नाकाम कर देता है । |
| | | |
− | अंग्रेजी के भूत को भगाने के लिये हमारे मानस को | + | ४. क्या हम “मुझे अंग्रेजी भाषा आती नहीं है' ऐसा कहने में लज्जा या संकोच का अनुभव करते हैं ? तो फिर हम से अंग्रेजी को भगाने का काम नहीं होगा । अंग्रेजी को भगाना चाहते हैं वे पहले अंग्रजी सीखते हैं, वैसे तो मुझे अंग्रेजी आती है परन्तु मैं बोलना पसन्द नहीं करता, आवश्यकता पड़ने पर बोल सकता हूँ ऐसा कहते हैं उन्हें देखकर भी अंग्रेजी का भूत मुस्कुराता है। वह जानता है कि इनमें मुझे भगाने की शक्ति नहीं है । |
− | रोगमुक्त करने के लिये कुछ इस प्रकार से प्रयास करने
| |
− | होंगे...
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− | g. जो लोग स्वयं अंग्रेजी के भूत से परेशान हैं वे
| + | ५. “मेरे साथ बात करनी है तो भारत की भाषा में बोलो' ऐसा कहने वाले से यह भूत सहमता है । शर्त है कि मेरे साथ बोलने की आवश्यकता सामने वाले को होनी चाहिये । सब्जी लेने के लिये गये और सब्जी वाले ने अंग्रेजी समझने को मना कर |
− | इसका उपचार नहीं कर सकते । वे चाहते हैं कि
| + | दिया तो उसकी भाषा में बोलना ही पड़ेगा । रोग का इलाज करने गये और वैद्य ने अंग्रेजी समझने को मना कर दिया तो वैद्य की भाषा में बोलना ही पडेगा । श्रोताओं ने कहा कि अंग्रेजी बोलोगे तो हम मत नहीं देंगे तो उनकी भाषा में ही बोलना पडेगा । जिस लडकी के प्रेम में पडे उसने अंग्रेजी समझने को मना कर दिया तो उसकी भाषा में बोलना ही पडेगा । इस प्रकार अपनी |
− | पहले दूसरे लोग अंग्रेजी बोलना बन्द कर दें, बाद
| |
− | में हम भी बन्द कर देंगे । सब बोलते हैं इसलिये
| |
− | हमें भी बोलना पडता है, बाकी हम अंग्रेजी के
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− | पक्षधर नहीं हैं। ऐसे लोगों से अंग्रेजी का भूत
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− | मुस्कुराता है और अधिक जोर से चिपक जाता है ।
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− | २०९
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− | जो लोग मानते हैं कि आज का
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− | युवा वर्ग अंग्रेजी ही जानता है, उनके साथ सम्पर्क
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− | स्थापित करने के लिये हमें भी अंग्रेजी में व्यवहार
| |
− | करना चाहिये । अंग्रेजी बोलकर हम उन्हें अंग्रेजी से
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− | मुक्त कर देंगे । उनकी बात सुनकर भी अंग्रेजी का
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− | भूत मुस्कुराता है । ऐसे लोगों से वह भागेगा नहीं ।
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− | अंग्रेजी को नहीं मानने वाले, नहीं चाहने वाले भी
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− | झाडफूंक वाले होना नहीं चाहते, अपनी शिष्टता,
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− | wal के शख्र, बौद्धिक उपचार, आँकडों के पुरावे
| |
− | आदि से समस्या हल करना चाहते हैं, यही सज्जनों
| |
− | और बुद्धिमानों का मार्ग है ऐसा कहते हैं उनसे भी
| |
− | अंग्रेजी का भूत भागता नहीं, उल्टा उनको ही
| |
− | चिपक जाता है और उनके सारे शस्त्रों को नाकाम
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− | कर देता है ।
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− | क्या हम “मुझे अंग्रेजी भाषा आती नहीं है' ऐसा
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− | कहने में लज्जा या संकोच का अनुभव करते हैं ?
