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===== पुस्तकालय की पवित्रता बनाये रखना =====
 
===== पुस्तकालय की पवित्रता बनाये रखना =====
विद्यालय का पुस्तकालय इसी कारण से एक पवित्र
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विद्यालय का पुस्तकालय इसी कारण से एक पवित्र स्थान है । प्रथम आवश्यकता उसकी पवित्रता की रक्षा करने की है । इस दृष्टि से कुछ नियम बनाने चाहिये ।
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* पुस्तकालय में जूते पहनकर प्रवेश नहीं करना चाहिये ।
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* पुस्तकालय स्वच्छ रखना चाहिये । पुस्तकालय की पुस्तकों, आल्मारियों, अन्य फर्नीचर, सम्पूर्ण कक्ष को स्वच्छ रखने का काम विद्यार्थियों और शिक्षकों ने सेवा के रूप में करना चाहिये, नौकरों द्वारा नहीं करवाना चाहिये ।
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* पुस्तकालय में खाना, चाय पीना, शोर मचाना, अशिष्ट बातें करना, अशिष्ट भाषा प्रयोग करना वर्जित होना चाहिये ।
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* पुस्तकालय में ज्ञान की देवी सरस्वती की प्रतिमा और ज्ञान के आदि ग्रन्थ वेद पूजा स्थान में रखने से पुस्तकालय का सम्मान होता है । वातावरण और मानसिकता पवित्र बनते हैं। 
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पुस्तकालय का सम्मान करने का दूसरा आयाम है उसका उपयोग करना । विद्यालय के मुख्याध्यायक से लेकर छोटी से छोटी कक्षा के छोटे से छोटे विद्यार्थी तक सभी लोगों में वाचन संस्कृति का विकास होना चाहिये । पुस्तक पढने का रस निर्मिण करना शिक्षाक्रम का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण आयाम है ।
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स्थान है । प्रथम आवश्यकता उसकी पवित्रता की रक्षा
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इस दृष्टि से सभी आयु वर्ग के विद्यार्थियों के लायक पुस्तकें पुस्तकालय में होनी चाहिये । शिशुओं के लिये चित्रपुस्तिकाओं से लेकर देशविदेश के लेखकों की विभिन्न विषयों की. गम्भीर अध्यनय करने लायक पुस्तकें पुस्तकालय में होनी चाहिये ।
 
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करने की है । इस दृष्टि से कुछ नियम बनाने चाहिये ।
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०... पुस्तकालय में जूते पहनकर प्रवेश नहीं करना
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चाहिये ।
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पुस्तकालय स्वच्छ रखना चाहिये । पुस्तकालय की
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पुस्तकों, आल्मारियों, अन्य फर्नीचर, सम्पूर्ण कक्ष को
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स्वच्छ रखने का काम विद्यार्थियों और शिक्षकों ने
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सेवा के रूप में करना चाहिये, नौकरों द्वारा नहीं
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करवाना चाहिये ।
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पुस्तकालय में खाना, चाय पीना, शोर मचाना,
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अशिष्ट बातें करना, अशिष्ट भाषा प्रयोग करना वर्जित
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होना चाहिये ।
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पुस्तकालय में ज्ञान की देवी
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सरस्वती की प्रतिमा और ज्ञान के आदि ग्रन्थ वेद
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पूजा स्थान में रखने से पुस्तकालय का सम्मान होता
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है । वातावरण और मानसिकता पवित्र बनते हैं ।
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पुस्तकालय का सम्मान करने का दूसरा आयाम है
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उसका उपयोग करना । विद्यालय के मुख्याध्यायक से लेकर
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छोटी से छोटी कक्षा के छोटे से छोटे विद्यार्थी तक सभी
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लोगों में वाचन संस्कृति का विकास होना चाहिये । पुस्तक
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पढने का रस निर्मिण करना शिक्षाक्रम का अत्यन्त
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महत्त्वपूर्ण आयाम है ।
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इस दृष्टि से सभी आयु वर्ग के विद्यार्थियों के लायक
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पुस्तकें पुस्तकालय में होनी चाहिये । शिशुओं के लिये
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चित्रपुस्तिकाओं से लेकर देशविदेश के लेखकों की विभिन्न
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विषयों की. गम्भीर अध्यनय करने लायक पुस्तकें
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पुस्तकालय में होनी चाहिये ।
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पढ़ने की रुचि निर्माण करना
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===== पढ़ने की रुचि निर्माण करना =====
 
विद्यार्थियों में पुस्तक पढ़ने की रुचि निर्माण हो इस
 
विद्यार्थियों में पुस्तक पढ़ने की रुचि निर्माण हो इस
  
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