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− | तो फिर हम से अंग्रेजी को भगाने का काम नहीं
| |
− | होगा । अंग्रेजी को भगाना चाहते हैं वे पहले
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− | अंग्रजी सीखते हैं, वैसे तो मुझे अंग्रेजी आती है
| |
− | परन्तु मैं बोलना पसन्द नहीं करता, आवश्यकता
| |
− | पड़ने पर बोल सकता हूँ ऐसा कहते हैं उन्हें देखकर
| |
− | भी अंग्रेजी का भूत मुस्कुराता है। वह जानता है
| |
− | कि इनमें मुझे भगाने की शक्ति नहीं है ।
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− | “मेरे साथ बात करनी है तो भारत की भाषा में | |
− | बोलो' ऐसा कहने वाले से यह भूत सहमता है । | |
− | शर्त है कि मेरे साथ बोलने की आवश्यकता सामने | |
− | वाले को होनी चाहिये । सब्जी लेने के लिये गये | |
− | और सब्जी वाले ने अंग्रेजी समझने को मना कर | |
− | दिया तो उसकी भाषा में बोलना ही पड़ेगा । रोग | |
− | का इलाज करने गये और वैद्य ने अंग्रेजी समझने | |
− | को मना कर दिया तो वैद्य की भाषा में बोलना ही | |
− | पडेगा । श्रोताओं ने कहा कि अंग्रेजी बोलोगे तो | |
− | हम मत नहीं देंगे तो उनकी भाषा में ही बोलना | |
− | पडेगा । जिस लडकी के प्रेम में पडे उसने अंग्रेजी | |
− | समझने को मना कर दिया तो उसकी भाषा में | |
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− | ६.
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− | बोलना ही पडेगा । इस प्रकार अपनी | |
| आवश्यकता निर्माण की और फिर अंग्रेजी सुनने, | | आवश्यकता निर्माण की और फिर अंग्रेजी सुनने, |
− | समझने, बोलने को मना कर देने वालों से अंग्रेजी | + | समझने, बोलने को मना कर देने वालों से अंग्रेजी का भूत सहम जाता है । |
− | का भूत सहम जाता है । | |
− | | |
− | वह सहमता ही है, भागता नहीं । वह अन्य
| |
− | उपायों से चिपकने का प्रयास करता है । अनुनय
| |
− | विनय करता है, लालच देता है, आकर्षित करने
| |
− | का प्रयास करता है, उसे हमारी कितनी अधिक
| |
− | आवश्यकता है यह बताता है, कृपायाचना करता है
| |
− | और हमारा दिल पसीज जाता है, हम अंग्रेजी का
| |
− | स्वीकार कर लेते हैं और अंग्रेजी का भूत हम पर
| |
− | सवार हो जाता है ।
| |
− | | |
− | क्या हम ऐसी भाषा बोल सकते हैं ?
| |
− | | |
− | तुम अंग्रेजी भाषा बोलते हो ? तुम्हारे मुँह से दुर्गन्ध
| |
− | आ रही है, जाओ अपना मुँह साफ करके आओ,
| |
− | फिर मुझ से बात करो ।
| |
− | | |
− | तुम्हारे विवाह की पत्रिका अंग्रेजी में छपी है, मैं
| |
− | विवाह समारोह में नहीं आऊँगा । मुझे अंग्रेजी
| |
− | पसन्द नहीं है ।
| |
| | | |
− | मेरे साथ बात करनी है ? अंग्रेजी छोडो, मेरी नहीं
| + | वह सहमता ही है, भागता नहीं । वह अन्य उपायों से चिपकने का प्रयास करता है । अनुनय विनय करता है, लालच देता है, आकर्षित करने का प्रयास करता है, उसे हमारी कितनी अधिक आवश्यकता है यह बताता है, कृपायाचना करता है और हमारा दिल पसीज जाता है, हम अंग्रेजी का स्वीकार कर लेते हैं और अंग्रेजी का भूत हम पर सवार हो जाता है । |
− | तो तुम्हारी भाषा में बोलो, में समझने का प्रयास
| |
− | करूँगा । अंग्रेजी ही तुम्हारी भाषा है ? तो मुझे
| |
− | तुमसे ही बात नहीं करनी है ।
| |
| | | |
− | तुम अंग्रेजी माध्यम में पढे हो ? तो तुम्हें मेरे
| + | ६. क्या हम ऐसी भाषा बोल सकते हैं ? |
− | कार्यालय में नौकरी नहीं मिलेगी । तुम्हारे बच्चे
| |
− | अंग्रेजी माध्यम में पढ़ रहे हैं ? तुम्हें मेरे कार्यालय
| |
− | में या घर में नौकरी नहीं मिलेगी । मेरे घर के किसी
| |
− | भी समारोह में निमन्त्रण नहीं मिलेगा ।
| |
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− | विद्यालय द्वारा आयोजित भाषण या. निबन्ध
| + | तुम अंग्रेजी भाषा बोलते हो ? तुम्हारे मुँह से दुर्गन्ध आ रही है, जाओ अपना मुँह साफ करके आओ, फिर मुझ से बात करो । |
− | प्रतियोगिता में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों को
| |
− | सहभागी नहीं होने दिया जायेगा । केवल भाषण या
| |
− | निबन्ध प्रतियोगिता में ही क्यों किसी भी समारोह में
| |
− | सहभागी नहीं होने दिया जायेगा ।
| |
| | | |
− | रोटरी, जेसीझ जैसे संगठन देशी भाषा भाषी लोगों ने
| + | तुम्हारे विवाह की पत्रिका अंग्रेजी में छपी है, मैं विवाह समारोह में नहीं आऊँगा । मुझे अंग्रेजी पसन्द नहीं है । |
| | | |
− | २१०
| + | मेरे साथ बात करनी है ? अंग्रेजी छोडो, मेरी नहीं तो तुम्हारी भाषा में बोलो, में समझने का प्रयास करूँगा । अंग्रेजी ही तुम्हारी भाषा है ? तो मुझे तुमसे ही बात नहीं करनी है । |
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− | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
| + | तुम अंग्रेजी माध्यम में पढे हो ? तो तुम्हें मेरे कार्यालय में नौकरी नहीं मिलेगी । तुम्हारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ रहे हैं ? तुम्हें मेरे कार्यालय में या घर में नौकरी नहीं मिलेगी । मेरे घर के किसी भी समारोह में निमन्त्रण नहीं मिलेगा । |
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− |
| + | विद्यालय द्वारा आयोजित भाषण या. निबन्ध प्रतियोगिता में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों को सहभागी नहीं होने दिया जायेगा । केवल भाषण या निबन्ध प्रतियोगिता में ही क्यों किसी भी समारोह में सहभागी नहीं होने दिया जायेगा । |
| | | |
− | बनाने चाहिये और उसमें अंग्रेजी बोलने वाले लोगों | + | रोटरी, जेसीझ जैसे संगठन देशी भाषा भाषी लोगों ने बनाने चाहिये और उसमें अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को प्रतिबन्धित करना चाहिये । |
− | को प्रतिबन्धित करना चाहिये । | |
| | | |
− | भूत को भगाने का सबसे कारगर उपाय उसकी | + | भूत को भगाने का सबसे कारगर उपाय उसकी उपेक्षा करना है । उपेक्षा के यहाँ बनाये हैं उससे अधिक अशिष्ट अनेक मार्ग हो सकते हैं । जिसे जो उचित लगे वह अपनाना चाहिये । मुद्दा यह है कि स्वाभिमान मनोवैज्ञानिक तरीके से व्यक्त होना चाहिये, बौद्धिक से काम नहीं चलेगा । |
− | उपेक्षा करना है । उपेक्षा के यहाँ बनाये हैं उससे | |
− | अधिक अशिष्ट अनेक मार्ग हो सकते हैं । जिसे जो | |
− | उचित लगे वह अपनाना चाहिये । मुद्दा यह है कि | |
− | स्वाभिमान मनोवैज्ञानिक तरीके से व्यक्त होना | |
− | चाहिये, बौद्धिक से काम नहीं चलेगा । | |
| | | |
− | वस्तुस्थिति यह है कि जिस दिन अमेरिका को | + | वस्तुस्थिति यह है कि जिस दिन अमेरिका को पता चल जायेगा कि भारत के लोग अंग्रेजी बोलना नहीं चाहते, अपनी ही भाषा बोलने का आग्रह रखते हैं उसी दिन से अमेरिका के विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग शुरू हो जायेंगे । भारतीय भाषा के शत्रु और अंग्रेजी से मोहित भारतीय ही हैं, और कोई नहीं यह समझ लेने की आवश्यकता है । |
− | पता चल जायेगा कि भारत के लोग अंग्रेजी बोलना | |
− | नहीं चाहते, अपनी ही भाषा बोलने का आग्रह | |
− | रखते हैं उसी दिन से अमेरिका के विश्वविद्यालयों में | |
− | हिन्दी विभाग शुरू हो जायेंगे । भारतीय भाषा के | |
− | शत्रु और अंग्रेजी से मोहित भारतीय ही हैं, और | |
− | कोई नहीं यह समझ लेने की आवश्यकता है । | |
| | | |
− | सज्जन, बुद्धिमान, समाजाभिमुख लोगों को इतना | + | सज्जन, बुद्धिमान, समाजाभिमुख लोगों को इतना कठोर होना अच्छा नहीं लगता । वे इस प्रकार के उपायों को अपनाने को सिद्ध भी नहीं होते और उन्हें मान्यता भी नहीं देते । इसलिये भूत अधिक प्रभावी बनता है । ऐसे सज्जनों के समक्ष कठोर उपाय करने वाले हार जाते हैं और भूत मुस्कुराता है परन्तु सज्जन अपनी सज्जनता छोड़ते ही नहीं । यह अंग्रेजी को परास्त करने के रास्ते में बडा अवरोध है | |
− | कठोर होना अच्छा नहीं लगता । वे इस प्रकार के | |
− | उपायों को अपनाने को सिद्ध भी नहीं होते और | |
− | उन्हें मान्यता भी नहीं देते । इसलिये भूत अधिक | |
− | प्रभावी बनता है । ऐसे सज्जनों के समक्ष कठोर | |
− | उपाय करने वाले हार जाते हैं और भूत मुस्कुराता है | |
− | परन्तु सज्जन अपनी सज्जनता छोड़ते ही नहीं । यह | |
− | अंग्रेजी को परास्त करने के रास्ते में बडा अवरोध | |
− | a |
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− | “हमें अंग्रेजी से विरोध नहीं है, अंग्रेजीपन से | + | “हमें अंग्रेजी से विरोध नहीं है, अंग्रेजीपन से विरोध है' ऐसा कहनेवाला एक बहुत बडा वर्ग है । यह वर्ग अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय चलने का विरोध करता है परन्तु मातृभाषा माध्यम के विद्यालयों में अच्छी अंग्रेजी पढ़ाने का आग्रह करता हैं। इस तर्क में दम है ऐसा लगता है परन्तु यह आभासी तर्क है । इसके चलते इस वर्ग को न अंग्रेजी आती है न वे अंग्रेजी को छोड सकते हैं । भूत ताक में रहता है । ऐसे विद्यालय या तो अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में परिवर्तित हो जाते हैं या तो इनमें प्रवेश की संख्या कम हो जाती है। और |
− | विरोध है' ऐसा कहनेवाला एक बहुत बडा वर्ग है । | |
− | यह वर्ग अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय चलने का | |
− | विरोध करता है परन्तु मातृभाषा माध्यम के | |
− | विद्यालयों में अच्छी अंग्रेजी पढ़ाने का आग्रह करता | |
− | हैं। इस तर्क में दम है ऐसा लगता है परन्तु यह | |
− | आभासी तर्क है । इसके चलते इस वर्ग को न | |
− | अंग्रेजी आती है न वे अंग्रेजी को छोड सकते हैं । | |
− | भूत ताक में रहता है । ऐसे विद्यालय या तो अंग्रेजी | |
− | माध्यम के विद्यालय में परिवर्तित हो जाते हैं या तो | |
− | इनमें प्रवेश की संख्या कम हो जाती है। और | |
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